1- विजेता. 2- जिस पर ईश्वर की मेहर हो.मगर ये मंसूर न विजेता है और न ही ऐसे शख्स को ईश्वर कभी माफ करेगा. क्यों? क्योंकि इल्जाम है कि इस मंसूर खान ने नटवरलाल को भी पीछे छोड़ दिया. इसने धर्म के नाम पर हजारों मासूम लोगों से ठगी की. लोगों की भावनाओं से खेला. आई मॉनेटरी एडवाइजरी यानी IMA नाम की संस्था बनाई. और पोंजी स्कीम चलाई. फिर 30 हजार से ज्यादा मुस्लिमों को चूना लगाकर दुबई भाग गया. करीब 4000 करोड़ रुपए लेकर. वैसे अलग-अलग सोर्सेस से ठगी की रकम 1500 करोड़ से लेकर 4000 करोड़ रुपए तक बताई जा रही है. जांच एजेंसियों का शिकंजा कसने के बाद मंसूर भारत आ गया है. दुबई से दिल्ली लैंड करते ही उसे एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया. प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने लुकआउट नोटिस जारी किया था. इसके बाद से ही उस पर जांच में शामिल होने के लिए भारत आने का दबाव था.
1- मंसूर खान ने साल 2006 में बेंगलुरु में एक फाइनेंस कंपनी बनाई. नाम रखा आई-मॉनेटरी एडवाइजरी यानी IMA. दावा किया कि IMA संस्था इस्लामिक बैंकिंग के नियमों का पालन करेगी. इस्लाम में सूद यानी ब्याज लेना-देना हराम माना जाता है. 2- मंसूर खान की कंपनी ने इस्लामिक कानून यानी शरिया के पालन के नाम पर करीब 30 हजार लोगों से पैसे जमा कराए. 50-50 हजार रुपए जमा कराने पर तिमाही, छमाही और सालाना 14 से 18 फीसदी रिटर्न देने वादा किया. 3- IMA में जितने भी लोगों ने पैसे जमा किए, उनको मंसूर खान ने कंपनी में बिजनेस पार्टनर बनाया. और कहा कि आप सभी IMA के हिस्सेदार हैं. कारोबार में तरक्की करने पर जो मुनाफा होगा, उसका लाभ सभी को मिलेगा. 4- मंसूर खान ने चिटफंड कंपनियों की पोंजी स्कीम जैसी योजना लॉन्च की, जिसमें लोगों को भारी रिटर्न का लालच दिया गया. लोगों से कहा गया कि पैसा सोने-चांदी में निवेश किया जाएगा. निवेशकों ने, जिनमें ज्यादातर मुसलमान थे, मंसूर खान पर भरोसा किया. कंपनी ने कुछ ही सालों में लोगों से करीब 1500 से 4000 करोड़ रुपए इकट्ठे कर लिए.कैसे काम करती थी IMA?
1- IMA ने शुरुआत में बेंगलुरु में दफ्तर खोला. फिर लोगों से पैसे लगवाए. निवेश के बदले मंसूर खान ने शुरू-शुरू में निवेशकों को बड़ा रिटर्न दिया. चेक के जरिए पैसा वापस दिया गया. इससे उसकी योजना पर लोगों का भरोसा बढ़ता गया. निवेश करने वाले हर मुस्लिम शख्स को कुरान भेंट की जाती थी. 2- मंसूर खान ने अपनी स्कीम को आम मुसलमानों तक पहुंचाने के लिए स्थानीय मौलवियों और मुस्लिम नेताओं का भी सहारा लिया. उनके जरिए प्रचार कराया. उसने मदरसों और मस्जिदों में खूब दान किया. इससे मुसलमान धार्मिक आधार पर उससे जुड़ते चले गए. 3- कंपनी के कर्मचारी हमेशा साधारण कपड़ों में दिखते थे. वे लंबी दाढ़ी रखते थे और ऑफिस में ही नमाज पढ़ते थे. इससे आम मुसलमानों में ये धारणा मजबूत होती गई कि हो न हो ये कंपनी इस्लामिक कायदे कानूनों के मुताबिक ही चल रही है. 4- इस्लाम में ब्याज से मिली रकम को अनैतिक और इस्लाम विरोधी माना जाता है. इस धारणा को तोड़ने के लिए मंसूर खान ने धर्म का कार्ड खेला. और निवेशकों को 'बिजनेस पार्टनर' का दर्जा दिया. इस तरह वो मुसलमानों के बीच 'ब्याज हराम है' वाली धारणा तोड़ने में कामयाब रहा.कैसे हुआ खुलासा? आरोप है कि मंसूर खान ने अपने पूरे बिजनेस को धार्मिक भावनाओँ को इर्द-गिर्द बुना था. मगर उसका ये खेल जल्द ही सामने आने लगा. साल 2017 से निवेशकों को इसमें कुछ गड़बड़ी होने की आशंका दिखने लगी. अचानक से उसने स्कीमों पर रिटर्न देना कम कर दिया. कई निवेशकों को 9 से 5 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया गया. ये उन निवेशकों के लिए चौंकाने वाला था, जो साल में 18 फीसदी तक रिटर्न पाते थे. 2018 में तो कुछ स्कीमों पर रिटर्न गिरकर 3 से 1 फीसदी तक पहुंच गया. इसके बाद मई 2018 आते-आते निवेशकों को ये रिटर्न मिलना भी बंद हो गया. कंपनी की ऐसी हालत देखकर निवेशकों के सब्र का बांध टूटने लगा. वे इधर-उधर भागने लगे. निवेशकों को तगड़ा झटका तब लगा, जब अचानक से IMA ने अपना ऑफिस ही बंद कर दिया. अब निवेशकों को मंसूर खान के इरादों का अंदाजा हुआ. मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. हजारों निवेशक अपनी बचत की पूंजी मंसूर खान की कंपनी में लगा चुके थे. अब उनके सामने खाली हाथ रोने के अलावा कोई चारा नहीं था. हारकर, करीब 25 हजार निवेशकों ने मंसूर खान के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया. पुलिस ने IMA के बेंगलुरु के जयनगर स्थित ऑफिस और उसके घर में छापा मारा. यहां से करोड़ों रुपए की ज्वैलरी और कुछ दस्तावेज जब्त किेए. मगर इन छापों से पहले 8 जून, 2019 को मंसूर खान दुबई भाग गया. बाद में पूरे मामले की तहकीकात के लिए बेंगलुरु पुलिस ने एक स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम यानी SIT को गठन कर दिया. दुबई पहुंचकर क्या दावे किए मंसूर खान ने? दुबई पहुंचकर मंसूर खान ने एक ऑडियो क्लिप जारी की. 10 जून, 2019 को मंसूर ने एक ऑडियो क्लिप बेंगलुरु पुलिस को भेजी. मंसूर खान ने आरोप लगाया कि उसे कुछ अधिकारी और नेता प्रताड़ित कर रहे हैं. वो आत्महत्या कर लेगा. इसके बाद उसने 23 जून को एक वीडियो जारी किया. इसमें उसने दावा किया कि ठगी के 'असली अपराधी' कुछ बड़े नाम हैं. अधिकारियों ने उससे 400 करोड़ रुपए की रिश्वत ली है. इसके बाद 15 जुलाई, 2019 को उसने एक और वीडियो जारी किया. इसमें उसने कहा कि वो 24 घंटें में भारत लौटेगा. उसने देश छोड़ने के अपने फैसले को सबसे बड़ी गलती बताया. और पुलिस से सुरक्षा की मांग की. मंसूर खान ने कहा,
'मुझे भारत की न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है. भारत को छोड़ना बड़ी गलती थी, लेकिन हालात कुछ ऐसे थे कि मुझे उस समय देश छोड़कर जाना पड़ा. मैं अब तक नहीं जानता कि मेरा परिवार कहां है.'भारत कैसे आया मंसूर खान? मामले की जांच कर रही एसआईटी और प्रवर्तन निदेशालय ने लुकआउट नोटिस जारी कर रखा था. SIT प्रमुख रविकांत गौड़ा के मुताबिक SIT को अपने सूत्रों से पता चला कि मंसूर खान दुबई में है. उससे भारत आने और कानून के हवाले करने को कहा गया था. वो दुबई से दिल्ली आ चुका है.' दिल्ली आने पर उसे प्रवर्तन निदेशालय और कर्नाटक SIT की टीम ने अपनी हिरासत में ले लिया. फिलहाल वो प्रवर्तन निदेशालय की कस्टडी में है. उससे पूरे घोटाले पर पूछताछ की जा रही है.
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