क्रिस्टोफर नोलान की फिल्म प्रेस्टीज़ में दो हीरो हैं. ह्यू जैकमैन और क्रिश्चन बेल ( नौसिखिए, इसे वुल्वरीन और बैटमैन पढ़ें!) दोनो के बीच के झगड़े में एक वैज्ञानिक भी फिल्म में हैं. ये वैज्ञानिक हैं निकोला टेसला. फिल्म में निकोला टेसला के बारे में जो दिखाया गया है, उसकी कहानी अलग है मगर असल ज़िंदगी में टेसला सबसे सफल और रोचक वैज्ञानिकों में से एक है. टेसला मुख्य रूप से अपने करेंट के काम के लिए जाने जाते हैं. मगर इससे अलग भी टेसला के बारे में कई रोचक बातें हैं.
ऐडीसन के साथ करंट की जंग
टेस्ला पहले एडीसन के लिए काम करते थे. मगर बाद में दोनो वैज्ञानिक बिजली करंट के आविष्कार और उसे बेचने की कोशिशों में आपसी जंग तक पहुंच चुके थे. एडीसन के पास डायरेक्ट करेंट (डीसी) के सारे पेटेंट थे तो टेस्ला ने अपने साथी के साथ मिलकर अल्टरनेट करेंट (एसी) के सारे पेटेंट ले लिए. 1892 में एडीसन की कंपनी जनरल मोटर्स में मिल गई और टेसला को इस खेल में बढ़त मिल गई. 1893 में टेसला की कंपनी ने शिकागो में वर्ल्ड कोलंबियन एक्सपो को रौशन करने का ठेका जीता और दुनिया को दिखाया कि सुरक्षित बिजली संभव है. तो दुनिया को बिजली भले ही ऐडिसन ने दी हो मगर आज जो बिजली हम इस्तेमाल करते हैं वो टेसला की ही देन है.
शिकागो एक्सपो
भूकंप लाने वाली मशीन
टेसला ने एक भूकंप लाने वाली मशीन बनाई थी. कहा जाता है कि उन्होंने एक बार इसे चलाया तो अपनी और अपने आसपास की इमारतों को गिराने की हद तक हिला दिया. प्रसिद्ध लेखक मार्क ट्वेन को कब्ज़ की बड़ी शिकायत रहती थी. टेसला ने कहा कि वो मार्क का हाजमा दो मिनट में सही कर देंगे. मार्क को इसी मशीन से जुड़े प्लेटफॉर्म पर खड़ा कर दिया. 90 सेकेंड तक मशीन चली और इसके बाद मार्क भागते हुए टॉयलेट को गए.मोतियों से चिढ़
टेसला को मोतियों से इतनी चिढ़ थी कि वो मोती देख लें तो लोगों से बात नहीं करते थे. एक बार उनकी सेक्रेटरी मोतियों का हार पहन कर ऑफिस आई तो टेसला ने उसे सीधे घर वापस भेज दिया.
शुरुआती दौर में मशीनी बिजली बड़ी खतरनाक दिखती थी.
इंटरनेट और स्मार्टफोन
टेसला ने कई सिद्धांत बनाए मगर काम कम पर ही किया. टेसला ने सबसे पहले इंटरनेट और स्मार्ट फोन की कल्पना की. वो समझाते कि बिना किसी तार के एक जगह से दूसरी जगह सूचना भेजी जा सकती है. माने आपके हाथ में एक मशीन हो जिसमें मैं दूर कहीं से संदेश भेजूं और आपको टेलीग्राम मिल जाए.
निकोला टेसला
अगर ये वैज्ञानिक आलस न करता तो 100 साल पहले ही दुनिया को इंटरनेट मिल जाता. सात जनवरी के दिन ही ये आदमी दुनिया से गया था.