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उइगर मुस्लिमों के मामले पर इंटरनैशनल कोर्ट ने क्यों हाथ खड़े कर दिए?

चीन शिनजियांग के उइगर मुस्लिमों पर कैसे नज़र रखता है?

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शिनजियांग के मूल उइगर मुसलमान. (एएफपी)
राजकुमार हिरानी की एक फ़िल्म है- पीके. इसके एक सीन में पीके तपस्वी जी को कन्फ़्यूज़ करता है. मुस्लिम के सिर पर सिखों की पगड़ी, सिख के माथे पर मुसलमानी टोपी, बस वेशभूषा बदलकर वो तपस्वी जी की फिरकी ले लेता है. इस दृश्य का भावार्थ ये था कि अगर धार्मिक प्रतीकों को हटा दिया जाए, तो किसी का चेहरा देखकर उसका धर्म नहीं बताया जा सकता है. अगर हम आपको बताएं कि अब ये बात ग़लत साबित हो रही है, तो आपका क्या रिऐक्शन होगा?
कल्पना कीजिए. आप किसी एक्स समुदाय से हैं. आपकी सरकार आपकी कम्यूनिटी से नफ़रत करती है. वो उनका दमन करती है, उन्हें निशाना बनाती है. क्या हो अगर सरकार के पास एक ऐसी टेक्नॉलज़ी आ जाए, जो चेहरा देखकर इंसान का धर्म बता दे? ऐसी टेक्नॉलजी, जो हज़ारों लोगों की भीड़ के बीच भी आपकी उम्र, लिंग और धर्म का पता लगाकर सरकार को अलर्ट भेज दे? सोचिए, इस टेक्नॉलजी के चलते सरकार के लिए आपको टारगेट करना कितना आसान हो जाएगा? ये स्थिति निरी कल्पना नहीं, असलियत है. एक देश है, जो पिछले कुछ सालों से इस टेक्नॉलजी के सहारे लाखों लोगों का दमन कर रहा है. क्या है ये पूरा मामला, विस्तार से बताते हैं आपको.
साहित्य की विधाओं में एक कैटगरी 'जेल लिटरेचर' की भी होनी चाहिए. जब आप बेबात जेल में पटक दिए जाएं और आज़ादी की कोई तारीख़ न मालूम हो, तो उस अंतहीन निराशा के दौर में कई बार इंसान बहुत उम्दा साहित्य गढ़ देता है. आज शुरुआत ऐसे ही एक क़ैदी की कविता से करते हैं. टर्किक भाषासमूह की एक ज़ुबान में लिखी गई इस कविता का हिंदी तर्जुमा कुछ यूं है-
इस भुला दी गई जगह पर मुझे प्रेम से छूने वाला कोई नहीं, यहां हर रात अपने साथ पहले से ज़्यादा स्याह ख़्वाब लाती है, मैंने बस ज़िंदगी मांगी उनसे, इसके सिवाय मेरा कोई अरमान नहीं ये मेरे ख़ामोश ख़यालों में इतनी यातनाएं क्यों है, क्यों मेरे पास कोई उम्मीद नहीं मैं क्या था, क्या बना दिया गया...ये जानने की भी तो कोई राह नहीं
ये कविता लिखी है, अब्दु क़ादिर जलालीदीन ने. उत्तर-पश्चिम चीन में यूरिमची नाम का एक शहर है. यहीं पर रहते थे जलालीदीन. पोएट्री के प्रफ़ेसर थे. कविताओं में जीते थे. 2018 में एक रोज़ प्रफ़ेसर जलालीदीन को उठाकर यातना शिविर में फेंक दिया गया. क्या अपराध था जलालीदीन था? उन्होंने वो क्राइम किया था, जिसके बारे में कभी दिनकर ने रश्मिरथी में लिखा था- चुनना जाति और धर्म, अपने बस की तो बात नहीं.
Abdul Qadir Jalaleddin
अब्दु क़ादिर जलालीदीन.


प्रफ़ेसर जलालीदीन उइगर मुसलमान थे. वो उन लाखों उइगरों में से हैं, जिन्हें चीन ने बस उइगर होने के चलते यातना शिविरों में बंद किया हुआ है. कौन हैं उइगर? भाषाओं का एक झुंड है. इन्हें कहते हैं, टर्किक लैंग्वेजेज़. इन्हें बोलने वाले टर्किक पीपल कहलाते हैं. इस एक ग्रुप के भीतर कई अलग-अलग छोटे-बड़े समूह हैं. इनमें से ही एक हैं उइगर. घुमक्कड़ कबीलाई अतीत वाले इस समुदाय की बसाहट का मुख्य इलाका है सेंट्रल एशिया. यहां उज़बेकिस्तान, किरगिस्तान और कज़ाकिस्तान जैसे देशों में उइगरों की अच्छी-ख़ासी संख्या है. मगर इनकी सबसे अधिक संख्या पाई जाती है, शिनज़ियांग में. यहां करीब सवा करोड़ उइगर रहते हैं.
कहां है शिनजियांग?
चीन के नक्शे पर उत्तर-पश्चिमी दिशा में बसा है ये प्रांत. ये चीन का सबसे बड़ा प्रांत है. इसकी सीमाएं आठ देशों को छूती हैं. ये आठों देश हैं- भारत, रूस, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और मंगोलिया. क्या शिनजियांग हमेशा से चीन का हिस्सा था? नहीं, चीन के राजाओं ने 18वीं सदी में इस इलाके पर कब्ज़ा किया था. मगर यहां के लोग ख़ुद को सांस्कृतिक तौर पर चीनियों से अलग पाते थे. वो चीन से आज़ाद होना चाहते थे. उन्हें ये मौका मिला 1949 में. चीन के गृह युद्ध का फ़ायदा उठाकर शिनजियांग ने ख़ुद को आज़ाद घोषित कर दिया. उन्होंने ख़ुद को कहा, पूर्वी तुर्किस्तान. मगर शिनजियांग की ये आज़ादी कुछ ही दिन चली. 1949 में ही माओ के कम्युनिस्ट चीन ने दोबारा इस हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया.
Xinjiang China
चीन के नक्शे पर उत्तर-पश्चिमी दिशा में बसा है शिनजियांग प्रांत. (गूगल मैप्स)


शिनजियांग भूगोल और प्राकृतिक संसाधन, दोनों लिहाज से बहुत अहम था. चीन को इस इलाके की तो ज़रूरत थी, मगर उसे यहां की बसाहट से परेशानी थी. ये परेशानी जुड़ी थी, धर्म से. शिनजियांग में ज़्यादातर जनसंख्या इस्लाम मानती थी. इनमें सबसे बड़ा ग्रुप था उइगरों का. इन मुस्लिम समूहों का अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के प्रति आग्रह था. ये बात कम्युनिस्ट विचारधारा थोपने की चीनी ज़िद से मेल नहीं खाती थी. इसे काउंटर करने के लिए चीन ने शिनजियांग की डेमोग्रफी बदलनी शुरू की. चीन के अलग-अलग हिस्सों से लाकर हान समुदाय को यहां बसाया जाने लगा. 1949 में जो हान कम्युनिटी यहां केवल 6 फीसदी थे, वो नई सदी आते-आते करीब 50 पर्सेंट हो गए. वहीं 1949 में 76 पर्सेंट रहे उइगर घटकर 35-40 पर्सेंट पर पहुंच गए.
ऐसा नहीं कि चीन ने बस शिनजियांग की आबादी का हिसाब-किताब बदला हो. उसने सांस्कृतिक आधार पर भेदभाव भी शुरू किया. लोगों पर मंडारिन थोपी जाने लगी. उनपर अपना धर्म छोड़ने का दबाव बनाया जाने लगा. 1958 से ही सोशल इन्टीग्रेशन के नाम पर चीन ने उइगर समेत बाकी अल्पसंख्यक समुदायों का चीनीकरण करना शुरू कर दिया. कल्चरल रेवॉल्यूशन की आड़ में इनपर बहुत अत्याचार किए गए. इस वजह से उइगरों का एक धड़ा मिलिटेंसी की तरफ मुड़ने लगा.
Mao Zedong
माओ त्से-तुंग (फोटो: एएफपी)


इस भावना को और ज़ोर मिला 90 के दशक में
इसकी वजह थी, सोवियत का विघटन. इस दौर में सेंट्रल एशिया के कई देश सोवियत से आज़ाद होकर इस्लामिक मुल्क बन गए. इसे देखकर शिनजियांग के उइगरों में भी अलगाववाद की भावना बढ़ी. उन्होंने कई सेपरेटिस्ट ग्रुप्स बना लिए. इन चरमपंथी समूहों को सेंट्रल एशिया में बसे उइगरों से भी सपोर्ट मिलने लगा. चीन ने इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा माना. उसने शिनजियांग में उइगरों का दमन और तेज़ कर दिया.
इस दमन के जवाब में उइगर मिलिटेंट्स भी समय-समय पर हिंसा करते. 2009 के साल ये हिंसा और बढ़ गई. इस बरस एक कारख़ाने में हान और उइगरों के बीच ख़ूब मारकाट हुई. इसमें 156 लोग मारे गए. इसके बाद चीन ने शिनजियांग को एक सर्विलांस और पुलिस स्टेट में तब्दील करना शुरू कर दिया.
2009 Uyghur Riots
2009 में चीनी हान समुदाय और उइगर मुस्लिमों के बीच हिंसा में कम से कम 156 लोग मारे गए थे. (एएफपी)


और क्या-क्या किया चीन ने?
उसने शिनजियांग के मुस्लिमों पर कई तरह के बैन लगा दिए. रोज़ा बैन. दाढ़ी रखना बैन. बुर्का बैन, क़ुरान बैन, मस्ज़िद बैन. धार्मिक तरीके से शादी बैन. उन्हें सुअर का मांस खाना होगा, शराब पीनी होगी. वो अपनी कम्यूनिटी में शादी नहीं कर सकते. सरहद पार के अपने रिश्तेदारों को फ़ोन कर लें, तो अरेस्ट हो जाएंगे. ये सारी कोशिशें नस्लीय सफ़ाये का तरीका मानी गईं.
अभी क्या स्थिति है शिनजियांग की?
चीन ने इस प्रांत को एक बड़ी जेल में तब्दील कर दिया है. यहां दर्जनों यातना शिविर खोले गए हैं. इन कैंप्स को समझिए रीसाइक्लिंग वाला कारख़ाना. जैसे रीसाइक्लिंग में किसी पुराने सामान को तोड़-फोड़कर उससे नया प्रॉडक्ट बनाया जाता है. वैसे ही इन शिविरों में उइगर समेत बाकी मुस्लिमों को टॉर्चर करके उनका चीनी संस्करण तैयार किया जाता है. उनकी इस्लामिक पहचान मिटा दी जाती है. बच्चों को मां-बाप से अलग करके उनका ब्रेनवॉश किया जाता है.
Uyghurs In China
चीन ने शिनजियांग के मुस्लिमों पर कई तरह के बैन लगा दिए हैं. (एएफपी)


कितने लोग बंद हैं इन टॉर्चर कैंप्स में?
अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये संख्या 20 से 30 लाख तक हो सकती है. और ऐसा नहीं कि किसी तरह का अपराध करने पर आप कैंप भेजे जाएं. मस्ज़िद जाने, नमाज़ पढ़ने, कोई धार्मिक त्योहार मनाने, शादी या मातम में शरीक होने या फिर अपने बच्चे का नाम मंडारिन भाषा में न रखने जैसी वजहों पर भी आप कैंप भेज दिए जाएंगे. साथ ही, आपके रिश्तेदारों और पड़ोसियों को भी जेल हो जाएगी. इसलिए कि उन्होंने समय रहते इस कथित अपराध की सूचना सरकार को क्यों नहीं दी. लीक्ड डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, ऐसे मुस्लिम जिन्हें अपने बुजुर्गों से दीनी तालीम मिली थी, उन्हें भी स्टेट के लिए ख़तरा मानकर कैंप भेज दिया गया. चीन ने ये तक किया कि यहां बंद मुस्लिम महिलाओं का जबरन ऑपरेशन कर दिया. ताकि वो बच्चे न पैदा कर सकें.
कब मिलती है इस कैंप से मुक्ति?
तब, जब एक रिव्यू कमिटी आपको रिहा होने के लायक माने. सर्टिफ़िकेट दे कि आपकी सोच बदल गई है. अब आप धार्मिक नहीं रहे. आपको अपनी ग़लतियों का एहसास है और आपने चीनी सरकार के बताए मुताबिक जीने का वादा किया है. केवल इसी सूरत में आपको रिहा किया जाएगा. रिहाई के बाद भी आप पर चौबीस घंटे नज़र रखी जाएगी. अगर आप पर दोबारा शक़ हुआ, तो आप फिर से टॉर्चर कैंप भेज दिए जाएंगे. कैंप्स में आपको बैठाकर खिलाया नहीं जाएगा. वहां दिन-रात आपसे बंधुआ मज़दूरी करवाई जाएगी. शिनजियांग में चीन के टॉर्चर मैथड्स इतने व्यापक और क्रूर हैं कि इनपर दसियों क़िताबें लिखी जा सकती हैं.
Xinjiang Detention Camp
चीन ने शिनजियांग के मुस्लिमों के लिए कई टॉर्चर कैंप्स बनाए हुए हैं. (एएफपी)


आप पूछेंगे कि ये सब हम आपको आज क्यों बता रहे हैं?
इसलिए कि उइगरों से जुड़ी एक ख़बर नीदरलैंड्स से आई है. यहां ICC, यानी इंटरनैशनल क्रिमिनल कोर्ट है. इस अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का गठन हुआ था 2002 में. मकसद था, दुनिया के सबसे भीषण अपराधों में पीड़ितों को न्याय दिलाना. इसी वादे पर भरोसा करके जुलाई 2020 में कुछ उइगर ICC पहुंचे. उन्होंने शिनजियांग में हो रहे नरसंहार और मानवाधिकार अपराधों के एवज़ में चीन की जांच किए जाने की अपील की. इसी अपील पर 14 दिसंबर को ICC से ख़बर आई. इसके 'ऑफ़िस ऑफ़ प्रॉसिक्यूटर' ने कहा कि वो इन कथित अपराधों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकते. इसलिए कि ये अपराध जहां हो रहे हैं, वो चीन का इलाका है. और चीन ICC के सदस्य देशों में नहीं आता.
अपील में एक और बात कही गई थी. निर्वासन में रह रहे उइगरों का कहना था कि चीन उन्हें जबरन विदेशों से डिपोर्ट करवा रहा है. ताज़िकिस्तान और कंबोडिया जैसे मुल्कों में रह रहे चीनी उइगर जबरन शिनजियांग ले जाए जा रहे हैं. ये दोनों तो ICC के सदस्य हैं. ऐसे में ICC यहां तो दखल दे ही सकता है. ऑफ़िस ऑफ़ प्रॉसिक्यूटर ने इस अपील को भी खारिज़ कर दिया. ये कहकर कि इन शिकायतों का फिलहाल कोई आधार नहीं.
International Criminal Court
इंटरनैशनल क्रिमिनल कोर्ट का मुख्यालय नीदरलैंड्स में है. (एएफपी)


ऑफ़िस ऑफ़ प्रॉसिक्यूटर भले इस डिपोर्टेशन वाली बात पर 'नो बेसिस टू प्रोसीड ऐट दिस टाइम' कहे, मगर ये डिपोर्टेशन हो तो रहे हैं. इंटरनैशनल मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, उइगरों पर हो रहे जुल्म बस चीन तक सीमित नहीं. चीन से भागकर विदेश पहुंचे उइगरों को भी टारगेट किया जा रहा है. शिनजियांग में बचे उनके परिवारों के सहारे ब्लैकमेल करके उन्हें वापस चीन आने को मज़बूर किया जा रहा है.
मेंग होंगवेई की कहानी
आपको पता है, इंटरपोल के एक बड़े अधिकारी थे- मेंग होंगवेई. चीन के रहने वाले मेंग 2016 में इंटरपोल के प्रेज़िडेंट रहे थे. सितंबर 2018 में वो किसी काम से चीन गए और लापता हो गए. दो हफ़्ते बाद ख़बर आई कि चीन ने उन्हें हिरासत में रखा है. ख़बरों के मुताबिक, इस डिटेंशन की वजह उइगरों से जुड़ी थी. चीन चाहता था कि मेंग इंटरपोल में अपने ओहदे का इस्तेमाल कर विदेश भागे चीनी उइगरों के खिलाफ़ वॉरंट निकालें. उन्हें वापस चीन लाने में मदद करें. मगर मेंग इससे हिचक रहे थे. इसी नाराज़गी में चीन ने उन्हें डिटेन किया था.
ये भी ऑन-रेकॉर्ड है कि चीन फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में रह रहे उइगरों तक को तंग करता है. उन्हें फ्रांस के अपने घर, दफ़्तर, बच्चों के स्कूल, फ़ोटो, उनके पहचान पत्र की स्कैन्ड कॉपी, उनके मैरिज़ सर्टिफ़िकेट, ये सारी जानकारियां देने के लिए फोर्स करता है. आप समझिए कि चीन के अपराध का दायरा कितना इंटरनैशनल है. इसके बावजूद इंटरनैशनल संस्थाएं कोई ऐक्शन नहीं ले पातीं.
Meng Hongwei
मेंग होंगवेई, इंटरपोल के एक बड़े अधिकारी रहे हैं. (एएफपी)


यहां तक कि ख़ुद को मुसलमानों का नुमाइंदा कहने वाले ईरान, तुर्की, सऊदी और पाकिस्तान जैसे देश भी उइगरों पर चुप्पी साधे रहते हैं. बल्कि इन चारों की तो चीन से बढ़िया दोस्ती है. जब फ्रांस और डेनमार्क में कोई मैगज़ीन इस्लाम पर कार्टून छाप दे, फ्रेंच राष्ट्रपति कट्टरपंथी इस्लाम पर बयान दे दें, तो यही देश पूरे ज़ोर-शोर से फ्रांस को बायकॉट करते हैं. हिंसक प्रतिक्रिया की धमकियां देते हैं. पर उइगरों के लिए बोलने की किसी को नहीं पड़ी. इस मामले में थोड़ा-बहुत जो भी स्टैंड लिया, ट्रंप ने लिया. उनके कारण चाहे जितने भी पॉलिटिकल हों, मगर शिनजियांग को लेकर ट्रंप प्रशासन ने चीन पर सेंक्शन तक तो लगाए.
Donald Trump
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप. (एपी)


ये सब बताने के बाद भी एक बात बची रह गई. शुरुआत में हमने चेहरा देखकर धर्म बताने वाली एक टेक्नॉलज़ी का ज़िक्र किया था. वो क्या बला है? ये बात भी शिनजियांग और उइगरों से जुड़ी है. एक रिसर्च संगठन है- IPVM. ये विडियो सर्विलांस की फील्ड में शोध करने वाले दुनिया के टॉप ऑर्गनाइज़ेशन्स में से एक है. पिछले हफ़्ते इनकी एक रिपोर्ट आई थी.
China Surveillance System
चीन विडियो सर्विलांस कर उइगर मुस्लिमों पर कुछ ऐसे नज़र रखता है. (एएफपी)


ये एक्सक्लूज़िव रिपोर्ट छपी थी 'वॉशिंगटन पोस्ट' में
इस रिपोर्ट में दो चाइनीज़ कंपनियों का नाम था. एक, ह्वावे. दूसरा, मेगवी. ये जो मेगवी कंपनी है, उसने फेशियल रिकॉगनिशन से जुड़ा एक ख़ास सॉफ़्टवेयर बनाया. ये सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल हुआ एक आर्टिफिशल इंटेलिज़ेंस से लैस कैमरा सिस्टम में. क्या ख़ासियत थी इस सिस्टम की? ये हज़ारों की भीड़ में खड़े लोगों का चेहरा स्कैन करके उस इंसान की उम्र, लिंग और उसकी नस्ल बता देता था. इस AI कैमरा सिस्टम की टेस्टिंग का काम किया चीन की टेलिकम्यूनिकेशन्स कंपनी ह्वावे ने.
इस सिस्टम की एक और ख़ासियत बताएं?
इसने अगर भीड़ में किसी उइगर को देखा, तो ये एक ख़ास उइगर अलार्म बजाएगा. इस अलार्म की मदद से चाइनीज़ पुलिस को पता लग जाएगा कि फलां गली, फलां जगह पर इतने उइगर हैं. फिर अपने सर्विलांस सिस्टम के विस्तृत डेटा के ज़रिये वो मिनटों में उन लोगों की पूरी कुंडली निकाल लेंगे.
दुनिया में CCTV का सबसे बड़ा जाल चीन के पास है. यहां कोई भी जगह CCTV की पहुंच से दूर नहीं. सोचिए, AI टेक्नॉलज़ी से लैस इस CCTV नेटवर्क के ज़रिये चीन के लिए उइगरों को टारगेट करना और कितना आसान हो जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, मेगवी का डिवेलप किया ये सॉफ़्टवेयर अपने जैसी इकलौती चीज नहीं है. चीन में ऐसी सैकड़ों कंपनियां हैं. जो सरकार को सर्विलांस और क्रूरता के हज़ारों नए-नए तरीके थमा रही हैं. यही डरावनी तस्वीर चीन की सच्चाई है.