The Lallantop

उस पत्रकार का एक्सपीरियंस, जिसने राधे मां का इंटरव्यू लिया

राधे मां आधा इंटरव्यू छोड़कर रोते हुए चली गई थी.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop

मेरी नानी पूरी तरह से नास्तिक थीं. वो किसी भी भगवान, ताकत या किस्मत में विश्वास नहीं रखती थीं. बाबा वगैरह उनके लिए कोई मायने नहीं रखते थे. दूसरी तरफ़ मेरी दादी बेहद पूजा-पाठ करती थीं. वो न केवल सभी कर्मकांड करती थीं, बल्कि आध्यात्मिक गुरु को फॉलो भी करती थीं. वो हमें आशीर्वाद दिलवाने ले जाती थीं. ख़ासकर हमारे एग्ज़ाम के वक़्त पर. इसलिए मैं एक ऐसे माहौल में बढ़ा, जहां मुझे दोनों सिरे देखने को मिले. लेकिन इन सभी के बावजूद एक चीज ऐसी थी, जिसे मैंने कभी भी महसूस नहीं किया था. 15 साल पत्रकारिता करने बाद भी एक चीज़ जो मुझे असहज कर देती थी, वो थी किसी आध्यात्मिक गुरु का इंटरव्यू लेना. मैं इंटरव्यू लेने के मामले में थोड़ा कच्चा तो रहा ही हूं, लेकिन राधे मां का इंटरव्यू लेना मेरे लिए एक बेहद अजीब-ओ-गरीब एक्सपीरियंस रहा.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

radhe-ma

मुझे राधे मां के बारे में सबसे पहले मुंबई के वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर लगे एक बड़े होर्डिंग से मालूम चला था. बाद में मुझे पता चला कि वो एक सामान्य हाउस-वाइफ़ थी, जिसकी 17 साल की उमर में ही शादी हो गई थी. 20 साल की उमर में उसके 2 बच्चे हो गए थे. उसके परिवार की माली हालत इतनी खराब थी कि उसे घर पर कपड़े सिलकर पैसे कमाने पड़ते थे. इस वक़्त उसका नाम सुखविंदर कौर था. उसका पति पैसे कमाने खाड़ी देश चला गया और दोनों बच्चों की ज़िम्मेदारी सुखविंदर के ऊपर ही आ गई. यहां से सुखविंदर की राधे मां बनने की यात्रा शुरू हुई.

Advertisement

राधे मां के वायरल हुए वीडियोज़ ने काफ़ी सनसनी फैलाई. लोग राधे मां के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे. खासकर उस वक़्त जब रामपाल, राम रहीम और आसाराम बापू, ये सभी कानून के पचड़े में फंसे हुए थे. लगभग हर स्वघोषित बाबा पर कोई न कोई केस चल रहा था. राधे मां के आस पास भी काफ़ी कंट्रोवर्सी चल रही थीं. हालांकि, उसका कहना है कि उसके ऊपर कोई भी डायरेक्ट आरोप नहीं है.

इंटरव्यू राधे मां भवन, अंधेरी वेस्ट में देर रात में होना तय हुआ. मैंने राधे मां के बारे में रिसर्च करनी शुरू की. अपनी टीम के साथ मैं राधे मां के बंगले पर पहुंचा. बंगला बहुत विशाल था. इस बंगले को प्राइवेट सिक्यॉरिटी गार्ड्स घेरे रहते हैं. ये गार्ड्स किसी को भी इस बंगले के आस-पास भी नहीं फटकने देते. बंगले के मुख्य द्वार पर पहले से ही बता दिया गया था कि इंटरव्यू के लिए एक टीम आने वाली है. गेट पर सिक्योरिटी के मुखिया ने टल्ली बाबा से बात की. मुंबई में टल्ली का मतलब कुछ ही होता है, लेकिन उसने बताया कि इस टल्ली का मतलब घंटा था. इसके बाद हमें राधे मां भवन में घुसने को मिला. अन्दर जाने पर मालूम चला कि बंगला जितना हमने सोचा था, उससे भी बड़ा है. ये एक नॉर्मल बंगले जैसा नहीं था. ये एक शाही जगह थी. इस बंगले के किनारे-किनारे एक बगीचा था, जिसमें कार खड़ी हुई थीं.

house

Advertisement

जब हम अंदर जा रहे थे, हमें जूते उतारने को कहा गया. उनके भक्तों के लिए वो राधे मां का मंदिर है. बंगले में अन्दर आते ही एक दुर्गा जी का मंदिर है. टल्ली बाबा हमें उस मंदिर में ले गए. उन्होंने बताया कि दुर्गा मां के कपड़ों को राधे मां की बहू ने अपने हाथों से सिला है. बगले में कई ऐसे कमरे थे, जिनके अन्दर कमरे थे. पूरे बंगले की थीम लाल रंग की थी. विशाल और भव्य बंगला 4 फ़्लोर का है. बंगले में राधे मां के 4 बच्चे और उनका परिवार रहते हैं. हर पंद्रह दिन में राधे मां अपने भक्तों को दर्शन देती हैं और उस रात सत्संग, भजन, माता की चौकी और लंगर वगैरह होता है.

बंगले को स्पेशली राधे मां के लिए कुछ महीनों में ही बनाया था. बोरीवली में आने से पहले राधे मां मलाड वाले बंगले में रहती थीं. बंगले में एक लिफ्ट है, जिसकी थीम भी लाल ही है. लिफ्ट से चौथे फ़्लोर पर निकलते ही दुर्गा मां का मंदिर दिखता है. इस मंदिर को मुख्य मंदिर कहते हैं. कमरों के बाद कमरे आते गए और फिर हम उस जगह पहुंचे जहां इंटरव्यू होना था. यहां पर भी एक छोटा सा मंदिर है जहां राधे मां की सास की फ़ोटो रखी हुई है. पीछे राधे मां के गाने बज रहे थे. सब कुछ लाल-लाल था. फर्श से लेकर पर्दे, दरवाज़े, छत, कुर्सियां सब कुछ लाल-लाल था.

मुझे नहीं मालूम था कि मुझे वहां क्या मिलने वाला था. क्या वो मुझे धर्म पर लम्बे लेक्चर देगी या फिर वो धार्मिक बातें करेंगी. जब वो आई तो मुझे बताया गया कि मैं कोई भी सवाल पूछ सकता हूं. वो वहीं बैठीं जहां वो हमेशा अपने भक्तों से मिलती हैं. अब मुझे इस बात का अहसास होने लगा था कि मेरे लिए ये एकदम ही अलग अनुभव होने वाला है.

radhe-maa

मैंने इससे पहले खुद से पूछा था कि मैं राधे मां का इंटरव्यू क्यों करूं. लेकिन फिर मुझे लगा कि मैं क्यों न करूं. मीडिया ने हर उस इंसान से बात की है, जिसके बारे में उसके दर्शकों को जानने की उत्सुकता रही है. मीडिया ने हर साज़िश और सतही बहसों को दिखाया है, तो एक राधे मां को क्यों नहीं दिखाया जा सकता, जिसके स्टाइल और उसकी दिखावट ने उसे एक पब्लिक फिगर बना दिया था. इस पब्लिक फिगर के बारे में किसी को कुछ भी नहीं मालूम था. उसे बॉलीवुड सेलिब्रिटी, नेताओं और बिज़नेसमेन के साथ देखा गया था. लेकिन इस पूरे ड्रामा में जो चीज़ मुझे सबसे ज़्यादा खींच रही थी वो ये थी कि राधे मां एक मनोचिकित्सक के पास जाती है.

वो अपने आसपास हो रही सभी कंट्रोवर्सी से परेशान हो चुकी थी और कहती हैं कि उनके खिलाफ़ सभी आरोप झूठे हैं. वो कहती है कि वो राधे मां है, लेकिन वो ये भी कहती है कि वो एक नॉर्मल औरत है जिसकी अपनी फ़ीलिंग्स हैं और वो अक्सर दुखी हो जाती है. जब हम इंटरव्यू कर रहे थे, राधे मां के भक्त नीचे, ज़मीन पर बैठे हुए थे. भक्तों में से एक फ़ेमस बिज़नेसमैन एमएम मिठाईवाला और ग्लोबल एडवर्टाइज़मेंट के मालिक संजीव गुप्ता भी थे. ये सभी हाथ जोड़ के पूरे इंटरव्यू के दौरान नीचे ज़मीन पर बैठे रहे.

radhe-maa

इंटरव्यू के बाद भी मुझे समझ में नहीं आया कि राधे मां असल में है क्या. उसके पीछे की सोच क्या है. उसके आस पास की कंट्रोवर्सी के बारे में सवाल पूछते ही वो बीच में ही इंटरव्यू छोड़कर रोते हुए चली गई. उसने कोई भी सीख नहीं दी. किसी भी भगवान की बातों के बारे में ज़िक्र नहीं किया. अपने भक्तों के लिए वो एक बच्चे की तरह है. उसके खुद के अनुसार वो अपनी लाइफ एन्जॉय कर रही है. वो लाइफ़ जो उसके पति के चले जाने के बाद नरक बन गई थी.

ये समझना बहुत मुश्किल है कि क्या वो अपनी बनी हुई छवि की कैदी है या ये सब कुछ एक सोची-समझी रणनीति है. सब कुछ बहुत धुंधला है. लेकिन राधे मां का होना भारतीय सोच के बारे में बहुत कुछ कहता है जिसे कोई न कोई ढांढस बंधाने वाला और सहारा देने वाला चाहिए होता है. वो क्या करती है, इससे किसी को कुछ भी फ़र्क नहीं पड़ता है. और वो लोग जो मुझसे पूछ रहे थे कि मैं राधे मां का इंटरव्यू कैसे कर सकता हूं, आप लोग वीडियो के व्यू देखिये. अभी-अभी एक मिलियन व्यू पार हुए हैं.

साहिल जोशी इंडिया टुडे से जुड़े पत्रकार हैं.


 ये भी पढ़ें:

राम रहीम समर्थक इस लड़की की चिट्ठी भी पढ़ लीजिए

दिल्ली के थाने में लगा राधे मां का दरबार, SHO और पुलिसवाले बने भक्त

Advertisement