23 जून 1980. पिट्स एस 2-A नाम का एक छोटा एयरक्राफ्ट. संजय गांधी इसे उड़ाने निकले थे. एयरक्राफ्ट में एक मनूवर करते वक्त प्लेन क्रैश कर गया. इस दुर्घटना में संजय की मौत हो गई. इससे एक दिन पहले, यानी 22 जून को इंदिरा गांधी हिमाचल प्रदेश के पालमपुर स्थित चामुंडा देवी मंदिर के दर्शन के लिए जाने वाली थीं. प्लान संजय गांधी के साथ जाने का था. लेकिन इंदिरा-संजय की चामुंडा देवी यात्रा 20 जून को ही रद्द कर दी गई थी. ये बात सुनते ही मंदिर के पुजारी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. पुजारी के मुताबिक - कोई शासक देवी का अपमान नहीं कर सकता. वरना देवी उन्हें माफ नहीं करेंगी.
संजय के प्लेन क्रैश से पहले इंदिरा किस मंदिर नहीं गईं और पुजारी भड़क गया?
इंदिरा का प्लान संजय गांधी के साथ इस मंदिर जाने का था. मगर फिर प्लान कैंसल हो गया, कैसे हुआ, कोई नहीं जानता...

संजय गांधी की मौत. उससे पहले चामुंडा देवी मंदिर की यात्रा का रद्द होना. यात्रा किसने रद्द कराई? इसके बाद इंदिरा कब चामुंडा देवी दर्शन के लिए पहुंची. ये पूरा किस्सा नीरजा चौधरी ने अपनी नई किताब ‘How Prime Ministers Decide’ में बताया है.

जनवरी 1980 में इंदिरा गांधी एक बार फिर सत्ता पर काबिज हुईं. किताब के मुताबिक, जीत के बाद इंदिरा के करीबी अनिल बली ने उन्हें एक सुझाव दिया. बली ने कहा कि वो शपथ ग्रहण के बाद चामुंडा देवी के दर्शन के लिए जाएं. 15 जून को इंदिरा ने अपने पद की शपथ ली. शपथ के बाद राष्ट्रपति भवन से इंदिरा सीधे 12, विलिंगडन क्रिसेंट स्थित अपने आवास पहुंची. जहां उन्हें कीर्तन में हिस्सा लेना था.
कीर्तन के दौरान बली ने इंदिरा को एक बार फिर चामुंडा देवी जाने वाली बात याद दिलाई. जिस पर इंदिरा बोलीं,
“मुझे चार-पांच महीने का वक्त दीजिए.”
चार महीने बीते. मई 1980 के पहले हफ्ते में बाली को आरके धवन का एक लेटर मिला. धवन इंदिरा के निजी सचिव और सबसे करीबी सहयोगियों में से एक थे. लेटर में कहा गया था कि इंदिरा 22 जून, 1980 को चामुंडा देवी मंदिर जाना चाहती हैं. धवन ने लेटर में लिखा कि, इंदिरा 22 जून की शाम 4 बजकर 45 मिनट पर वहां पहुंचेंगी.
धवन के इस लेटर के बाद बाली चामुंडा देवी पहुंचे. वहां पूजा और बाकी कार्यक्रमों की व्यवस्था शुरू की. मंदिर में स्थानीय लोगों और उपासकों के लिए हवन और लंगर का आयोजन किया जाना था. बाली के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश की राम लाल सरकार के लगभग सभी मंत्री मंदिर में व्यवस्था में लगे थे. इंदिरा के दौरे से दो दिन पहले (20 जून को) चामुंडा देवी में एक मैसेज पहुंचा. मैसेज ये कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है. किताब के मुताबिक, ये बाद सुनते ही मंदिर के पुजारी ने बड़ी तीखी प्रतिक्रिया दी. पुजारी ने कहा,
“आप इंदिरा को बता दें कि ये चामुंडा है. यदि कोई साधारण प्राणी नहीं आ सकेगा तो देवी क्षमा कर देंगी. लेकिन यदि शासक अपमान करेगा तो देवी माफ नहीं करेंगी. देवी की अवमानना नहीं कर सकते.”
चामुंडा देवी मंदिर में 22 जून को इंदिरा तो नहीं पहुंची, लेकिन तय कार्यक्रम के मुताबिक कीर्तन और पूजा पाठ का आयोजन हुआ.
संजय गांधी का प्लेन क्रैश23 जून की सुबह अनिल बाली चामुंडा से 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित ज्वालामुखी मंदिर पहुंचे. तभी उनके सेक्रेटरी उनके पास दौड़ते हुए आए. सेक्रेटरी ने बताया कि पाकिस्तान रेडियो संजय गांधी के प्लेन क्रैश की खबर चला रहा है. जो कि सही थी. संजय का प्लेन स्टंट करते वक्त क्रैश कर गया था. संजय की मौत ने पूरे देश को हिला दिया था.

संजय की खबर आते ही बाली तुरंत दिल्ली के लिए रवाना हुए. वो सीधे इंदिरा के आवास पहुंचे. इंदिरा, संजय गांधी के शव के पास बैठी थीं. जैसे ही उन्होंने बाली को देखा तो वो उनके पास आईं. इंदिरा ने बाली से सवाल किया,
“क्या इसका मेरे चामुंडा न जाने से कोई संबंध है?”
इंदिरा की ये बात सुन बाली ने पहले उन्हें शांत कराया और बोले,
इंदिरा तक को नहीं पता था किसने कार्य़क्रम रद्द किया?“मैं इस बारे में आपसे बाद में बात करूंगा.”
संजय गांधी की मौत के चौथे दिन बाली 1, अकबर रोड पहुंचे. इंदिरा अभिनेता सुनील दत्त और उनकी पत्नी नरगिस के साथ खड़ी थीं. जैसे ही इंदिरा ने बाली को देखा, वो उनसे बात करने आईं. बाली ने बताया कि जिस दिन इंदिरा चामुंडा जाने वाली थीं, उस दिन क्या हुआ था?
किताब के मुताबिक, बाली को इंदिरा ने बताया कि, उन्हें नहीं पता कि किसने उनका कार्यक्रम रद्द किया था. इंदिरा और संजय को जम्मू से चामुंडा पहुंचना था. बाली के मुताबिक इंदिरा को बताया गया था कि चामुंडा में मौसम खराब है और वहां बहुत तेज बारिश हो रही है. आने वाले कुछ घंटों में हेलीकॉप्टर वहां नहीं उतर पाएगा. इसलिए उन्होंने एक दिन पहले ही दिल्ली लौटने का फैसला किया. ये बात बाली के गले से नहीं उतरी. बाली ने इंदिरा को बताया कि चामुंडा में मौसम खराब नहीं था. न ही बारिश हो रही थी. किसी ने इंदिरा की ओर से चामुंडा ना जाने का फैसला ले लिया था.
बाद में इंदिरा ने पुपुल जयकर को बताया कि संजय की मौत उनकी गलती थी. उन्होंने मंदिर में वो पूजा पाठ नहीं किए थे जो वो करना चाहती थीं. संजय की मौत के कुछ महीनों बाद इंदिरा के राजनीतिक सहयोगी एमएल फोतेदार ने बाली को फोन घुमाया. फोतेदार ने कहा,
“प्रधानमंत्री आपसे मिलना चाहती हैं. सुबह साढ़े सात बजे अवश्य पहुंचे.”
इसके बाद 13 दिसंबर, 1980 को इंदिरा गांधी चामुंडा देवी मंदिर के दर्शन करने पहुंची. जिस वक्त इंदिरा पूजा कर रही थीं, मंदिर के पुजारी के हाथ कांप रहे थे. किताब में बताया गया कि, जिस तरह इंदिरा पूर्णाहुति के लिए मंत्र पढ़ रही थीं, जिस तरह वो गर्भगृह में माथा टेकने के लिए झुकीं, या जब वो काली की पूजा के लिए मुद्राएं कर रही थीं, उन्होंने ये सब बड़ी परफेक्शन से किया.
चामुंडा देवी मंदिर में दर्शन के दौरान इंदिरा बस रो रही थीं. बाली ने बताया कि पुजारी ने इंदिरा से कहा,
“अब आपके पास 60 करोड़ बेटे-बेटियां हैं. आप इनको देखिए. और आज के बाद रोइएगा नहीं.”
मंदिर दर्शन के बाद इंदिरा ने ये सुनिश्चित किया कि संजय के नाम से चामुंडा में एक घाट बनाया जाए. कांग्रेस नेता सुखराम ने 80 लाख में इस घाट का निर्माण कराया. बाद में उन्हें केंद्रीय संचार मंत्री भी बनाया गया.
मंदिर में होती रही पूजा, चढ़ता रहा प्रसादबांग्लादेश की आजादी के बाद इंदिरा को ‘दुर्गा’ कहकर बुलाया जाने लगा था. देवी दुर्गा का अवतार कहे जाने वाले इस 16वीं शताब्दी के मंदिर में इंदिरा के नाम पर उनकी मौत होने तक पूजा होती रही. जब तक इंदिरा थीं, मंदिर का प्रसाद दिल्ली पहुंचाया जाता था. अनिल बाली के मुताबिक इंदिरा एक लिफाफे में पैसे रखकर उन्हें दे देती थीं. हर दो महीने में बाली इंदिरा से 101 रुपए लेकर मंदिर में दान कर दिया करते थे.
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