माइग्रेंट वर्कर्स को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर क्यों नहीं?
वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कहा पैकेज के दो एलिमेंट हैं. पहला सप्लाई साइड. इसके लिए कई कदम उठाए गए हैं. प्राइवेटाइजेशन, एग्रिकल्चर को खोलना, लेबर्स लॉ में बदलाव करना, माइनिंग और अन्य सेक्टर को लेकर कई फैसले हैं. दूसरी बात ये है कि डिमांड बढ़ाने के लिए हमने क्या किया? हमने पहले आर्थिक पैकेज में कैश को लेकर बहुत कुछ किया. उनके खातों में कैश ट्रांसफर किया, राशन पहुंचाया. इस पैकेज में हमने मनरेगा का बजट बढ़ाया है. हमें पता है कि लोग गांवों की तरफ लौट रहे हैं तो उन्हें रोजगार चाहिए.क्या आप सरकार के फैसले से संतुष्ट हैं?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के निदेशक रथिन रॉय का कहना है कि अपने संसाधनों को जुटाना और अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करने के लिए उन्हें तैनात करना अच्छा विचार है. सरकार ने उधार लेने की सुविधा दी है, लेकिन यह व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए है. यही वजह है कि कुछ लोग निराश हैं. लेकिन सरकार ने कभी नहीं कहा कि यह प्रोत्साहन एक राजकोषीय प्रोत्साहन होगा. इसके पहले चरण में बहुत कुछ किया गया था. उन्होंने अब कहा है कि x, y, z होगा, लेकिन हम नहीं जानते कि कब होगा. सुधारों को आगे बढ़ाने का यह अच्छा समय है.कैश ट्रांसफर पर सरकार का तर्क कितना सही?
अर्थशास्त्री और पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी ने कहा कि हम पिछले दो महीने से लॉकडाउन में है. 60 प्रतिशत अर्थव्यवस्था बंद है. मेरे लिए यह पूरी डिबेट एक अलग लेवल पर हो रही है. लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था को लेकर दो प्रमुख मुद्दे थे. आप उत्पादकों को उत्पादन और बिक्री नहीं करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी भी अपने कानूनी दायित्वों जैसे किराया, ब्याज आदि देना है. वो कैसे देंगे. दूसरा है संपत्ति या आजीविका के बिना लोग कैसे सर्रवाइव करें इस पर ध्यान देने की जरूरत है. समस्या यह कानूनी विषमता है. कुछ राज्यों ने यह कहते हुए इसे जोड़ा कि सभी कंपनियों को 100 प्रतिशत कर्मचारियों को 100 प्रतिशत मजदूरी का भुगतान करना होगा. RBI और सरकार मिलकर काम कर रहे हैं. सरकार कर्ज के लिए गारंटी प्रदान करने को लेकर खुश है.ग्लोबल पैकेज से किस तरह तुलना होनी चाहिए?
हार्वड बिजनेस स्कूल के सीनियर लेक्चरर विक्रम गांधी का कहना है कि पैकेज में रिफॉर्म को लेकर कुछ ऐलान सही हैं. MSME के लिए उठाया गया कदम अच्छा है. अगर लिक्विडिटी एक मुद्दा है तो सरकार लोगों को समय पर भुगतान क्यों नहीं करती है? MSMEs का लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपये का भुगतान समय पर नहीं हुआ है. गैर-सरकारी क्षेत्र को समय पर भुगतान नहीं मिलता है. बड़े उपायों की घोषणा करना बहुत अच्छा है, लेकिन उन्हें समय पर लागू करने की आवश्यकता है.प्रवासी संकट पर दो राय नहीं
संजीव सान्याल ने कहा कि प्रवासी संकट को लेकर कोई दो राय नहीं है. भारतीयों को नुकसान नहीं उठाना चाहिए. हम चीजों को स्थानांतरित कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग दरार के माध्यम से गिरते हैं. यहां तक कि अगर हम उनके लिए बड़ी राशि ट्रांसफर करते हैं, तो यह सड़कों पर चलने वालों की मदद नहीं करेगा. कई कारणों से, इन लोगों के पास जन धन खाते नहीं हैं, उन्हें सरकार से राशन नहीं मिलता है. हमें गरीबों तक पहुंचने के लिए दूसरे रास्ते तलाशने होंगे. उदाहरण के लिए, हमें उनके घर जाने के तरीके बनाने की आवश्यकता है. यह विचार कि टॉप-डाउन ट्रांसफर से सबकुछ हल हो जाएगा, सच नहीं है. हमने उनके खातों में कैश ट्रांसफर किया है. हम उनके गांवों में मनरेगा रोजगार सृजित कर रहे हैं और MSMEs को कर्ज देकर उन्हें रोजगार में वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं.भारत के आर्थिक पैकेज का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
समीरन चक्रवर्ती का कहना है कि हमारे अधिकांश ग्राहक कहते हैं कि इन सुधार उपायों का एक बड़ा हिस्सा नया नहीं है. हम उनके बारे में जानते हैं, लेकिन जब सरकार इन सुधारों को एक बार में इस तरह दोहराती है तो यह उस दिशा को इंगित करता है जिसमें सरकार अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना चाहती है. खासकर कृषि में सुधार. अगर हम आने वाले महीनों में इन विचारों को लागू करते हैं, तो चीजें बड़े पैमाने पर बदल जाएंगी. प्रांजल भंडारी का कहना है कि इस पैकेज का मतलब संतुलन बनाना था, क्योंकि इस समय बहुत सारे परस्पर विरोधी उद्देश्य हैं. उन देशों में जहां सप्लाई साइड स्मूथ है, आपको बस एक वित्तीय प्रोत्साहन देना है और मांग बढ़ जाएगी. भारत अलग है. यह एक बेहतर विचार होता अगर वे इन सभी सुधारों के लिए एक समयसीमा तय करते.सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं
रथिन रॉय का कहना है कि सुधारों को लेकर इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड वास्तव में अच्छा नहीं है. यह एक अर्थशास्त्री का पैकेज नहीं है. हमने ये सभी वादे सुने हैं और देखा है कि कुछ भी नहीं हुआ है. मुझे सरकार से सहानुभूति है, जानते हैं कि उनकी बैंडविड्थ क्या है. मेरी एकमात्र पहेली ये है कि अगर ये ऐसी चीजें थीं जिनकी आप घोषणा करना चाहते थे, तो दो महीने इंतजार क्यों किया. जहां तक प्रवासी मुद्दे की बात है, तो उसे राहत देना सरकार के लिए मुश्किल नहीं होना चाहिए. इस मुद्दे को राज्य सरकार द्वारा हल किया जा सकता है, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय राहत कोष से लक्षित राहत नहीं मिल रही है.लॉकडाउन में अब आपकी सैलरी कटेगी, सरकार ने कंपनियों को खुली छूट भी दे दी है!