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जॉर्ज जार्विस: 'फादर ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया' कहे जाने वाले लॉकलन मैक्वेरी के भारतीय नौकर की कहानी

जॉर्ज जार्विस को 85 रुपये में खरीदा गया था?

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सिडनी, ऑस्ट्रलिया के पार्क में लॉकलन मैक्वेरी की प्रतिमा (फोटो: AFP)
जॉर्ज जार्विस. ये 'फादर ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया' कहे जाने लॉकलन मैक्वेरी के निजी नौकर थे. जार्विस, मैक्वेरी के चाइल्ड स्लेव थे, जो बाद में उनके दोस्त जैसे बन गए. मैक्वेरी की डायरी, जर्नल्स, चिट्ठी आदि से ये सब पता चलता है.

ये स्टोरी SBS हिंदी से ली गई है, जिसे विवेक आसरी ने लिखा है.




85 रुपये में खरीदे गए थे जॉर्ज जार्विस
रॉबिन वाल्श रिसर्चर हैं. इन्होंने जॉर्ज जार्विस
पर 25 साल तक रिसर्च की है. रॉबिन बताते हैं कि मैक्वेरी ने जार्विस को कोचीन में 85 रुपये में खरीदा था. मैक्वेरी के जनवरी, 1795 के एक जर्नल से पता चलता है कि लेफ्टिनेंट ग्रे कोचीन से लौटे हैं और उन्होंने मैक्वेरी के लिए दो अश्वेत बच्चे लाए हैं. दोनों की उम्र एक समान ही है. उन्हें देख लगता है कि वह छह-सात साल के होंगे. मजबूत से दिखने वाले लड़के को हेक्टर नाम दिया गया और दूसरे को जॉर्ज. इन दोनों को 170 रुपये में खरीदा गया था.
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रिसर्चर रॉबिन वाल्श (फोटो: इंडिया लिंक वेबसाइट)

मैक्वेरी ने भारत में एक लंबा वक्त बिताया. 1788 में वह पहली बार भारत आए और 1801 तक रहे. इस दौरान उन्होंने टीपू सुल्तान के खिलाफ श्रीरंगपट्टनम में लड़ाई लड़ी. इसी जंग में टीपू सुल्तान मारे गए थे. इसी दौरान जॉर्ज और हेक्टर खरीदे गए थे. हेक्टर कोलकाता में भाग गया या खो गया. लेकिन जॉर्ज पहुंच गए स्कॉटलैंड. आप कहेंगे कि ऑस्ट्रेलिया की कहानी सुनाते-सुनाते स्कॉटलैंड कैसे पहुंच गए?
लॉकलन मैक्वेरी मूलतः स्कॉटलैंड के रहने वाले थे. जैसे भारत, ब्रिटेन का गुलाम था, वैसे ही ऑस्ट्रेलिया का भी एक हिस्सा ब्रिटेन का गुलाम था. मैक्वेरी, ब्रिटिश राज में अफसर थे.
मैक्वेरी नौकरी को लेकर कई जगहों पर काम करते रहे और जॉर्ज को अपने भाई के साथ स्कॉटलैंड भेज दिया. जहां वह घरेलू नौकर बन गए.
जॉर्ज जार्विस कौन था?
जॉर्ज का तो अपना नाम तक अपना नहीं था. जॉर्ज के बारे में साफ़ सीधा कुछ ख़ास नहीं पता. लेकिन मैक्वेरी ने जो भी लिखा है, उसी के जरिए पता चलता है कि जॉर्ज का स्वभाव कैसा था.
1809 में जॉर्ज, मैक्वेरी और उनकी पत्नी के साथ ऑस्ट्रेलिया आ गया. जिस जहाज से ये सभी आ रहे रहे, उसी जहाज में एलिस बेंट भी थे. एलिस न्यू साउथ वेल्स में नए जज बनने जा रहे थे. उन्होंने जॉर्ज को लेकर लिखा है-
वह स्वस्थ है. वह लगातार सुधार कर रहा है. उसके पास हज़ारों छोटे अजीब ट्रिक्स हैं. वह सभी चीजों को नोटिस करता है. वह सभी का पसंदीदा है. कर्नल मैक्वेरी का अश्वेत हिंदू सेवक है. वह उनके पास जाने के लिए रो पड़ता है.
ऑस्ट्रेलिया में जॉर्ज
यहां वह देश के सबसे ताकतवर इंसान कर्नल मैक्वेरी के साथ रहते थे. वह मैक्वेरी को तैयार होने में मदद करते. मैक्वेरी कहीं जाएं, तो उनका निजी सामान जैसे कि उनके कपड़े, किताबें आदि साथ लेकर जाते.
जॉर्ज ऑस्ट्रेलिया में कई जगहों पर गए पर बाथर्स्ट का दौरा सबसे ख़ास रहा. 1815 में मैक्वेरी को बाथर्स्ट का दौरा करना था. वहां एक बस्ती बनाने का फैसला लिया गया. ऐसे ने पहली बार ब्लू माउंटेंस (नीली पहाड़ियां) को पार किया गया. सड़क बनाए गए. मैक्वेरी के साथ जॉर्ज भी ब्लू माउंटेंस पर गए. ऐसा करने वाले जॉर्ज शायद भारतीय मूल के पहले इंसान रहे.
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1817 में ऑस्ट्रेलिया में जारी पहले आधिकारिक बैंक नोट पर लॉकलन मैक्वेरी के हस्ताक्षर (फोटो: AFP)

जॉर्ज की शादी
1820 में एक लड़की सिडनी आई. मैरी जेली. उसे सात साल की सजा सुनाई गई थी. ऑस्ट्रेलिया पहुंचने पर उसे सरकारी ऑफिस चैम्बर में काम दिया गया था. मैरी के आने के छह हफ्ते बाद जॉर्ज ने उसे प्रपोज किया. मैरी का हां में जवाब आया. दोनों ने शादी कर ली. रॉबिन वाल्श बताते हैं कि यह जानना मुश्किल है कि क्या यह पहली नजर का प्यार था या मैरी ने इसे जॉर्ज से शादी करके अपनी आजादी मिलने के मौके के रूप में देखा. मैरी के बारे में कुछ ख़ास पता नहीं है. ऐसा लगता है, मानो उसका कोई वजूद था ही नहीं. 1820 में मैरी ने बेटी को जन्म दिया, जिसकी मौत सिर्फ छह दिन में हो गई.
वापस इंग्लैंड
इधर मैक्वेरी का कार्यकाल खत्म हो रहा था. 1822 में जॉर्ज और मैरी, मैक्वेरी के साथ वापस ब्रिटेन लौट गया. इसी यात्रा के दौरान मैरी ने बेटी को जन्म दिया. यहां कुछ ही दिन रहने के बाद जॉर्ज की यात्राएं मैक्वेरी के साथ फिर से शुरू हो गई. फ्रांस, इटली से लार्क स्विट्जरलैंड तक. अप्रैल, 1824 में मैक्वेरी ने वापस लंदन जाने का फैसला किया. पेंशन आदि की बात करने. साथ ही न्यू साउथ वेल्स में अपनी सेवाओं को लेकर राजा से संभावित पदवी लेने. जॉर्ज को भी अपने साथ ले गए.
1 जुलाई, 1824 को मैक्वेरी की मौत हो गई. जब मैक्वेरी की मौत हुई, तो उसके कमरे में एलिजाबेथ के साथ जॉर्ज भी था. जॉर्ज ने अंतिम संस्कार को लेकर पूरी तैयारी की. मैक्वेरी की बॉडी, उसके स्कॉटलैंड वाले घर ले जाई गई. मध्य जुलाई में उसे दफना दिया गया.
लॉकलन मैक्वेरी (फोटो: नेशनल म्यूजियम ऑस्ट्रेलिया)
लॉकलन मैक्वेरी (फोटो: नेशनल म्यूजियम ऑस्ट्रेलिया)

मैक्वेरी के मरने के छह महीने बाद जॉर्ज की मौत हो गई
मैक्वेरी की मौत के छह महीने बाद जनवरी 1825 में जॉर्ज की भी मौत हो गई. 32 साल की उम्र में. उनकी मौत क्यों हुई, इसको लेकर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. जिस दिन जॉर्ज खरीदे गए थे, उसके ठीक 30 साल बाद मैक्वेरी दफनाये गए.
मरने से मैक्वेरी ने अपने वसीयतनामे में जॉर्ज के नाम सालाना 25 पाउंड पेंशन लिख गए थे. जब जॉर्ज को दफनाया जा रहा था, तब मैक्वेरी का एक रिश्तेदार मौजूद था. उन्होंने अपनी डायरी में लिखा था-
मैंने मैक्वेरी के भाई कर्नल चार्ल्स मैक्वेरी के साथ पूरा दिन बताया. वह खुद मैक्वेरी के अश्वेत नौकर जॉर्ज के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गए.
ऐसा कुछ भी उपलब्ध नहीं है, जिससे पता किया जा सके कि जॉर्ज कौन था, कैसा था. रॉबिन वाल्श जॉर्ज को मैक्वेरी का मूक गवाह मानते हैं. कहते हैं कि कोलोनियल सोसाइटी को इस तरीके से डिजायन किया गया था कि लोग अदृश्य रहें.
2011 में लॉकलन मैक्वेरी: द फादर ऑफ ऑस्ट्रेलिया नाम की 53 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म रिलीज़ हुई थी. इसमें जॉर्ज को भी विस्तार से दिखाया गया था. इसमें जॉर्ज का रोल वैनथान थिरुवरुडेलवन ने किया है.
विडियो देखिए.



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