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क्या जनसुराज अभियान केजरीवाल मॉडल पर बना है? प्रशांत किशोर ने बता दिया

प्रशांत किशोर ने कहा कि इसमें एक बहुत बड़ा फर्क है. आम आदमी पार्टी आंदोलन से निकली हुई पार्टी है.

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प्रशांत किशोर ने जातीय जनगणना से लेकर जनसुराज के मॉडल पर बात की. (फ़ोटो/आजतक)

राजनीतिक रणनीतिकार और जनसुराज अभियान के कर्ताधर्ता प्रशांत किशोर से शराब बंदी के बारे में बात हुई. उन्होंने बताया कि शराब बंदी लागू होने से बिहार को हर साल नुकसान हो रहा है. उन्होंने नीतीश कुमार की पॉलिटिक्स और उनके करियर पर भी सवाल उठाए. इन सबके बीच उनके जनसुराज अभियान के बारे में पूछा गया कि उनके जनसुराज अभियान की तुलना केजरीवाल मॉडल से की जाती है (Prashant Kishor On Kejriwal). 

इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि इसमें फर्क है. आम आदमी पार्टी आंदोलन से निकली हुई पार्टी है. उन्होंने कहा, 

"मेरा आंदोलनों में कोई यकीन ही नहीं है. मैं तो रोज कहता हूं कि प्रशांत किशोर का आंदोलनों में, क्रांति में कोई यकीन ही नहीं है. क्योंकि मैंने जो पढ़ा है, समझा है. फ्रांस की क्रांति को अगर आप अपवाद के तौर पर हटा दें तो मानव सभ्यता के इतिहास में किसी भी क्रांति और आंदोलन से बहुत बड़ा विकास या कहीं किसी को कोई फायदा नहीं हुआ है. क्रांति और आंदोलन जो हैं, उनको लोग समझने में थोड़ी गलती करते हैं. मेरी समझ से क्रांति और आंदोलन तेज हथियार हैं, जिससे कि आप बड़े से बड़े वृक्ष को काट सकते हैं. आंदोलनों के जरिए, क्रांति के जरिए आप लोगों को सत्ता से हटा सकते हैं. लेकिन नई व्यवस्था बनाना, आंदोलनों के बस की बात नहीं है. वह क्रांति से नहीं हो सकती है, तो आम आदमी पार्टी के पहले का जो आंदोलन है, उसने सत्ता से UPA को हटाने में बहुत बड़ा योगदान किया. 

JP के आंदोलन ने इंदिरा जी को सत्ता से हटा दिया, लेकिन JP के आंदोलन से बिहार का नवनिर्माण नहीं हुआ. देश का नवनिर्माण नहीं हुआ. इस बात को लोग गंभीरता से ना पढ़ते हैं, ना समझने का प्रयास करते हैं. आंदोलन जो है, वह किसी को सत्ता से हटाने के लिए माकूल हथियार है, लेकिन अगर आपको समाज में कुछ नया बनाना है, तो सृजन का एक अपना काल है. एक उसकी अपनी गति है और इसीलिए यह ग्लैमरस नहीं है. इसीलिए लोगों की दिलचस्पी नहीं है कि भैया जन स्वराज में क्या हो रहा है, क्योंकि मैं क्रांति नहीं कर रहा हूं. आंदोलन नहीं कर रहा हूं. हल्ला नहीं कर रहा हूं."

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आगे उन्होंने कहा कि अगर फसल में आग लगी है तो वो खबर है, लेकिन बीज डालकर फसल बनाना कोई खबर नहीं है. उनका अभियान आंदोलन नहीं है. उन्होंने कहा, 

“बीज डालना और बीज को अंकुरित करके फल फसल बनाने वाली बात है. लगी हुई फसल को जलाने की बात नहीं है. इसीलिए कई लोगों को लगता है, हमारे साथियों को भी लगता है कि भाई इतना हम लोग बड़ा प्रयास कर रहे हैं लेकिन इसकी चर्चा नहीं हो रही है. खेत में धान लगा हुआ है, आग लगा दीजिएगा. चर्चा ही चर्चा है. बीज लगाइएगा, धान उसमें से निकल आएगा, लेकिन उसकी कोई चर्चा नहीं होती. सड़क पर गाड़ी चल रही है, उसकी कोई चर्चा नहीं. लेकिन एक्सीडेंट होगा तो चर्चा होगी. चर्चा में आना हमारा लक्ष्य नहीं है, साल दो साल स्थिरता से, ईमानदारी और शुद्धता से इसको करना मेरा लक्ष्य है.”

प्रंशात किशोर ने आगे बताया कि जनसुराज के जरिए वो समाज में सुधार लाना चाहते हैं.

(ये तमाम बातचीत प्रशांत किशोर ने ‘दी लल्लनटॉप’ के पॉलिटिकल इंटरव्यू शो जमघट में की है. जमघट का ये एक्सक्लूज़िव एपिसोड आप 19 जनवरी सुबह 11 बजे हमारे यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं.)

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