8 अक्टूबर 2025 को इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) ने अपनी स्थापना के 93 (93rd Air Force Day) साल पूरे कर लिए. हाल के दिनों में ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में सबने इंडियन एयरफोर्स का दम देखा. इससे पहले बालाकोट (Balakot Air Strike) और कारगिल (Kargil War) की जंग में भी एयरफोर्स ने शानदार काम किया. 1971 (1971 War) में तो पाकिस्तान के दो टुकड़े तक करवाए. लेकिन आज कहानी जानेंगे उस जंग की जब पहली बार भारत ने कायदे से एयरफोर्स को जंग में उतारा था. ये कहानी है 1965 की भारत-पाकिस्तान (India Pakistan War 1965) जंग की.
एयरफोर्स डे पर विशेष: भारत ने कैसे की थी पाकिस्तान के 'सरगोधा' पर एयरस्ट्राइक?
Indian Air Force Day पर इतिहास की ये कहानी हमें याद दिलाती है कि हमेशा जरूरत पड़ने पर हमारे जांबाज Air Warriors देश की सेवा में तत्पर रहते हैं.


1965 का साल था. अगस्त का महीना था इसलिए भारत अपने स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों में लगा था. लेकिन देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के माथे पर चिंता की लकीरें थीं. वजह, एक पड़ोसी. 3 साल पहले 1962 में चीन ने भारत पर हमला किया था. भारत का इसमें काफी नुकसान हुआ. देश गरीबी और आर्थिक संकट से उबरने की कोशिश कर रहा था. पर दूसरे पड़ोसी पाकिस्तान को ये मंजूर नहीं था कि उसका पड़ोसी भारत तरक्की करे. पाकिस्तान में उस समय आर्मी के चीफ फील्ड मार्शल अयूब खान का शासन था.
एक कहावत है कि जब सीधी उंगली से घी न निकले तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है. लिहाजा पाकिस्तानी प्रेसिडेंट अयूब खान ने उंगली टेढ़ी की. पहले तो उन्होंने 1965 की शुरुआत से ही ऑपरेशन जिब्राल्टर (Operation Gibralter) लॉन्च किया. मकसद था जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने का. पर वहां उनकी दाल नहीं गली. इस नाकामी से खीझ कर अयूब खान ने भारत पर सीधी सैन्य कार्रवाई करने का फैसला किया. 24 अप्रैल 1965 को पाकिस्तान ने कच्छ के रण पर हमला किया. पाकिस्तानी फौज भारतीय सीमा के अंदर घुसने लगी.

अब जवाब देने की बारी भारत की थी. देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सेना को पाकिस्तान पर जवाबी हमला करने का आदेश दिया. भारत ने हमला शुरू किया और तबतक अगस्त का महीना आ चुका था. भारत की सेना पाकिस्तानी सेना से लोहा लेने लगी. इस जंग में इंडियन एयरफोर्स भी एक प्रमुख भूमिका में थी. उस समय एयरफोर्स की कमान एयर मार्शल अर्जन सिंह के हाथ में थी. एयरफोर्स ने पाकिस्तान की कमर तोड़ने के लिए चुना उसके सबसे महत्वपूर्ण हवाई ठिकाने सरगोधा एयरबेस को.

जंग छिड़ चुकी थी. भारत की सेना लगातार बढ़त बना रही थी. इसी कश्मकश में अगस्त का महीना बीत गया. अब तक दोनों देशों ने खुलकर एयरफोर्स का इस्तेमाल नहीं किया था. हां, कुछ हमले जरूर एयरफोर्स के विमानों द्वारा समय-समय पर किए जा रहे थे. और इन सब में पाकिस्तान को जिस जगह से सबसे अधिक फायदा मिल रहा था, वो था उनका सरगोधा एयरबेस. यहां से उड़ान भरने वाले पाकिस्तानी जेट्स भारत को परेशान कर रहे थे. सरगोधा से उड़ने वाले विमानों के लिए भारत का अमृतसर, फिरोजपुर और पोरबंदर में लगे एयररफोर्स के रडार और पठानकोट, हलवारा और जामनगर एयरबेस को निशाना बनाना आसान था.

अपने प्लान के मुताबिक पाकिस्तानी एयरफोर्स के चीफ नूर खान ने 6 सितंबर की शाम भारत पर हमला बोला. पाक एयरफोर्स ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया. यहां उनकी किस्मत अच्छी थी. पर हलवारा एयरबेस पर इंडियन एयरफोर्स की जवाबी कार्रवाई के आगे उनका प्लान काम नहीं आया. और तो और, पाक एयरफोर्स के सबसे सम्मानित फाइटर पायलट्स में से एक स्क्वाड्रन लीडर सरफ़राज़ रफीकी के जेट को इंडियन एयरफोर्स ने मार गिराया. इसके बाद पाकिस्तानी एयरफोर्स ने तय किया कि अब से वो दिन के समय भारत में हमला नहीं करेंगे.

भारत के एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल अर्जन सिंह ने पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से देने का फैसला किया. लिहाजा तैयारियां शुरू की गईं. पाकिस्तान ने भारत के हलवारा और आदमपुर एयरबेस पर अपने स्पेशल सर्विसेज ग्रुप (SSG) को पैरा ड्रॉप किया था. साथ ही इन ठिकानों पर पाकिस्तान ने रात भर B57 से बम गिराए. पर बावजूद इसके बेस में तैयारियां जारी रहीं. वायुसेना के अधिकारी, पायलट्स और जवान अपने जहाजों को तैयार करने और मिशन की ब्रीफिंग में लगे रहे.

भारत ने आगरा एयरबेस से 5th स्क्वाड्रन के कैनबरा बॉम्बर्स, आदमपुर बेस पर तैनात 1 और 8 स्क्वाड्रन के मिस्टियर जेट्स, और हलवारा में तैनात 7 और 27 स्क्वाड्रन के हंटर जहाजों को इस मिशन के लिए चुना. मिशन था पाकिस्तान के सरगोधा एयरबेस को तबाह करना.

सरगोधा एयरबेस पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में किराना की पहाड़ियों के पास स्थित है. ये पाकिस्तान का एक बहुत ही अहम मिलिट्री ठिकाना है. पाकिस्तान ने इसी बेस पर अपने नए-नवेले खरीदे गए विमान F86F Sabre को तैनात किया था. साथ ही ये पाकिस्तान के Flight Leaders School (FLS) का भी सेंटर था. सरगोधा के बारे में कहा जाता था कि ये उस समय एशिया का सबसे उन्नत एयरबेस है जहां रडार जाम करने से लेकर तकनीकी तौर पर सबसे उन्नत कमांड सेंटर है. इसके आसपास कई और छोटे बेस जिन्हें Allied Base कहा जाता है, वो भी बनाए गए थे. इनमें पश्चिम की तरफ छोटा सरगोधा, पूर्व में भगतनवाला और उत्तर में वाघोवाल एयरफील्ड थे. मुख्य बेस को सरगोधा कॉम्प्लेक्स कहा जाता था.

सरगोधा पर पहला बम गिराया इंडियन एयरफोर्स की 5th स्क्वाड्रन ने. कैनबरा बॉम्बर जहाजों वाली इस स्क्वाड्रन ने 6 सितंबर की आधी रात को हमला किया. सरगोधा एयरबेस को इससे मामूली नुकसान पहुंचा पर पाकिस्तान को ये समझ आ गया कि भारतीय इतने में चुप नहीं बैठेंगे. खैर, रात बीती और 7 सितंबर की सुबह इंडियन एयरफोर्स की 1 स्क्वाड्रन ने हमला किया. फ्रेंच कंपनी Dassault Aviation के मिस्टियर जहाजों वाली 1 स्क्वाड्रन को लीड कर रहे थे विंग कमांडर ओपी तनेजा. कुछ समय पहले आई बॉलीवुड फिल्म Sky Force में इन्हीं के किरदार को अक्षय कुमार ने निभाया है. विंग कमांडर तनेजा के नेतृत्व में मिस्टियर जहाज पाकिस्तान के सरगोधा की तरफ बढ़ रहे थे. वो सरगोधा से लगभग 2 मिनट की दूरी पर थे तभी पाकिस्तानी रडार ने उन्हें इंटरसेप्ट कर लिया.

हालांकि इंडियन एयरफोर्स सफलतापूर्वक पाकिस्तानी रडार्स को लांघते हुए सरगोधा के ऊपर पहुंच गई. विंग कमांडर तनेजा ने देखा कि एक C130 जहाज को पाकिस्तानी वायुसेना ने बड़े जतन से पार्क किया हुआ है. उन्होंने उसे ही अपना टारगेट चुन लिया. विंग कमांडर तनेजा ने विमान पर 68mm SNEB रॉकेट्स से हमला किया. उनके साथ उनके नंबर 2 फ्लाइट लेफ्टिनेंट वर्मा और नंबर 3 स्क्वाड्रन लीडर एबी देवय्या थे. इन्हीं स्क्वाड्रन लीडर देवय्या का किरदार Sky Force में एक्टर वीर पहाड़िया ने निभाया है.

फ्लाइट लेफ्टिनेंट वर्मा और स्क्वाड्रन लीडर देवय्या ने सरगोधा बेस पर खड़े जेट्स पर रॉकेट दागे. तभी विंग कमांडर तनेजा ने देखा कि पाकिस्तान के Sabre और Starfighter हमले के लिए तैयार हो रहे हैं. उन्होंने अपने से एक मिनट की दूरी पर 4 मिस्टियर जहाजों के फॉर्मेशन को इसकी जानकारी दी. स्क्वाड्रन लीडर D E Satur के नेतृत्व में 4 जहाजों के 'पिंक फॉर्मेशन' ने हमला किया. इस हमले में एक स्टारफाइटर और कई सैबर नष्ट हो गए. पाकिस्तान ने तुरंत इन मिस्टियर जहाजों के लिए चार सैबरजेट और एक स्टारफाइटर को रवाना किया. हालांकि मिस्टियर जहाज सफलतापूर्वक आदमपुर बेस पर लौट आए. वापस आकर उन्हें समझ में आया कि उनके एक साथी स्क्वाड्रन लीडर देवय्या वापस नहीं लौटे हैं.

देवय्या कर्नाटक के कुर्ग,मदिकेरी के रहने वाले थे. साथ ही वो ऐसे समुदाय से आते थे जिनका फौज से गहरा लगाव था. उनके 'Kodava' समुदाय ने देश को एक से बढ़कर एक जांबाज़ दिए थे. पर वो सरगोधा पर हमले के बाद वापस नहीं लौटे. जब वो वापस लौट रहे थे, तब सरगोधा से करीब 15 मील की दूरी पर उन्हें एक पाकिस्तानी स्टारफाइटर दिखा जो हमले की मुद्रा में डाइव लगा रहा था. स्टारफाइटर ने देवय्या पर हमला किया. पर एक तीखा टर्न लेने से वो हमले में हताहत होने से बच गए. पर उस हमले ने उनके मिस्टियर के रेडियो को डैमेज कर दिया. पाकिस्तानी जेट को लगा कि देवय्या का जेट डाउन हो गया है और वो वापस लौटने लगा.
पर देवय्या बच गए. अब उनके सामने दो रास्ते थे. या तो वापस अपने बेस पर लौट जाएं, क्योंकि डैमेज होने के बावजूद उनका जेट अभी उड़ने लायक था. दूसरा ऑप्शन ये था कि वो स्टारफाइटर से पंगा लें जो उनके साथियों की तलाश कर रहा था. चूंकि उनका रेडियो तबाह हो चुका था इसलिए वो विंग कमांडर तनेजा को सावधान भी नहीं कर सकते थे. साथ ही इस स्टारफाइटर को किसी ने डिटेक्ट नहीं किया था. लिहाजा स्क्वाड्रन लीडर देवय्या ने फैसला किया कि चाहे जो हो जाए पर वो अपने साथियों को इस स्टारफाइटर का निशाना नहीं बनने देंगे. लिहाजा वो अपने साथियों और स्टारफाइटर के बीच आ गए.
स्क्वाड्रन लीडर देवय्या जानते थे कि उनके मिस्टियर और पाकिस्तानी स्टारफाइटर का कोई मुकाबला नहीं है. फिर भी वो अकेले उससे भिड़ गए. उन्होंने स्टारफाइटर को अपने साथ उलझा लिया. पर एक चीज़ जो करना स्टारफाइटर के लिए आसान नहीं था, वो था तुरंत टर्न लेना और हवा में कलाबाज़ी. कुछ देर तक उसे हवा में छकाने के बाद देवय्या उसे अपनी रेंज में लेकर आए और लगभग 250 गज की दूरी से उन्होंने पाकिस्तानी जेट पर अपने मिस्टियर में लगी DEFA Cannon से हमला किया. पाकिस्तानी पायलट अमजद हुसैन का कंट्रोल सिस्टम जाम हो गया. हालांकि वो जहाज से इजेक्ट करने में कामयाब रहे.

इसके बाद स्क्वाड्रन लीडर देवय्या का कभी पता नहीं चला. कुछ ख़बरें और रिपोर्ट्स बयां करती हैं कि स्क्वाड्रन लीडर देवय्या का जेट हिंदुआना गांव के पास क्रैश हुआ था. स्टारफाइटर के हमले में उनकी इजेक्शन सीट खराब हो गई थी. गांव के लोगों को उनका शव मिला जिसे उन्होंने पास के मैदानों में दफना दिया. और इस तरह भारत के जांबाज़ फाइटर पायलट स्क्वाड्रन लीडर देवय्या कभी घर नहीं लौटे.
इसके बाद 1980 में विंग कमांडर तनेजा ने पाकिस्तान द्वारा हायर किए गए युद्ध इतिहासकार John Frickr द्वारा कही गई बातों को परखा. जॉन के मुताबिक सरगोधा में एक पाकिस्तानी स्टारफाइटर को इंडियन एयरफोर्स के मिस्टियर ने मार गिराया था. जॉन ने पाक एयरफोर्स से मिले फीडबैक के बाद ये रिपोर्ट दी थी.

इसके बाद विंग कमांडर तनेजा ने फैसला किया कि वो अपने साथी स्क्वाड्रन लीडर देवय्या की वीर गाथा वो पूरे देश तक पहुंचाएंगे. उन्होंने स्क्वाड्रन लीडर देवय्या से जुड़े सभी किस्सों को एक साथ समेटा और तत्कालीन एयरफोर्स चीफ को भेजा. उन्होंने स्क्वाड्रन लीडर देवय्या को महावीर चक्र देने की मांग की. साल 1988 में उन्हें महावीर चक्र दिया गया. उनकी तरफ से उनकी पत्नी सुंदरी देवय्या ने महावीर चक्र प्राप्त किया.

आज भी लोग जब उनकी कहानी बताते हैं, तो सुनने वाले अचंभित हो जाते हैं क्योंकि उस दौर में एक मिस्टियर से एक स्टारफाइटर को मार गिराना लगभग नामुमकिन था. मिस्टियर को फ्रांस की कंपनी Dassault Aviation ने बनाया था. वही Dassault जिसका राफेल भारतीय वायुसेना आज इस्तेमाल कर रही है. मिस्टियर को हवा की लड़ाई के लिए नहीं बल्कि हवा से जमीन पर मार करने के लिए जाना जाता था. पर स्क्वाड्रन लीडर देवय्या ने इसे पाकिस्तानी जेट का काल बना दिया. आज भी इंडियन एयरफोर्स में ऐसे बहादुर एयर वारियर्स की कमी नहीं है जो दुश्मन को मारने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. 2019 में हमने देखा की कैसे एक 50 साल से अधिक पुराने मिग-21 से अभिनंदन ने पाकिस्तान के उन्नत F-16 का पीछा कर उसे मार गिराया था. जबकि उन्हें पता था कि तकनीकी रूप से F-16 उनके मिग से बहुत आगे है. लेकिन ये सालों की उस विरासत को बचाए रखने का जज्बा ही है जो न जाने कितने देवय्या और अभिनंदन आगे भी पैदा करता रहेगा.
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