एक लड़की शादी करके अपने ससुराल आती है. सुहागरात पर उसका पति कमरे में आता है, पति के हाथों में सफ़ेद धागे का एक गुच्छा है. देखकर लड़की घबरा जाती है. वो जानती है कि क्या होने वाला है. क्योंकि ऐसा वो अपने घर की औरतों से हमेशा से सुनती आई है. पति ये चेक करने वाला है कि उसकी बीवी वर्जिन है या नहीं. लड़की रोती रहती है. थोड़ी देर बाद उसका पति वो धागा लेकर बाहर जाता है. चीख-चीखकर सबको बताता है,
'अरे, वो ख़राब है.' लड़के के घर वाले अब उस नई दुल्हन से उसके पुराने बॉयफ्रेंड का नाम पूछते हैं. लड़की रो-रोकर कहती रह जाती है कि उसने कभी ऐसा कुछ नहीं किया है. ससुराल वाले उसको खूब पीटते हैं. कहते हैं, पंचायत के सामने वो लड़की मान ले कि उसके जीजा के साथ उसके फिजिकल रिलेशन थे. रोज़ की पिटाई से थककर एक दिन वो लड़की मान लेती है. अब ससुराल वाले लड़की के पिता और जीजा के पीछे पड़ जाते हैं. खूब सारा पैसा मांगते हैं. लड़की के वर्जिन ना होने की भरपाई के तौर पर. जब तक पैसा नहीं मिल जाता. लड़की को जानवरों से भी बुरी तरह पीटते हैं. जैसे ही पैसा मिल जाता है, वो बहू घर में सबकी दुलारी हो जाती है.
ये सावधान इंडिया के किसी एपिसोड की कहानी नहीं है. शुद्ध खालिस सच्चाई है.
सौ सालों से भी पुराने इस घटिया से तरीके को 'कुकरी प्रथा' कहते हैं. राजस्थान में रहने वाले 'सांसी' समुदाय के लोग आज भी इन प्रथा को मानते हैं.
2014 में विजय एन शंकर की एक किताब आई थी शैडो बॉक्सिंग विद द गॉड्स. किताब में हमारे समाज की ऐसी बहुत सारी बुराइयों का ज़िक्र है. जो आज भी चली आ रही हैं. उसमें इन गलीज तरीकों का भी ज़िक्र है.
राजपूतों के घरानों से सीखा और अपना बिज़नेस बना लिया

इसकी शुरुआत कुछ इस तरह से हुई थी कि जब विदेशी भारत आए. वो औरतों को उठाकर ले जाते थे. उनका रेप करते थे. फिर जहां मन करता था, फेंककर चले जाते थे. उस ज़माने में राजपूत अपनी नई बियाही बहुओं की वर्जिनिटी जांचने के लिए धागे का इस्तेमाल करते थे. चेक करना चाहते थे कि जो लड़की उनके घर बहू बनकर आई है. कहीं उसके साथ भी तो रेप नहीं हुआ था. फिर वक़्त के साथ राजपूतों के घरानों से ये घटिया प्रथा ख़त्म हो गई. उनकी उतरन सांसी समुदाय वालों ने ओढ़ ली. और ऐसी ओढ़ी कि इसको अपना बिज़नेस ही बना लिया.
हाल तो ये है कि लड़के वाले दुआ करते हैं कि उनकी होने वाली बहू वर्जिन ना हो. ताकि उसके मायके वालों और पुराने बॉयफ्रेंड से लाखों रुपए वसूल किए जा सकें. अगर लड़की वर्जिन होती है, तब भी उसको मारपीट कर किसी का फर्जी नाम लेने के लिए मजबूर कर दिया जाता है. जब पैसे या ज़मीन मिल जाती है. लड़की घर की मालकिन बन जाती है. एक तरह से ये दहेज़ के बाद एक और दहेज़ चूसने का तरीका है.
इस मुद्दे पर पंचायत भी अक्सर लड़के वालों के परिवार की ही तरफदारी करता है. पंचायत की एक बैठक में बीस-पच्चीस हज़ार रूपए से ज्यादा पैसे लग जाते हैं. लड़की के परिवार वाले पहले ही शादी में इतना खर्च कर चुके होते हैं. पंचायत को बुलाने के पैसे अक्सर नहीं होते. फिर मुआवजा देने के लिए भी पच्चीस-तीस हज़ार चाहिए होते हैं. फिर एक तरफ वो लड़का होता है. जिसका नाम लड़की के ससुराल वालों ने जबरदस्ती उससे कुबूल करवाया होता है. भले उस लड़के के लड़की से फिजिकल रिलेशन ना भी हों. तब भी उसको पैसे देने ही पड़ जाते हैं.
इससे भी सुकून ना हो, तो लड़की को पानी में सांस रोककर खड़ी कर दो
कई बार कुकरी वाले तरीके से पंचायत सहमत नहीं होती. तो लड़की अब
पानी की दीज टेस्ट देगी. लड़की को किसी नदी या तालाब में डुबकी लगा कर, सांस रोककर रहना है. एक आदमी जो ना लड़के वालों की तरफ से है, ना लड़की वालों की तरफ से, वो ज़मीन पर 100 कदम चलेगा. मान लो उसको लगेंगे 120 सेकंड. तब तक लड़की को अपनी सांस रोके पानी के अन्दर ही रहना होगा.

पानी की दीज
अगर उसने ऐसा कर लिया, तो लड़की 'पवित्र' है. कई बार लड़की 2 मिनट सांस रोके पानी के भीतर नहीं रह पाती. उसको गुनहगार माना जाता है. फिर जैसा कि रिवाज़ है, लड़के वाले पैसों के लिए लड़की के घरवालों पर चढ़ बैठते हैं.
गर्म लोहे से आज भी देनी पड़ती है अग्नि परीक्षा
वर्जिनिटी जांचने का ये वाला तरीका भी सांसी समुदाय में औरतों पर अपनाया जाता है. गर्म लाल लोहे का 2 किलो का टुकड़ा. उसको अपने हाथों पर रखकर औरत को चलना पड़ता है. लोहे और हाथों के बीच में गुंथा हुआ थोड़ा सा आटा और पान के 7 पत्ते रख दिए जाते हैं. नियम सिर्फ ये है कि अगर औरत वर्जिन है, उसका हाथ नहीं जलेगा. अगर जल गया तो उसकी पिटाई होगी और उसके पापा को लाखों रुपए देने पड़ेंगे. अगर हाथ नहीं जला, तो लड़के के घर वाले पैसे देंगे.

लोहे का जलता टुकड़ा और अग्नि परीक्षा
सबसे पहली बात तो ये. कि साल 2016 चल रहा है. इंसान तरक्की कर रहा है. वक़्त बहुत आगे निकल आया है. अभी भी इस तरह की बातें पढ़ने-सुनने को मिल जाती हैं. वर्जिनिटी को लेकर बहुत जगहों पर इतनी हाय-तौबा आज भी है.
आज भी बहुत सारी औरतों के लिए जीने का यही तरीका है. उनपर शक. उनकी वर्जिनिटी को लेकर खामखां का बवाल. और फिर वक़्त-बेवक्त की पिटाई. कुछ औरतें तो हिम्मत करके पुलिस या प्रशासन में शिकायत कर भी देती हैं. लेकिन अक्सर पुलिस भी लड़के के परिवार का ही साथ देती है. इसके अलावा जो ये धागा, पानी, आग का इस्तेमाल करके शरीर के अन्दर का हालचाल पता लगाने के दावे किए जाते हैं. उससे लड़की के शरीर और दिमाग पर कितना बुरा असर पड़ता होगा.
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