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गुजरात में जिसने पेपर लीक पर सरकार हिला दी, AAP ने उसके साथ खेल कर दिया!

गुजरात में आम आदमी पार्टी को गुटबाज़ी का नुकसान होगा?

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युवराज सिंह जाडेजा, अरविंद केजरीवाल और गोपाल इटालिया (फोटो - आजतक)

गुजरात में चुनाव हैं. 8 नवंबर को नतीजे आने हैं. चुनाव में कई फ़ैक्टर्स रहे. हमारी चुनावी टीमें जब ग्राउंड पर गईं, तो उन्हें युवाओं में बेरोज़गारी और पेपर लीक को लेकर बहुत आक्रोश दिखा. स्थानीय मुद्दों के अलावा बिलक़िस बानो के बलात्कारियों की रिहाई, नरेंद्र मोदी का 'कल्ट', मोरबी ब्रिज हादसा, बिजली की महंगाई, वग़ैरह जैसे मुद्दे भी दिखे. इसी में एक मुद्दा है, जो ऑप्टिक्स की नज़र से सारे राजनीतिक विशेषज्ञों की बहस में शुमार रहा. वो है आम आदमी पार्टी का प्रदेश में प्रवेश. अंग्रेज़ी में लिखा गया, 'the AAP factor'. इस बीच चर्चा है AAP के एक नेता की. कहा जा रहा है कि गुजरात के युवा नेता युवराज सिंह जाडेजा आम आदमी पार्टी की गुटबाज़ी के हत्थे चढ़ गए. क्या है पूरा खेल, बताते हैं.

हमारा वीकली पॉलिटिकल शो है, नेतानगरी. नेतानगरी के हालिया एपिसोड में हमने गुजरात चुनाव के समीकरण पर बात की. किस पार्टी ने क्या चाल चली और वो अपनी चाल में कितने सफल होते दिख रहे हैं, इसके बारे में गुजरात के ग्राउंड-ज़ीरो पर काम कर रहे पत्रकारों से इत्मिनान से चर्चा की. चर्चा छिड़ी AAP फ़ैक्टर पर, कि आम आदमी पार्टी ने गुजरात में किस लेवल का मोबलाइज़ेशन किया और वो कितना असरदार रहा. इसी में बात आई गुजरात में पेपर लीक को उजागर करने वाले युवराज सिंह जाडेजा की, जिन्हें आम आदमी पार्टी ने टिकट दिया. फिर सीट बदल दी. बाद में वो ख़ुद ही नहीं लड़े. तो क्‍या वो पार्टी के अंदर की गुटबाजी का शिकार हुए?

'नवगुजरात समय' के समुह संपादक अदय उमट ने कहा,

"ऐसा नहीं है कि आम आदमी पार्टी ने मोबिलाइज़ेशन नहीं किया. या तो उन्होंने गलती की, या कॉम्प्रोमाइज़ किया क्योंकि उनके पास एक युवा नेता था युवराज सिंह जाडेजा. अभी भी है. उसने सबसे पहले पेपर लीक के कांड में खुलासे किए. एक नहीं, दो नहीं, 25 पेपर लीक के मामले सामने लाए. वो ख़ुद एक छात्र था. ट्यूशन पढ़ाकर राजनीति कर रहा था. जब उसको जेल में डालने की बात आई, तो युवराज ने आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की. लेकिन आम आदमी पार्टी ने उस आंदोलन को बंद कर दिया. बाद में कुछ कम्प्रोमाइज़ ऐसा हुआ कि युवराज सिंह को बोला गया कि तुम्हें गांधीनगर साउथ से लड़ाएंगे. यानी जिस सीट पर अभी अल्पेश ठाकुर चुनाव लड़ रहे हैं. टिकट देने के बाद उसकी सीट फिर से बदली गई. केजरीवाल ने उससे कहा कि अब तुम दहेगाम से लड़ो. फिर देहगाम से भी उसकी सीट बदलकर उसको स्टार कैंपेनर बना दिया. अब आप बताइए, युवराज सिंह जडेजा जैसी साफ़ छवि और प्रतिभा वाले लड़के को के साथ इतनी नाइंसाफ़ी क्यों?"

इसके जवाब में जमावट की संस्थापक देवांशी जोशी ने कहा,

"उन्हें देहगाम से लड़ने के लिए पार्टी ने कहा था, लेकिन उन्होंने ख़ुद मना कर दिया क्योंकि आम आदमी पार्टी ने बोला था कि हम सभी कैंडिडेट्स को मदद करेंगे चुनाव लड़ने में. चुनाव लड़ने के लिए थोड़ा बहुत पैसा भी चाहिए होता है. अब आम आदमी पार्टी पैसा नहीं दे रही और बोल रही है कि आप लड़िए चुनाव. एक बात और ये है किस सीट पर उनको लगवाया जा रहा था वहां से उनकी जीतने की संभावनाएं बहुत कम थीं. दूसरा कि जब उन्हें पार्टी में लिया गया था, तो कहा गया था कि हम आपको बेहतर तरीक़े से प्रोजेक्ट करेंगे, लेकिन फिर हो गई गुटबाज़ी. आम आदमी पार्टी में मैं भी यही दिक़्क़त है. गोपाल इटालिया का एक गुट है, इसुदान गड़वी का अलग. तो इस वजह से वो कैश नहीं कर पाए."

युवराज सिंह जडेजा को पुलिस ने अप्रैल के शुरूआती हफ़्ते में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस के साथ हाथापाई करने, धक्का देने, भागने का प्रयास करने और पुलिस की गाड़ी में टक्कर मारने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है. पुलिस ने युवराज सिंह का पुलिस पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश करने का वीडियो भी जारी किया था.

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