The Lallantop

अमेरिका के सबसे 'विवादित' नेता हेनरी किसिंजर की मौत, क्यों कहा जाता था भारत का दुश्मन नंबर-1?

Henry Kissinger भारत के दुश्मन कैसे बन गए थे? भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने चीन के साथ मिलकर कैसे एक जहरीली साजिश रच डाली थी? और फिर कैसे अंत समय में सोवियत संघ यानी रूस ने पासा पलट कर रख दिया?

Advertisement
post-main-image
हेनरी किसिंजर 1971 युद्ध में खेल करने जा रहे थे, तभी इंदिरा गांधी और भारतीय जनरल मानेकशॉ ने पासा पलट दिया | फाइल फोटो: इंडिया टुडे/इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट

अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर (Henry kissinger) का निधन हो गया है. उन्होंने 30 नवंबर को अमेरिका के कनेक्टिकट स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. हेनरी किसिंजर ने राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और गेराल्ड फोर्ड के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री के तौर पर काम किया था. इसी साल 27 मई को उन्होंने अपना 100वां जन्मदिन मनाया था. हेनरी किसिंजर आधुनिक अमेरिकी इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक हैं. उन्होंने ही वियतनाम युद्ध को खत्म करने और अमेरिकी सेना की वापसी में बड़ी भूमिका निभाई थी. हालांकि, उनके नाम विवाद भी कम नहीं हैं, बड़े-बड़े नरसंहारों से उनका नाम जुड़ता है. नाम 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध से भी जुड़ता है. और तब उनकी हरकतें काफी विवादों में रही थीं. आइए पहले यही जान लेते हैं कि हेनरी किसिंजर ने ऐसा क्या किया था कि वो भारत में विलेन बन गए थे?

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

1971 में जब भारत-पाकिस्तान युद्ध चल रहा था तब हेनरी किसिंजर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे. उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति थे रिचर्ड निक्सन. कहा जाता है कि तब इन दोनों ने मिलकर भारत को डराने-धमकाने की कोशिश की थी. इस युद्ध की शुरुआत से ही ये दोनों भारत से रुख नहीं मिला रहे थे. युद्ध की शुरुआत में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अमेरिका रिचर्ड निक्सन से मिलने गईं तो उन्हें लंबा इंतजार करवाया गया. जब दोनों की मुलाकात हुई तो निक्सन ने काफी बेरुखी के साथ जवाब दिया. इस मीटिंग में अमेरिकी राष्ट्रपति का बर्ताव देखकर ही इंदिरा गांधी ने सोच लिया था की बांग्लादेश युद्ध अब भारत अपनी दम पर लड़ेगा.

राष्ट्रपति निक्सन (बाएं) और दायीं ओर हेनरी किसिंजर

भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू होने के कुछ रोज बाद हेनरी किसिंजर ने रिचर्ड निक्सन को एक सलाह दी. कहा कि वो चीन को भारत की सीमा के नजदीक अपनी सेना तैनात करने के लिए कहें. दरअसल, किसिंजर का मानना था कि इससे भारत पर दबाव बढ़ेगा और वह पूर्वी पाकिस्तान में जारी युद्ध को बंद कर देगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. चीन ने भारतीय सीमा के नजदीक सेना तैनात करने से इनकार कर दिया.

Advertisement
Henry kissinger ने फिर भारत को डराने का नया प्लान बनाया

चीन के इस रुख के बाद हेनरी किसिंजर ने भारत को डराने का एक नया प्लान बनाया. कहा जाता है कि इस मसले पर उन्होंने चीनी अधिकारी हुआंग हुआ के साथ एक गुप्त बैठक की. किसिंजर ने हुआ से कहा कि अगर भारत के खिलाफ एक्शन लेने के बाद सोवियत संघ (रूस) चीनी सीमा के पास अपने सैनिकों को तैनात करेगा, तो अमेरिका सैटेलाइट से जुटाई गई खुफिया जानकारी चीन के साथ तुरंत साझा करेगा.

चीनी अधिकारी से इतनी बात होने के बाद किसिंजर राष्ट्रपति निक्सन के पास पहुंचे. उन्हें प्रस्ताव दिया कि अमेरिका को बंगाल की खाड़ी में अपना युद्धपोत भेजना चाहिए. उनका राष्ट्रपति को बताया कि जब अमेरिका ऐसा करेगा तो चीन भी भारत की सीमा पर अपने सैनिकों को तैनात कर देगा. राष्ट्रपति निक्सन ने इस प्रस्ताव को तुरंत हरी झंडी दिखा दी. हालांकि, इन्हें चीन ने फिर गच्चा दे दिया, उसने भारत-पाक युद्ध में कोई हस्तक्षेप ही नहीं किया, यानी अपनी सेना भारतीय बॉर्डर पर नहीं भेजी. 

अमेरिकी युद्ध पोत

हालांकि, इसके बाद भी 15 दिसंबर 1971 को अमेरिकी नौसैनिक बेड़े यूएसएस एंटरप्राइज सहित सातवें बेड़े के कई सारे युद्धपोतों ने बंगाल की खाड़ी में प्रवेश किया. हालांकि, इस दिन ये पोत ढाका से हजार किमी से भी ज्यादा दूरी पर थे और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे. अमेरिकी नौसैनिक बेड़ा भारत की तरफ बढ़ जरूर रहा था, लेकिन इसकी स्पीड बहुत कम थी, ऐसा इसलिए क्योंकि तब तक सोवियत संघ ने भारत के समर्थन में अपने नौसैनिक बेड़े को सक्रिय कर दिया था, और इसे देखते हुए अमेरिका ने युद्ध में दखल देने के अपने फैसले पर फिर से विचार करना शुरू कर दिया था. 

Advertisement

भारत की पूर्व राजनयिक अरुणधति घोष ने अमेरिका के पीछे हटने की एक और वजह भी बताई. उनके मुताबिक बंगाल की खाड़ी में अमेरिकी युद्धपोतों के प्रवेश करने के अगले ही दिन पाकिस्तानी जनरल नियाज़ी ने भारतीय जनरल सैम मानेकशॉ को ये संदेश भेज दिया था कि वो युद्ध विराम चाहते हैं. 16 दिसंबर 1971 को ढाका में जैसे ही पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण किया, ये खबर सुन अमेरिकी नौसैनिक बेड़ा पूर्वी पाकिस्तान से श्रीलंका की तरफ मुड़ गया.

Henry kissinger ने नरसंहार करवाए

रिचर्ड निक्सन जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो उन्हें वियतनाम वॉर विरासत में मिला था. 1955 में शुरू हुआ युद्ध अमेरिका के गले की हड्डी बन चुका था. शुरुआती सालों में ही उन्हें हार का अंदाज़ा हो चुका था. लेकिन कोई भी राष्ट्रपति इसका दोष अपने सिर पर नहीं लेना चाहता था. सब इसे दूर तक टालने की फ़िराक़ में थे. निक्सन ने कुर्सी संभालते ही हाथ-पैर फेंकना शुरू कर दिया. किसिंजर की सलाह पर ऑपरेशन ब्रेकफ़ास्ट लॉन्च किया. दरअसल, अमेरिका को लगा कि हो ची मिन्ह ट्रेल को तबाह कर युद्ध जीत सकता है. हो ची मिन्ह ट्रेल कम्बोडिया तक जाती थी. इसके ज़रिए नॉर्थ वियतनाम के विद्रोहियों को सप्लाई पहुंचाई जाती थी. 1969 और 1970 के बीच अमेरिका ने कम्बोडिया पर लगभग 54 करोड़ किलो बम गिराए. इसमें लगभग 05 लाख आम नागरिक मारे गए. ये किसी नरसंहार से कम नहीं था.

बाद में लीक हुए पेंटागन पेपर्स में सामने आया,

“हेनरी किसिंजर और उनकी टीम ने उस दौरान हुई हर एक बमबारी को अप्रूव किया था. और, उन्होंने इसे मीडिया से छिपाकर रखने की साजिश भी रची थी.”

हेनरी किसिंजर अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियों से जुड़े रहे 

नरसंहार की दूसरी घटना भारत के पड़ोस में घटी थी. 1970 और 1971 में. वेस्ट पाकिस्तान के मिलिटरी जनरल याह्या ख़ान ने चुनाव जीतने वाले मुजीबुर रहमान को सरकार नहीं बनाने दी. जब शेख़ मुजीब की पार्टी अवामी लीग ने इसका विरोध किया, उनके ख़िलाफ़ याह्या ने सेना उतार दी. मार्च 1971 में ईस्ट पाकिस्तान में ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू हुआ. इसमें तीन लाख से अधिक बंगालियों की हत्या हुई. उस वक़्त आर्चर केंट ब्लड ईस्ट पाकिस्तान में अमेरिका के कॉन्सल-जनरल हुआ करते थे. उन्होंने डिप्लोमेटिक केबल भेजकर बताया कि याह्या की सेना नरसंहार कर रही है. इसे रोकने की ज़रूरत है. मगर निक्सन और किसिंजर ने इस अपील को दरकिनार कर दिया.

कुल मिलाकर किसिंजर के ऊपर वॉर क्राइम्स, तख्तापलट और नरसंहार के संगीन आरोप लगते हैं. आधिकारिक दस्तावेजों में इनकी पुष्टि भी हो चुकी है. इसके बावजूद किसिंजर ने कभी माफ़ी नहीं मांगी. और ना ही अमेरिका की सरकार ने न्याय करने में कोई दिलचस्पी दिखाई. बल्कि संगीन आरोपों के बाद भी हेनरी किसिंजर को नोबेल प्राइज मिला. प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से भी सम्मानित किया गया, जो अमेरिका का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.

Advertisement