The Lallantop

पेनकिलर खाएं तो मात्रा का ध्यान रखें

पेनकिलर खाने के बाद मीडिया वालों को इंटरव्यू या बाइट देने से बचना चाहिए.

post-main-image
क्या पेनकिलर्स से नशा हो सकता है?

पियाला गर नहीं देता न दे पेनकिलर तो दे

मिर्ज़ा ग़ालिब के एक शेर का इस तरह कबाड़ा करने की ख़ास वजह है. दर्द. बकौल शायर आदमी दर्द में मयखाने की ओर जाता है. लेकिन दर्द अगर दिल का न हो तो आदमी को मयखाने के बजाय डॉक्टर के पास जाना चाहिए. तो आज बात दर्द की, दर्दनिवारक दवाओं यानी पेनकिलर्स की. साथ में बात नशे, शराब के नशे, दवा के नशे की भी. क्योंकि ऐसे ही इच्छा सी हुई कि इनकी बात की जाए. एक ऐसा अप्रिय अहसास जिसके कारण शरीर असहज महसूस करे, एक मायने में ऐसा संकेत या ऐसी सूचना जिससे आपके दिमाग को ये पता चले कि फलानी जगह या फलाने अंग में कुछ गड़बड़ है और आपको उपचार की आवश्यकता है. इसी को कहते हैं दर्द. कुछ कहेंगे ये प्यार का लक्षण है. लेकिन फैक्ट्स पर लौटिए. शरीर Sick फील करे तो आशिक मत बनिए. तो उन्हीं लक्षणों से समझ आए दर्द से मुक्ति के लिए बनाया गया पेनकिलर. पेनकिलर यानी दर्दनिवारक दवाएं जिसके सेवन को ऐनल्जेसिक थैरेपी भी कहा जाता है. ये नर्वस सिस्टम पर काम करती हैं और शरीर के केमिकल एंजाइम्स को ब्लॉक कर दर्द की सूचना मस्तिष्क तक नहीं पहुंचने देती. ये दर्द और सूजन दोनों को कम करती है. लेकिन सभी दर्दनाशक दवाएं बिल्कुल एक जैसे काम करती हों ऐसा भी नहीं. सबका अलग मैकेनिज्म है. मतलब रास्ते अलग हैं मंजिल एक. एक ही संकल्प, दर्द मिटाओ. उदाहरण के तौर पर आप किसी मित्र की शादी में गए और जोश-जोश में ज़रूरत से ज्यादा नागिन डांस करने पर चोटिल हो गए, या आपको घुटने में हेयरलाइन फ्रैक्चर हो गया. अब कायदे से होना तो ये चाहिए कि आप रात भर आराम करें और अगली सुबह डॉक्टर को दिखाएं. प्रॉपर डायग्नोसिस के बाद इलाज शुरू करें. लेकिन ‛थकना मना है’ वाली ज़िंदगी में तत्काल आराम के लिए डॉक्टर को दिखाने से पहले आप खाते हैं पेनकिलर. खुराक की मात्रा और प्रिकॉशन को समझे बिना. इसके कारण शुरू होता है साइड इफेक्ट. चूंकि बात शादी की चली, इसलिए पेनकिलर का पत्ता निकालने से पहले ये ध्यान दें कि शादी में आपने मद्यपान न किया हो. यदि किया भी हो तो कम से कम 7 से 8 घंटे का अंतर रखें. दर्द हो घुटने में तो पेनकिलर लीजे और जो पेनकिलर ही पेन हो तो क्या कीजे अर्थात पेनकिलर के साइड इफेक्ट्स. सभी दवाओं की तरह, पेनकिलर्स के भी दुष्प्रभाव होते हैं. उनमें से कुछ गंभीर भी हो सकते हैं. ये साइड इफेक्ट्स लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैटेगरी में डिवाइड किए गए हैं. इनमें किडनी डैमेज, एक्यूट लिवर डैमेज, मिचली, खराब नींद और तनाव जैसे लक्षण हैं. चूंकि इसका उपयोग नशाखोरी के लिए भी किया जाता है, इसलिए सबसे जरूरी सवाल... क्या पेनकिलर्स से नशा हो सकता है? बात दर्द और मयखाने से शुरू हुई तो बिहार का ज़िक्र होना लाज़मी है, जहां शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगने के बाद मार्केट से दर्दनिवारक दवाएं अचानक आउट ऑफ स्टॉक हो गईं. इसके पीछे क्या कारण है, ये बिहार में दवाओं के क्रेता और विक्रेता ही जानें. लेकिन एक बात साफ है कि पेनकिलर्स का उपयोग नशा-पत्ती के लिए भी किया जाता है. लेकिन जैसे हर कफ सिरप पीने वाला माहौली नहीं होता और हर कफ सिरप से नशा नहीं होता, वैसे ही हर दर्दनिवारक दवा से नशा हो ये भी जरूरी नहीं. और इसका इस्तेमाल सिर्फ नशे के लिए ही किया जाता है ऐसा भी नही है. ऐसी स्थिति कुछ खास पेनकिलर और ज़रूरत से ज्यादा पेनकिलर लेने पर ही उत्पन्न होती है. इसलिए सही दवा का चुनाव एवं रोगी की विशेषता दोनों को ध्यान में रखा जाना जरूरी है. ऐसे पेनकिलर्स जिनसे नशा होता है, नारकोटिक पेनकिलर्स. Opioid Analgesics. अगेन फ़ॉर एक्जाम्पल, अगर हेयरलाइन फ्रैक्चर के कारण दर्द ज्यादा है या कोई पुरानी चोट उभरकर असहनीय दर्द दे रही है तो सेंसिटिविटी घटाने के लिए आप ऐसे पेनकिलर्स का सेवन करते हैं तो आपको नींद, एंग्जाइटी या चक्कर जैसे साइड इफेक्ट्स दिख सकते हैं. ज़रूरी नहीं कि ये लक्षण हर मरीज़ में दिखें. ये बॉडी टू बॉडी वैरी करते हैं. लेकिन ध्यान रखें, अगर आपको पेनकिलर लेने के बाद ऐसे लक्षण दिखते हैं तो आपको कुछ कामों को नहीं करना चाहिए. जैसे गाड़ी चलाना, स्विमिंग करना. उदाहरण के तौर पर अगर आप वकील हैं तो कचहरी के बहसों में न जाएं, आप बिजनेसमैन या कॉरपोरेट कर्मचारी हैं तो मीटिंग्स को अवॉइड करें, और हां अगर आप मीडिया में हैं तो इंटरव्यू या बाइट्स वगैरह से बचना चाहिए. ऐसे आपका खुद पर आत्मनियंत्रण कमजोर हो सकता है और Lack of Concentration के कारण शब्दों के चुनाव में गलती कर सकते हैं. माने आम को इमली कह सकते हैं. ग़ालिब का शेर जो हमने तोड़ा मरोड़ा था वो ओरिजिनल कुछ ऐसे है,

पिला दे ओक से साक़ी जो हम से नफ़रत है पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे

इसलिए या तो पेन किलर खाएं या शराब पिएं, दोनों काम साथ न करें. और दोनों ही स्थितियों में वो करें जो आप हिंदी में ख़बरें लिखते हुए करते हैं. मात्रा का ध्यान ज़रूर रखें. डॉक्टरों का कहना है अल्कोहल लेने के बाद या अल्कोहल के साथ पेनकिलर खाना जानलेवा हो सकता है. शराब के अलावा भी कुछ पेनकिलर्स को लेने में कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है. जैसे पेनकिलर्स को कभी खाली पेट न खाएं, यदि उसमें सेडेटिव वार्निंग प्रिकॉशन हैं तो सोने के पहले ही खाएं, ज्यादा मात्रा में या लगातार न खाएं.

आखिरी बात

कोई अगर मुट्ठी भर पिल्स फांक ले तो वो बड़बड़ाने लग सकता है, स्मृति पर प्रभाव पड़ सकता है, होश में होने पर भी बातचीत में शामिल होना मुश्किल हो सकता है, हार्ट रेट गड़बड़ा सकती है, आप भूल सकते हैं कि आप हैं कौन? आप अचानक उत्तेजित हो सकते हैं, फिर अचानक रुआंसे भी. नारकोटिक पेनकिलर्स जैसे ओपिऑड, मॉर्फिन और कोडीन पेनकिलर्स अगर ज़रूरत से जरा भी ज्यादा हुए तो आपको ऊल-जुलूल हरकतें कर सकते हैं, इसलिए उम्र, लिंग और और वजन का ध्यान रखते हुए प्रिस्क्राइब वे में पेनकिलर्स का सेवन करें, पब्लिक अपीयरेंस से बचें और मेडिकल इमरजेंसी होने पर करीबी अस्पताल से संपर्क करें.

(ये व्यंग्य हमारे साथी अतुल ने लिखा है.)