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लॉकडाउन लगा तो सैकड़ों एकड़ में उगाई सब्जियां फ्री में बांटने लगा ये किसान

हर रोज 5000 परिवारों को फ्री में सब्ज़ी बांट रहे हैं संदीप लोहान.

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इस लॉकडाउन में संदीप लोहान करीब 5000 परिवारों को सब्जियां बांट रहे हैं.
इस लॉकडाउन में कई लोग मदद के लिए आगे आए हैं. अपने-अपने तरीके से जरूरतमंदों की हेल्प कर रहे हैं. ताकि कोई भूखा न रहे.  मध्य प्रदेश का एक जिला है मंडला. आदिवासी बहुल इलाका है. यहां कुछ किसान और सामाजिक संगठन मिलकर लोगों को फ्री में सब्जियां बांट रहे हैं. इनमें से एक हैं संदीप लोहान. उन्होंने अपने फार्म हाउस के दरवाज़े ज़रूरतमंदों के लिए खोल दिए हैं. लॉकडाउन के ऐलान के साथ ही वो अपने खेतों में लगी सब्जियां गरीबों में बांट रहे हैं. मंडला और डिंडोरी जिले में अधिकांश समाज सेवी और राजनीतिक दल इनके खेत से गाड़ियां भर-भर कर सब्जियां ले जाते हैं और ज़रूरतमंदों को बांटते हैं.
सब्जियां तोड़ने के काम में लगे मजदूरों को संदीप अपनी जेब से मजदूरी दे रहे हैं. सब्जियां तोड़ने के काम में लगे मजदूरों को संदीप अपनी जेब से मजदूरी दे रहे हैं.

अमूमन इस मौसम में इन सब्जियों की मांग काफी होती थी. रेट भी अच्छा मिलता था. संदीप लोहान को घाटा हो रहा है. लेकिन उन्हें इसकी चिंता नहीं है. वो अपने पैसे से सब्जी तोड़ने और ट्रांसपोर्ट का खर्चा उठा रहे हैं. करीब 200 लेबर सब्जी तोड़ने और उसे लोड करने के काम में लगे हुए हैं. उनका भुगतान भी संदीप लोहान खुद अपनी जेब से करते हैं. इंडिया टुडे से जुड़े सैयद जावेद अली ने उनसे बात की.
संदीप लोहान का कहना है,
"फार्म हाउस में शिमला मिर्च लगी थी, करीब 80-90 एकड़ में. 50 एकड़ में तीखी मिर्च और 50 एकड़ में टमाटर लगा हुआ था. इस विषम परिस्थिति में पहले जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन के चलते सब्जियां बाहर जाना बंद हो गईं. इसके बाद जिला प्रशासन और कुछ सामाजिक संगठनों ने मुझसे सब्जी की मांग की. 26 मार्च से हम लोग मंडला और डिंडोरी में जिले के अंदर परिवारों को हर रोज सब्जियां बांट रहे हैं. 26 मार्च से 4 अप्रैल तक करीब 2000 परिवारों को सब्जियां जा रही थी. लेकिन उसके बाद से करीब 5000 परिवार को प्रतिदिन सब्जियां जा रही हैं."
वो आगे बताते हैं,
"ये एक विषम परिस्थिति है. प्रधानमंत्री ने बोला है कि जान है तो जहान है. ऐसे में हम नुकसान का आंकलन नहीं कर सकते हैं. सबसे पहले जो कोरोना महामारी फैली है इससे पहले मानवजाति की सुरक्षा करना है. जो नुकसान हो रहा है उसे आगे देख लिया जाएगा. ये 80 प्रतिशत आदिवासी बहुल इलाका है. प्रशासन ने यहां चावल गेंहू और दाल तो बांट दिया था, लेकिन सब्जियां नहीं थी. हमने बांटनी शुरू की है. हमने सोचा खराब होने से अच्छा है कि गरीब जनता को बांट दें."
इन सब्जियों को लोगों तक पहुंचाने में राजनीतिक पार्टियां भी लगी हुई हैं. मंडला जिले के BJP कार्यालय में दानदाताओं की ओर से दी गई सामग्रियों से मोदी किट तैयार की जा रही है. इसे जरूरतमंदों में बांटा जा रहा है. इसके अलावा सब्जियां भी यहां से बस्तियों में भेजी जा रही है.
भाजपा जिला अध्यक्ष भीष्म द्विवेदी का कहना है कि अनेक लोग दानदाताओं के रूप में सामने आए हैं. कई ऐसे दानदाता है जो अपार दान कर रहे हैं. संदीप लोहान भी उनमें से एक है. दान ऐसा भी होता है यह संदीप लोहान ने दिखाया है. लॉकडाउन के पहले दिन से लगातार आठ से 10 टन सब्जी बीजेपी कार्यालय पहुंच रही है. इसे जरूरतमंदों में बांटा जा रहा है.
संदीप ने सैकड़ो एकड में सब्जियां उगाई थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनको नुकसान हो रहा है. संदीप ने सैकड़ो एकड में सब्जियां उगाई थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनको नुकसान हो रहा है.

जिला कलेक्टर डॉ जगदीश चंद्र जटिया का कहना है कि लोहान और उनके साथी जिले में कई जगहों पर सब्जी का उत्पादन करते हैं. इनकी मंडी मुख्यत: दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद है. मेरी उनसे बात हुई थी. वो जो माल भेज रहे हैं उसमें उनको परता नहीं पड़ रहा है. इस कारण उनको नुकसान है. जिस चीज का वो उत्पादन करते हैं वो होटलों में सप्लाई होता है. लेकिन होटल बंद हैं. इसलिए उन्होंने तय किया है कि ये सब्जियां जनता में बांटेंगे. सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से वो गांव-गांव में सब्जी का वितरण करा रहे हैं. ऐसे कई किसान हैं जो अपना उत्पाद सड़ाने की बजाय गरीब लोगों में बांट रहे हैं.
संदीप ने बताया कि फार्म हाउस में शिमला मिर्च लगी थी करीब 80-90 एकड़ में. 50 एकड़ में तीखी मिर्च और 50 एकड़ में टमाटर लगा हुआ था. संदीप ने बताया कि फार्म हाउस में शिमला मिर्च लगी थी करीब 80-90 एकड़ में. 50 एकड़ में तीखी मिर्च और 50 एकड़ में टमाटर लगा हुआ था.

कौन हैं संदीप लोहान?
संदीप लोहान ने साल 2009 में बंजर पड़ी करीब 150 एकड़ जमीन पर खेती के बारे में सोचा. लेकिन कृषि विशेषज्ञों ने इस जमीन को खेती के लिए अयोग्य बता दिया. उन्होंने अपने भाई के साथ इस उबड़-खाबड़ जमीन को समतल किया और फिर खेती शुरू की. यहां वो 500 से 600 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं. इससे उस इलाके में पलायन रुका है. बाकी किसान भी अब उनसे खेती-किसानी के गुण सीखते हैं. संदीप इजराइल से जो सीख कर आए हैं उसका इस्तेमाल खेती के लिए कर रहे हैं. टेक्नोलॉजी ने उनके काम को आसान बना दिया है.

मंडला में आजतक से जुड़े पत्रकार सैयद जावेद अली से हमें ये खबर प्राप्त हुई है.




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