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देश में सिर्फ 4 लोगों को मिली है ये सुरक्षा और इसमें अमित शाह नहीं हैं

तीन व्यक्ति एक ही परिवार से हैं.

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लगभग 130 करोड़ की आबादी वाले इस देश में सिर्फ 4 नेताओं के पास एसपीजी सुरक्षा है.
नेताजी का भौकाल जितनी चीज़ों से बनता है, उसमें एक चीज़ होती है सुरक्षा. आखिर उनको कितने जवान मिले हुए हैं. जितने हैं, उनमें से हथियारबंद कितने हैं. और हथियारबंद जवानों के पास हथियार कौन से हैं. सबसे ज़्यादा रौला होता है उन नेताओं का जिनके पास काली वर्दी वाले ब्लैक कैट कमांडो होते हैं. सुरक्षा के भौकाल में ब्लैक कैट कमांडो सबसे बड़ा तमगा हैं. वो छिन जाए तो बड़ा दुख होता है. जैसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ हो रहा है. हाल ही में राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुने गए हैं.
कैसे तय होता है कि एक नेता को कैसी सुरक्षा दी जाए. और सुरक्षा देने के बाद वापस क्यों ले ली जाती है. आज हम यही सब जानेंगे बिल्कुल आसान भाषा में- किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति को सुरक्षा देने का काम सरकार का होता है. केंद्रीय गृह मंत्रालय अपनी एजेंसियों के मार्फत लगातार ऐसे लोगों पर खतरे का अंदाज़ा लगाती है. खतरा किसी भी तरह का हो सकता है. बाहरी या अंदरूनी. मसलन आंतकवादी या अपराधियों से, या फिर राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों से. जब सरकार को लगता है कि किसी नेता को जान का खतरा पैदा हो गया है, तब वो देखती है कि खतरे से निपटने के लिए किस तरह की और कितनी फोर्स चाहिए.
पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह से एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई है.
पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह से एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई है.

भारत में वीवीआईपी सिक्योरिटी के क्षेत्र में काम करने वाली कई एजेंसियां हैं. इनमें सबसे प्रसिद्ध है एसपीजी. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप. इसकी स्थापना इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी. इसका काम है भारत के प्रधानमंत्री, उनके परिवार और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा प्रदान करना. इनके अतिरिक्त एसपीजी किसी और वीवीआईपी की सुरक्षा में नहीं लगाई जाती. दूसरे वीवीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए सरकार स्थानीय पुलिस के ज़िम्मे रहती है. ज़रूरत पड़ने पर केंद्रीय एजेंसियों के जवान लिए जाते हैं. मिसाल के लिए सीआरपीएफ, सीआईएसफ, आईटीबीपी और ज़रूरत पड़ने पर एनएसजी.
पीएम मोदी की सुरक्षा में तैनात एसपीजी. फोटो-एसपीजी की वेबसाइट से
पीएम मोदी की सुरक्षा में तैनात एसपीजी. फोटो-एसपीजी की वेबसाइट से

SPG के ब्रीफकेस में होता क्या है? 
आपने ध्यान दिया होगा कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप सुरक्षा के दौरान एक ब्रीफकेस थामे चलता है. अब मन में सवाल आता है कि आखिर इसमें होता क्या है. तो हम बताते हैं कि ये ब्रीफकेस नहीं होता है. ये एक पोर्टेबल बुलेटप्रूफ शील्ड होता है. ये पूरी तरह खुल जाता है और रक्षा कवच का काम करता है. ये पर्सनल प्रोटेक्शन के लिए होता है. इसका काम ये है कि अगर कोई हमला हो जाए तो  सुरक्षा कमांडो फ़ौरन इसे खोल कर वीआईपी को कवर कर लें. ये ब्रीफकेस उर्फ़ बैलेस्टिक शील्ड किसी भी तरह के हमले से सुरक्षा करने के लिए सक्षम होता है. इस ब्रीफकेस में एक गुप्त जेब भी होती है, जिसमें एक पिस्तौल होती है. आतंकी हमले के समय ये ब्रीफकेस एक सुरक्षा ढाल का काम करता है.
और कितने तरह की सुरक्षा होती है?
1. 'Z+' - इस कैटेगरी में सबसे तगड़ा सुरक्षा घेरा मिलता है. चुनिंदा लोगों को मिलने वाली इस सुरक्षा में हर वक़्त कम से कम 55 जवान तैनात रहते हैं. इसमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो रहते हैं. एनएसजी को वीवीआईपी सिक्योरिटी के लिए नहीं बनाया गया था. वो एक आतंकविरोधी दस्ता है. जिसके हर जवान को 90 दिन की कठिन ट्रेनिंग पास करनी होती है. हर कमांडो को ट्रेनिंग के दौरान पचास से बासठ हजार ज़िंदा कारतूसों की फायर प्रैक्टिस पूरी करनी होती है. जबकि किसी सामान्य सैनिक की पूरी जिंदगी में भी इतनी फायर प्रैक्टिस नहीं होती. NSG की इस ट्रेनिंग और क्षमता को देखते हुए ही उसे वीवीआईपी सिक्योरिटी के लिए भी तैनात किया जाता है.
एनएसजी के कई अंग हैं
यहां एक बात समझने वाली है. NSG के भी कई अंग हैं. इसमें दो प्रमुख हैं - स्पेशल एक्शन ग्रुप (SAG) और स्पेशल रेंजर ग्रुप (SRG). SAG में भर्ती सिर्फ सेना के जवानों की होती हैं जिन्हें सिर्फ आतंक विरोधी ऑपरेशन के लिए तैनात किया जाता है. SRG में सेना और अर्धसैनिक दोनों बलों के जवान होते हैं. ज़रूरत पड़ने पर SAG के जवान ही वीवीआईपी सिक्योरिटी में तैनात किए जाते हैं. एनएसजी के जवान काली वर्दी पहनते हैं. बिल्ली जैसी तेजी के चलते इन्हें ब्लैक कैट भी कहा जाता है. यहीं से वो शब्द आया- ब्लैक कैट कमांडो. इस बात के लिए प्रयास चल रहे हैं कि एनएसजी को वीवीआईपी सिक्योरिटी से मुक्त कर दिया जाए ताकि वो अपना पूरा ध्यान आतंकविरोधी कार्रवाई पर लगा सकें.
गृहमंत्री अमित शाह के पास जेड प्लस सुरक्षा है.
गृहमंत्री अमित शाह के पास जेड प्लस सुरक्षा है.

और कितने तरह की सुरक्षा होती है?
 'Z' - ये दूसरे लेवल की सिक्योरिटी होती है. इसमें 22 जवान रहते हैं. इनमें 4 से 5 एनएसजी कमांडो होते हैं. बाकी के सभी दिल्ली पुलिस या आईटीबीपी या सीआरपीएफ के जवान रहते हैं. इसमें एक एस्कॉर्ट कार भी होती है.
Y- ये तीसरे लेवल का सिक्योरिटी होती है. सिक्योरिटी में 11 पुलिस पर्सनल रहते हैं. 1 से 2 कमांडो रहते हैं. और दो पर्सनल सिक्योरिटी अफसर भी रहते हैं.
 X- ये चौथे लेवल का सिक्योरिटी होती है. जिसमें 2 पुलिस पर्सनेल रहते हैं. जबकि कोई कमांडो नहीं होता है.
जब सरकार खतरा देखते हुए सुरक्षा प्रदान करती है, तो इसका खर्च सरकार ही उठाती है. लेकिन जब लोग अपनी जान को खतरा देखते हुए सुरक्षा की मांग करते हैं, तो उन्हें इसका बिल चुकाना होता है.
इस समय भारत में सिर्फ चार लोग हैं जिन्हें एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है. पीएम मोदी. राहुल गांधी, सोनिया गांधी, और प्रियंका गांधी.


 

ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे अर्पित ने लिखी है

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