दुनिया का नक्शा देखें तो कई ऐसे देश दिखेंगे जो अभी जंग लड़ रहे हैं. जब आप ये खबर पढ़ रहे हैं तब भी किसी तोप में ऐम्युनिशन लोड किया जा रहा है. कहीं किसी बंदूक के ट्रिगर पर किसी की उंगलियां अपने निशाने के इंतज़ार में हैं. कुल जमा बात ये है कि जिसकी जितनी फायरपावर, उसका दुनिया पर उतना दबदबा. ऐसी ही एक रिपोर्ट आई है जो बताती है कि दुनिया में किसका सिक्का चलेगा? रिपोर्ट का नाम है ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स (Global Firepower Index).
चीन के मुकाबले भारत की सेना कितनी ताकतवर और पाकिस्तान से कितनी आगे?
सेनाओं की क्षमता का आंकलन करने वाली वेबसाइट Global Firepower Index ने 2025 के लिए फ़ौजों की रैंकिंग जारी कर दी है. हर बार की तरह इस बार भी इस लिस्ट में कोई देश ऊपर आया है, तो किसी की रैंकिंग नीचे खिसकी है.

सेनाओं की क्षमता का आंकलन करने वाली वेबसाइट Global Firepower Index ने 2025 के लिए फ़ौजों की रैंकिंग जारी कर दी है. हर बार की तरह इस बार भी इस लिस्ट में कोई देश ऊपर आया है, तो किसी की रैंकिंग नीचे खिसकी है. इस लिस्ट के मुताबिक भारत का प्यारा पड़ोसी चीन तीसरे नंबर पर है, लेकिन उसका स्कोर दूसरे नंबर पर रूस के बराबर आ गया है. वहीं पाकिस्तान की रैंकिंग में गिरावट आई है. साथ ही हर बार की तरह अमेरिका ने इस रैंकिंग में पहला स्थान प्राप्त किया है. क्या बदलाव हुए हैं इस लिस्ट में? और अपने पड़ोसियों के मुकाबले भारत कहां ठहरता है? इन सवालों के जवाब जानते हैं.
द मेकिंग ऑफ इंडेक्सइस लिस्ट को तैयार करने के लिए देशों की मिलिट्री पावर, लॉजिस्टिकल क्षमता, जियोग्रॉफी यानी भूगोल, आर्थिक क्षमता, पैरामिलिट्री क्षमता, देश पर कर्ज और डिफेंस बजट जैसे मानकों को आधार बनाया जाता है. ग्लोबल फायरपावर की रैंकिंग में 0.0000 के पावर इंडेक्स स्कोर को परफेक्ट माना जाता है. भारत का स्कोर 0.1184 है. वहीं, टॉप पर बैठे अमेरिका का स्कोर 0.0744 है, जबकि रूस का स्कोर 0.0788 और चीन का स्कोर भी 0.0788 है. अलग-अलग पैमानों को मिलाकर जो स्कोर किसी देश को मिलता है, वो ज़ीरो के जितना करीब होगा, उतनी ही बेहतर रैंक होगी.

GLOBAL FIREPOWER इन देशों के बीच तुलना करने के लिए अपने एक इंटर्नल फार्मूला का इस्तेमाल करती है. मूल्यांकन के समय नंबर कुछ इस तरह दिए जाते हैं जिससे कम टेक्नॉलजी वाला देश, या कम विकसित देश भी इसमें कंपीट कर सकें. लिस्ट को और भी रिफाइन करने के लिए इन देशों को बोनस स्कोर भी दिए जाते हैं. कुछ मौकों पर पेनाल्टी भी लगाई जाती है. सैनिकों की संख्या, देश की आर्थिक स्थिरता, सैन्य उपकरण, उपलब्ध संसाधन और भौगोलिक स्थिति जैसे 60 से ज़्यादा मानकों को ध्यान में रखकर ये रैंकिंग तैयार की जाती है. अब एक उदाहरण से इसकी methodology समझते हैं.
GLOBAL FIREPOWER के अनुसार अमेरिका और चीन में, चीन की नेवी ज्यादा मजबूत है. क्योंकि चीन के पास 355 जहाज़ हैं और अमेरिकी आर्मी के पास 305 जहाज़ हैं. इसके बावजूद अमेरिका इंडेक्स में शीर्ष पर कैसे बना हुआ है? अमेरिकी नौसेना में कैप्टन रहे और नेवी पर किताब To Provide and Maintain a Navy लिखने वाले Jerry hendrix कहते हैं.
असली कंपटीशन जहाज कितने हैं उसका नहीं बल्कि मिसाइल ट्यूब्स कितनी हैं, इसपर है.
अमेरिका के पास यकीनन जहाज कम हैं पर उनकी क्षमता और ऑपरेशनल केपेबिलिटीज़ बहुत ही उन्नत है. वहीं चीनी सेना के जहाज़ अमेरिका की तुलना में उतने उन्नत नहीं हैं. यही वजह है कि कम जहाज होने के बावजूद अमेरिका शीर्ष पर बना हुआ है.
भारत की स्थितिअब एक नजर डालते हैं GLOBAL FIREPOWER की लिस्ट पर और समझते हैं कि भारत इसमें कहां ठहरता है? जैसा हमने पहले बताया, भारत इस लिस्ट में 0.1184 के स्कोर के साथ चौथे नंबर पर है. भारत की सेना के 3 अंग हैं. इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स. इन तीनों को मिलाकर बनती है इंडियन आर्म्ड फोर्सेस. इंडियन आर्मी के पास 14 लाख 55 हजार 550 ऐक्टिव सैनिक हैं जबकि रिजर्व सैनिकों की संख्या 11 लाख 55 हजार है. इंडियन एयरफोर्स के पास 3 लाख 10 हजार 575 सैनिक हैं. वहीं इंडियन नेवी के पास 1 लाख 42 हजार 252 सैनिक हैं.
इसके साथ ही ग्लोबल फायरपावर ने भारत के अर्धसैनिक बलों यानी पैरामिलिट्री फोर्स की संख्या भी जारी की है. 25 लाख 27 हजार सैनिकों के साथ दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी पैरामिलिट्री फोर्स भारत के पास है. भारतीय सेना और पैरामिलिट्री फोर्सेज की संख्या को जोड़ दें तो भारत के पास कुल 51 लाख 37 हजार 550 ऐसे लोग हैं जो किसी जंग या आपदा की स्थिति में हमेशा तैयार हैं.
पाकिस्तानपाकिस्तान और भारत के बीच अब तक 4 बार जंग हो चुकी है. ऐसे में पाकिस्तान की मिलिट्री क्षमता पर हमेशा से भारत की नजर रहती है. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 की रैंकिंग में पाकिस्तान को 3 रैंक का नुकसान हुआ है. 2024 में पाकिस्तान 9वें स्थान पर था. लेकिन 2025 में वो टॉप 10 से बाहर होकर 12वें स्थान पर खिसक गया है. साल 2023 में जो पाकिस्तान 7वें स्थान पर था, उसकी रैंकिंग में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. भारत के मुकाबले पाकिस्तान इस लिस्ट में काफ़ी पीछे है. एक नजर डालते हैं आंकड़ों पर और समझते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच कितना फासला है.
- भारत के पास 14 लाख 55 हजार 550 ऐक्टिव सैनिक हैं. वहीं पाकिस्तान के पास 6 लाख 54 हजार ऐक्टिव सैनिक हैं.
- भारत के रिजर्व सैनिकों की संख्या 11 लाख 55 हजार है जबकि पाकिस्तान के पास 5 लाख 50 हजार रिजर्व सैनिक हैं.
- पैरामिलिट्री फोर्स को देखें तो भारत के पास जहां 25 लाख 27 हजार सैनिकों की क्षमता है वहीं पाकिस्तान के पास 5 लाख की पैरामिलिट्री फोर्स है.

यहां आपने एक टर्म सुना, सेल्फ प्रोपेल्ड और towed आर्टिलरी. सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी उसे कहते हैं जो तोपें खुद से मूव करने के काबिल होती हैं. साथ ही Towed आर्टिलरी उसे कहते हैं जिन्हें किसी गाड़ी से बांधकर टो किया या खींचा जाता है.
नेवल पावरनेवी वो फोर्स है जो किसी भी जंग का रुख पलटने की ताकत रखती है. 1971 के युद्ध में इंडियन नेवी ने पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर ऐसा हमला किया जिससे उनके तेल और गैस के डिपो में आग लग गई. इससे कराची बंदरगाह कई दिनों तक धू-धू कर जलता रहा. वर्तमान समय में देखें तो नेवल पावर के मामले में भारत पाकिस्तान से काफी आगे है. इंडियन नेवी के बेड़े में 2 एयरक्राफ्ट कैरियर्स हैं जबकि पाकिस्तान के पास अभी तक एक भी एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है.

1999 में हुई कारगिल की जंग के दौरान इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान के नाक में दम कर दिया था. साथ ही 1971 के युद्ध में भी पाकिस्तानी टैंक लौंगेवाला बॉर्डर पर इंडियन एयरफोर्स के हंटर जहाजों का शिकार बन गए थे. मॉडर्न वॉरफेयर में एयरफोर्स न सिर्फ हमला करने, बल्कि जासूसी, निगरानी और लॉजिसटिक्स में भी अहम भूमिका निभाती है. इस लिहाज से ये जरूरी है कि भारत की एयरफोर्स भी लगातार मॉडर्न और सशक्त रहे. हालांकि वर्तमान समय में एयरफोर्स जहाजों की कमी से जूझ रही है. 42 स्क्वाड्रन की स्वीकृत संख्या के बावजूद इंडियन एयरफोर्स इस समय मात्र 31 स्क्वाड्रंस के साथ ऑपरेट कर रही है.

भारत एक ऐसा देश है जो तीन तरफ से समंदर और दो तरफ से अपने आक्रामक पड़ोसियों से घिरा है. ड्रैगन अर्थात चीन ने भारत पर 1962 में हमला किया था. साथ ही गलवान घाटी की यादें भारतीयों के दिल में अभी भी ताजा हैं. हालांकि बीते कुछ समय से दोनों देशों के बीच तनाव में कुछ कमी आई है. उच्च स्तर पर बातचीत और बॉर्डर पर तनाव कम करने पर बनी सहमति निश्चित तौर पर अच्छा संकेत है. पर चीन की सोच और विस्तारवादी नीति को देखते हुए भारत के लिए जरूरी है कि वो हमेशा चौकन्ना रहे.
ग्लोबल फायरपावर की लिस्ट देखें तो 0.0788 के स्कोर के साथ चीन तीसरे नंबर पर आता है. स्कोर के मामले में इस बार चीन ने रूस की बराबरी कर ली है. अगर लैंड फोर्सेज को देखें तो चीन के पास 20 लाख 35 हजार ऐक्टिव सैनिक हैं जबकि रिजर्व सैनिकों की संख्या 5 लाख 10 हजार है. चीन के पास 6 लाख 25 हजार का अर्धसैनिक बल या पैरामिलिट्री फोर्स है. इन सभी सैनिकों की कुल संख्या जोड़ दें तो चीन के पास 31 लाख 70 हजार सैनिक हैं जो भारत के मुकाबले काफ़ी कम हैं. पर अपने उन्नत हथियार, मॉडर्न इक्विपमेंट्स की बदौलत चीन कई मौकों पर भारत को आंख दिखाता आया है.
चीनी नेवीचीन लगातार साउथ चाइना सी में अपनी ताकतवर नेवी की बदौलत ताइवान पर कब्जा करने की धमकी देता रहता है. साथ ही उसके कई जहाज और बेड़े अक्सर हिन्द महासागर के क्षेत्र में स्पॉट किये जाते हैं. भारत की तुलना में चीन की नेवी का बेड़ा काफ़ी बड़ा है. भारत के पास जहां 2 एयरक्राफ्ट कैरियर्स हैं, वहीं चीन के पास 3 एयरक्राफ्ट कैरियर्स हैं.
इसके अलावा चीन के पास 4 हेलिकॉप्टर कैरियर्स भी हैं जबकि भारत के नौसैनिक बेड़े में कोई भी हेलिकॉप्टर कैरियर फिलहाल नहीं है. चाहे फ्रिगेट हो, डिस्ट्रॉयर हो, कॉरवेट्स हों या सबमरीन; चीन भारत से काफ़ी आगे है. पर भारत के लिए राहत की बात है कि हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब महासागर में चीन का कोई विशेष दखल नहीं है. इसलिए अगर संघर्ष या युद्ध की स्थिति बनती भी है तो काफ़ी हद तक ये विशुद्ध जमीनी युद्ध होगा जिसे मिलिट्री में Boots On The Ground ऑपरेशन कहा जाता है.

चीनी एयरफोर्स ने बीते सालों में अपने मॉडर्नाइजेशन पर काफ़ी काम किया है. चीन ने स्टेल्थ तकनीक से लैस विमान भी बनाए हैं. साथ ही चीन ने दुनिया का पहला 6th जेनरेशन फाइटर जेट भी बना लिया है. भारतीय वायुसेना को अब भी 42 स्क्वाड्रन का नंबर छूने के लिए कई विमानों की दरकार है.

हालांकि एयर वॉरफेयर में एक बात पर सभी जानकार सहमत हैं कि जंग जीतने के लिए उन्नत जहाज के अलावा पायलट की काबिलियत भी मायने रखती है. भारत ने 1965 में पाकिस्तान से हुई जंग में ये साबित किया है. भारत ने कम उन्नत मिस्टियर विमानों से पाकिस्तान के उन्नत स्टारफाइटर को चकमा दिया था. ऐसे में एयर वॉरफेयर का नतीजा प्रेडिक्ट कर पाना काफ़ी मुश्किल होता है.
भारत के डिफ़ेंस बजट में इस साल लगभग 61 हजार करोड़ की बढ़ोतरी देखने को मिली है. आने वाले सालों में चुनौतियों को देखते हुए इसमें और भी वृद्धि की उम्मीद है जिससे भारत की फायरपावर में इजाफा हो और उसके नागरिक अपने देश में एक सुरक्षित भविष्य पा सकें.
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