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विक्ट्री डे परेड में DF-5C की नुमाइश, कितनी खतरनाक है चीन की ये न्यूक्लियर मिसाइल?

China’s Victory Day Parade 2025: चीन ने विक्ट्री डे 2025 परेड में अपनी DongFeng-5C (DF-5C) न्यूक्लियर मिसाइल पेश की. यह लिक्विड-फ्यूल्ड ICBM 13,000 से लेकर 16,000 किलोमीटर तक मार सकती है. इसमें 10 MIRVs हैं, जो एक साथ कई लक्ष्य निशाना बना सकती हैं. हर वॉरहेड की शक्ति लगभग 4–5 मेगाटन है। DF-5C चीन की वैश्विक परमाणु शक्ति और रणनीतिक क्षमता का प्रतीक है.

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न्यूक्लियर ताक़त का प्रदर्शन या रणनीतिक संदेश? DF-5C ने खोल दिए कई सवाल

तारीख 3 सितंबर 2025, जगह- बीजिंग का तियानमेन स्क्वायर, विक्ट्री डे परेड और हजारों आंखें आसमान की ओर टिकी हुईं. तभी गगनभेदी गर्जना के बीच चीन का परमाणु दानव, डोंग फेंग-5C (DF-5C) सामने आया. भीड़ में सन्नाटा छा गया, दुनिया भर के रणनीतिकार चौकन्ने हो उठे. न्यूक्लियर हथियारों को इस तरह परेड में उतारना किसी साधारण शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा नहीं था. यह था एक साफ-साफ इशारा कि चीन अब वैश्विक मंच पर अपनी ताकत दिखाने से पीछे नहीं हटेगा. अमेरिका, भारत और जापान जैसे देशों तक यह संदेश तेज़ी से पहुंच चुका था.

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डोंग फेंग-5C, जिसे DF-5C के नाम से जाना जाता है, चीन के परमाणु हथियार भंडार का असली ‘ट्रंप कार्ड’ माना जाता है. यह एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसकी मारक क्षमता हज़ारों किलोमीटर तक फैली हुई है. माना जाता है कि यह एक साथ कई परमाणु वारहेड (MIRVs) ले जाने में सक्षम है. यानि एक ही मिसाइल से अलग-अलग लक्ष्यों पर हमला संभव है. साधारण शब्दों में कहें तो, यह हथियार अकेले ही दुश्मन के पूरे शहरों को नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखता है. चीन ने जब इसे विक्ट्री डे परेड में उतारा, तो यह सिर्फ सैन्य ताक़त का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि दुनिया को यह बताने का ऐलान था कि बीजिंग अब ‘सुपरपावर क्लब’ की अगली पंक्ति में खड़ा है.”

कोल्ड वॉर युग में हुई शुरुआत

दरअसल, डोंग फेंग मिसाइल प्रोग्राम की जड़ें शीत युद्ध के दौर तक जाती हैं, जब चीन ने अमेरिका और सोवियत संघ की परमाणु ताकत को देखकर अपनी स्वतंत्र क्षमता विकसित करने का निश्चय किया था. 1970 के दशक में पहली पीढ़ी के DF-5 मिसाइलों ने बीजिंग को ‘स्ट्रैटेजिक डिटरेंस’ यानी प्रतिरोध की शक्ति दी. इसके बाद हर अपग्रेड-DF-5A, DF-5B और अब DF-5C-ने चीन को एक नई छलांग दिलाई. आज यह मिसाइल न सिर्फ एशिया, बल्कि यूरोप और अमेरिका तक मार करने में सक्षम है. यही वजह है कि तियानआनमेन स्क्वायर पर इसका प्रदर्शन केवल परेड का हिस्सा नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक संदेश था-चीन अब उस मुकाम पर पहुंच चुका है, जहां वह वैश्विक शक्ति संतुलन को चुनौती देने की स्थिति में खड़ा है.

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चीन का एलान, दुनिया परेशान

DF-5C के प्रदर्शन ने तुरंत ही अंतरराष्ट्रीय हलकों में खलबली मचा दी. वॉशिंगटन से लेकर टोक्यो और नई दिल्ली तक सुरक्षा विश्लेषकों ने चेतावनी दी कि चीन की यह चाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन को हिला सकती है. अमेरिका ने इसे अपनी नेशनल सिक्योरिटी के लिए सीधी चुनौती बताया, जबकि भारत में रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बीजिंग का यह प्रदर्शन हिंद महासागर और दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन पर असर डालेगा. जापान ने इसे ‘क्षेत्रीय अस्थिरता की नई परत’ कहा. वहीं, दिलचस्प बात यह रही कि रूस ने चीन की इस ताक़त का स्वागत करते हुए इसे पश्चिमी दबदबे के खिलाफ एक सामरिक संतुलन करार दिया. यानी, तियानआनमेन स्क्वायर की इस परेड से निकला संदेश सिर्फ सैन्य शक्ति का नहीं था, बल्कि वैश्विक राजनीति की नई चालों की आहट भी था.

डोंग फेंग-5C में क्या खास है?

डोंग फेंग-5C (DF-5C) एक लिक्विड-फ्यूल्ड इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो चीन की परमाणु शक्ति का अहम हिस्सा है. इसकी प्रमुख विशेषताएं कुछ इस तरह हैं, 

रेंज: 13,000 से 16,000 किलोमीटर तक, जिससे यह अमेरिका, यूरोप, और अन्य प्रमुख क्षेत्रों को निशाना बना सकती है.

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वजन: 183,000 किलोग्राम, जो इसे एक भारी और शक्तिशाली मिसाइल बनाता है.

लंबाई और व्यास: लंबाई 32.6 मीटर और व्यास 3.35 मीटर, जो इसकी विशालता को दर्शाता है.

वॉरहेड क्षमता: 10 MIRVs (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles), जिससे यह एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है.

स्पीड: Mach 22 (26,950 किमी/घंटा), जो इसे अत्यधिक गति प्रदान करती है.

गाइडेंस सिस्टम: इनेर्शियल और ऑन-बोर्ड कंप्यूटर आधारित, जिससे उच्च सटीकता सुनिश्चित होती है.

निर्माण और विकास

डोंग फेंग-5C का विकास 1960 के दशक में शुरू हुआ था, और यह 1981 में ऑपरेशनल सेवा में आया. इसका निर्माण चीन की फैक्ट्री 211 (Capital Astronautics Co.) में हुआ है. DF-5A और DF-5B के बाद, DF-5C को MIRV तकनीक से लैस किया गया, जिससे इसकी मारक क्षमता और सटीकता में वृद्धि हुई.

लागत और उत्पादन

DF-5C की निर्माण लागत का सार्वजनिक विवरण उपलब्ध नहीं है, लेकिन अनुमानित लागत 10 से 20 मिलियन (88 से लेकर 176 करोड़ रुपये) प्रति मिसाइल हो सकती है. चीन ने DF-5A, DF-5B, और DF-5C मिलाकर लगभग 20 से 25 मिसाइलें ऑपरेशनल सेवा में रखी हैं.

न्यूक्लियर वॉरहेड से लैस कब हुआ?

DF-5C को MIRV तकनीक से लैस किया गया, जिससे यह एक साथ 10 अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बना सकती है. इसकी वॉरहेड क्षमता 4 से 5 मेगाटन तक है, जो इसे अत्यधिक विनाशकारी बनाती है.

विक्ट्री डे परेड में प्रदर्शनी

2025 में, DF-5C को बीजिंग के तियानआनमेन स्क्वायर में आयोजित विक्ट्री डे परेड में प्रदर्शित किया गया. इस परेड में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन भी उपस्थित थे, जो चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और वैश्विक रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है.

भारत के लिए क्या इशारा है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि DF-5C का प्रदर्शन केवल वर्तमान शक्ति का संकेत नहीं, बल्कि भविष्य की रणनीतिक दिशा की झलक भी है. चीन जिस तरह अपनी मिसाइल तकनीक को अपग्रेड कर रहा है, उससे यह साफ है कि बीजिंग आने वाले वर्षों में और उन्नत परमाणु प्लेटफॉर्म सामने ला सकता है. भारत जैसे पड़ोसी देशों के लिए इसका अर्थ है. नई सुरक्षा चुनौतियाँ और रक्षा रणनीति में बड़े बदलाव की ज़रूरत. न्यूक्लियर ट्रायड (जमीन, समुद्र और आकाश से परमाणु हमले की क्षमता) की दिशा में चीन का यह कदम उसे सीधे अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों की कतार में खड़ा कर देता है. ऐसे में भारत और उसके सहयोगियों के लिए सवाल सिर्फ यह नहीं है कि चीन ने क्या दिखाया, बल्कि यह भी है कि भविष्य में वह और क्या दिखाने वाला है.

सौ बात की एक बात

आख़िरकार, डोंग फेंग-5C केवल एक मिसाइल नहीं है.यह 21वीं सदी की बदलती वैश्विक शक्ति राजनीति का प्रतीक है. तियानआनमेन स्क्वायर की परेड में इसका प्रदर्शन एक तरह से चीन की घोषणा थी कि वह अब सिर्फ ‘एशियाई दिग्गज’ नहीं, बल्कि ‘वैश्विक निर्णायक शक्ति’ बनने की राह पर है. परमाणु संतुलन की इस नई तस्वीर ने दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आने वाले वर्षों में रणनीतिक समीकरण किस तरह बदलेंगे. एक मिसाइल ने न सिर्फ आसमान को चीरते हुए उड़ान भरी, बल्कि भू-राजनीति की बिसात पर भी हलचल मचा दी.

वीडियो: दुनियादारी: पुतिन ने रूस के विक्ट्री डे पर क्या बोलकर सबको चौंका दिया?

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