भारत में जून 2025 का महीना केवल मौसम परिवर्तन का प्रतीक नहीं, बल्कि सामरिक आत्मनिर्भरता की उड़ान का गवाह बनने जा रहा है. इसी महीने HAL (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड) भारतीय वायुसेना को पहला तेजस Mk-1A फाइटर जेट सौंपेगा. लेकिन इस प्रतीकात्मक डिलीवरी के पीछे की कहानी उससे कहीं बड़ी और गहरी है - जो जुड़ती है हाल के दिनों में सुर्खियों में आए ऑपरेशन सिंदूर से.
तेजस Mk-1A की इंडियन एयरफोर्स में एंट्री! चीन-पाकिस्तान के बनाए JF-17 पर भारी
Tejas MK-1 vs JF-17 Block III: जब हम भारत के तेजस Mk-1A और पाकिस्तान-चीन निर्मित JF-17 Block III की तुलना करते हैं, तो सिर्फ दो लड़ाकू विमानों की नहीं, बल्कि दो देशों की सैन्य सोच और औद्योगिक दृष्टिकोण की तुलना होती है. तेजस एक मॉड्यूलर, भविष्य-प्रूफ, स्वदेशी समाधान है, जबकि JF-17 एक लो-कॉस्ट, जल्दबाज़ी में तैयार किया गया मिश्रित उत्पाद है - जो पाकिस्तान के लिए "quick fix" तो हो सकता है, लेकिन लंबी रेस का खिलाड़ी नहीं.
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25 मई 2025 को भारतीय मीडिया में एक चर्चा तेजी से उभरी - पाकिस्तान के भीतर खैबर पख्तूनख्वा के इलाके में आतंकवादी ठिकानों पर सीक्रेट एयर अटैक, जिसे "ऑपरेशन सिंदूर" नाम दिया गया. इस मिशन को लेकर किए गए भारतीय दावों को भले ही पाकिस्तान ने पूरी तरह कबूल ना किया हो. लेकिन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, सामरिक विशेषज्ञों और सेटेलाइट तस्वीरों ने संकेत साफ कर दिया कि भारत अब सिर्फ रक्षा करने वाला देश नहीं रहा. बल्कि अब वह सटीक, तेज और सीमित समय में प्रभावशाली हमले करने में सक्षम है.
और इसी बिंदु पर तेजस Mk-1A का महत्व और भूमिका पहले से कहीं अधिक स्पष्ट हो जाती है.
जब हम भारत के तेजस Mk-1A और पाकिस्तान-चीन निर्मित JF-17 Block III की तुलना करते हैं, तो सिर्फ दो लड़ाकू विमानों की नहीं, बल्कि दो देशों की सैन्य सोच और औद्योगिक दृष्टिकोण की तुलना होती है. तेजस एक मॉड्यूलर, भविष्य-प्रूफ, स्वदेशी समाधान है, जबकि JF-17 एक लो-कॉस्ट, जल्दबाज़ी में तैयार किया गया मिश्रित उत्पाद है - जो पाकिस्तान के लिए "quick fix" तो हो सकता है, लेकिन लंबी रेस का खिलाड़ी नहीं.
विशेषता | Tejas Mk-1A (भारत) | JF-17 Block III (पाक-चीन) |
निर्माता | HAL, भारत | PAC (पाकिस्तान) + CAC (चीन) |
इंजन | GE F404-IN20 (अमेरिकी) | RD-93MA (रूसी) |
रडार | EL/M-2052 AESA (इज़रायल) | KLJ-7A AESA (चीनी) |
अधिकतम स्पीड | 1.6 Mach | 1.6 Mach |
कंपोजिट सामग्री | 43% | 30% |
फायरिंग हथियार | अस्त्र, डर्बी, ब्रह्मोस-NG, LGBs | PL-15, CM-400AKG |
एवियोनिक्स | आधुनिक डिजिटल FBW, हेलमेट टारगेटिंग | पुरानी FBW प्रणाली |
निर्माण नियंत्रण | पूर्ण स्वदेशी | भारी चीनी निर्भरता |
प्रति यूनिट लागत | ₹309 करोड़ ( $37 मिलियन) | ₹180–220 करोड़ ($22–26 मिलियन) |
ऑपरेशनल विश्वसनीयता | उच्च, HAL सपोर्ट के साथ | मध्यम, इंजन और एयरफ्रेम समस्याएं |
डिलीवरी स्केल | 83 + 97 संभावित = 180 विमान | 150+ JF-17, कई देशों में एक्सपोर्ट प्रयास |
यह तुलना सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं, बल्कि युद्धक्षेत्र की जरूरतों और तकनीकी टिकाऊपन से जुड़ी हुई है.
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टेक्नॉलजी और कीमतजहां तेजस Mk-1A में GE F404 इंजन, इज़राइली AESA रडार, 43% कंपोजिट स्ट्रक्चर और भारतीय एवियोनिक्स का संतुलन है, वहीं JF-17 Block III अब भी चीनी और रूसी मिलेजुले सिस्टम पर निर्भर है. तेजस की कीमत भले ही ₹309 करोड़ ($37–38 मिलियन) प्रति यूनिट हो, लेकिन इसमें शामिल है HAL का लॉजिस्टिक सपोर्ट, MRO सिस्टम, अपग्रेडेबिलिटी और पूर्ण आत्मनिर्भरता.
इसके विपरीत, JF-17 की कीमत ₹180–220 करोड़ (लगभग $22–26 मिलियन) जरूर है, लेकिन उसका इतिहास एयरफ्रेम क्रैक्स, इंजन फेल्योर और एवियोनिक्स जाम से भरा हुआ है. यानी कम कीमत का अर्थ सस्ती गुणवत्ता भी हो सकता है - जो युद्ध के समय घातक साबित हो सकती है.
तेजस निर्माण में निजी भागीदारी और गतितेजस Mk-1A का निर्माण केवल HAL तक सीमित नहीं. इसमें VEM Technologies, L&T, Data Patterns, Alpha Design जैसे दर्जनों निजी भारतीय स्टार्टअप और रक्षा उद्योग भी भागीदार हैं. यह साझेदारी केवल तेजस का उत्पादन नहीं बढ़ा रही, बल्कि भारत की डिफेंस इकोनॉमी में नए रोजगार और तकनीकी आत्मनिर्भरता को जन्म दे रही है.
इसी का परिणाम है कि HAL अब सालाना 24 तेजस विमान तक बनाने की योजना पर काम कर रहा है, जिससे अगले पांच वर्षों में IAF के स्क्वाड्रन स्तर में बड़ा बदलाव आने की संभावना है.
ऑपरेशन सिंदूर से तेजस की जरूरत कैसे जुड़ी?ऑपरेशन सिंदूर जैसे गुप्त अभियानों की आवश्यकता है - तेज, छोटा रडार सिग्नेचर, उच्च गतिशीलता और हथियारों की बहुविकल्पीयता. तेजस इन सभी जरूरतों को पूरा करता है. इसका हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, स्मार्ट वेपन इंटरफेस, और जल्द आने वाला ब्रह्मोस-NG (नेक्स्ट जनरेशन) जैसे हथियारों के साथ इंटीग्रेशन इसे न केवल सीमित युद्धों, बल्कि भविष्य के डोमिनेटिव एरियल कॉम्बैट के लिए तैयार करता है.
क्यों JF-17 अब पिछड़ता नजर आ रहा है?JF-17 Block III को पाकिस्तान ने चीन के सहयोग से बनाकर अफ्रीका, मिडल ईस्ट जैसे बाजारों में बेचना चाहा, लेकिन विश्वसनीयता, स्पेयर सपोर्ट और अपग्रेड प्रूफिंग की कमी ने उसे एक “poor man's fighter jet” बना दिया है. म्यांमार और नाइजीरिया जैसे देशों से इसकी शिकायतें भी सामने आई हैं.
इसके मुकाबले तेजस Mk-1A न केवल IAF का भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है, बल्कि अब अर्जेंटीना, मलेशिया, मिस्र जैसे देशों की नजर में भी है - और यह पहली बार है कि भारत किसी लड़ाकू विमान को निर्यात के केंद्र में ला पाया है.
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तेजस सिर्फ विमान नहीं, भारत का विज़न हैJF-17 एक रणनीतिक ज़रूरत थी, तेजस एक रणनीतिक सपना है जो अब साकार हो रहा है. भारत की वायु संप्रभुता को तेजस जैसी स्वदेशी ताकतें ही दीर्घकालिक स्थायित्व दे सकती हैं. ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में भविष्य की तस्वीर यही होगी - HAL का तेजस अंधेरे में उड़ेगा, दुश्मन को चौंकाएगा, और बिना पहचान छोड़े वापस लौट आएगा.
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