13 मई, 2025. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के आदमपुर एयरफोर्स स्टेशन (Adampur Air Base) पहुंचे. ये वही एयरबेस है जिसे नेस्तनाबूद करने का दावा पाकिस्तानी हुक्मरान और सेना कर रहे थे. पाकिस्तानियों के मुताबिक वहां मौजूद S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी तबाह हो गया था. पीएम मोदी ने भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम 'सुदर्शन चक्र' के सामने खड़े होकर तस्वीर पोस्ट की. ये पाकिस्तान को साफ संदेश था कि उसके झूठ का पुलिंदा अब और नहीं चलेगा. Operation Sindoor के बाद पाकिस्तान ने इस एयरबेस के तबाह करने का झूठा दावा किया था.
जब भारत के किसानों ने आदमपुर एयरबेस के पास पाकिस्तानी कमांडोज को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा
ऑपरेशन सिंदूर के बाद 13 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के आदमपुर एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे थे. ये वही एयरबेस है जिसे नेस्तनाबूद करने का दावा पाकिस्तानी सेना कर रही थी.

इस एयरबेस को लेकर झूठ फैलाने के पीछे पाकिस्तान की एक पुरानी खुन्नस भी है. खुन्नस ये कि यहीं से उड़ान भरने वाले भारत के ‘टाइगर स्क्वाड्रन’ ने उनके सरगोधा एयरबेस पर हमला किया था. साथ ही ये बेस पंजाब में है इसलिए पाकिस्तान से करीब होना इसके लिए एक एडवांटेज भी है, लेकिन हमले की सूरत में डिसएडवांटेज भी.
1965 की जंग में इसी एयरबेस से उड़े मिस्टियर विमानों ने पाकिस्तान के सरगोधा एयरबेस को तबाह कर दिया था. सरगोधा में पाकिस्तान का सेंटर फॉर एयर एक्सीलेंस है. माने यहां पाकिस्तान के बेस्ट पायलट्स तैयार होते हैं. यही नहीं, इस जंग में पाकिस्तान की ओर से भेजे गए SSG कमांडोज़ को यहां के किसानों ने बंधक बना लिया था. और ये सभी खुलासे हुए इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक विस्तृत रिपोर्ट में. इसमें पाकिस्तानी एयरफोर्स के पूर्व अधिकारी एयर कमोडोर कैसर तुफैल (रिटायर्ड) के हवाले के 1965 की जंग का मंजर बयां किया गया है. तो समझते हैं क्या था पाकिस्तान का वो मिशन जिसे भारत के किसानों ने पूरा होने नहीं दिया.

1965 की जंग के दौरान आदमपुर में मिस्टियर विमान तैनात थे. ये स्क्वाड्रन नंबर 1 का होम बेस था जिन्हें 'टाइगर्स' के नाम से ख्याति प्राप्त थी. आपने कुछ समय पहले आई अक्षय कुमार की मूवी स्काई फोर्स देखी होगी. ये मूवी इसी एयरबेस पर तैनात स्क्वाड्रन लीडर एबी देवय्या की कहानी बयां करती है. स्क्वाड्रन लीडर देवय्या 1965 की जंग में सरगोधा पर हमला करने गए, लेकिन वापस नहीं लौटे. 1965 की जंग में भारत के चार एयरबेस- आदमपुर, पठानकोट, हलवारा और अंबाला ने पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा था.
पाकिस्तान को समझ आ चुका था कि हवाई हमला कर के इन्हें जीतना मुमकिन नहीं है. लिहाजा उन्होंने एक दुस्साहसी प्लान बनाया. प्लान जिसे मिलिट्री की भाषा में Boots On The Ground कहते हैं. यानी अपने स्पेशल फोर्स के सैनिकों को पैराशूट के जरिए ऑपरेशन वाली जगह पर ड्रॉप करना. पाकिस्तानी एयरफोर्स के एयर कमोडोर कैसर तुफैल (रिटायर्ड) के मुताबिक ये प्लान पाकिस्तान के तत्कालीन एयरफोर्स चीफ, एयर मार्शल असगर खान के दिमाग की उपज था. उनके बाद पाक एयरफोर्स की कमान संभालने वाले एयर मार्शल नूर खान ने इस प्लान को पूरा करने की ठान ली.

पाकिस्तानी एयरफोर्स की एक टीम को पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स (स्पेशल सर्विस ग्रुप-SSG) के साथ एक जॉइंट ऑपरेशन प्लान करने का आदेश मिला. जैसे भारत में पैरा स्पेशल फोर्स (Para SF) है, कुछ उसी तर्ज पर पाकिस्तान में SSG है. एयर कमोडोर तुफैल कहते हैं,
SSG के अधिकारी कर्नल सईद गफ्फार मेहदी के मुताबिक इससे हमें कुछ भी हासिल नहीं हुआ क्योंकि पाकिस्तान एयरफोर्स द्वारा की गई मांगें स्पष्ट रूप से हमारे सैनिकों की क्षमता से परे थीं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एयर कमोडोर तुफैल आगे बताते हैं,
जुलाई में पेशावर के पैरा ट्रेनिंग स्कूल (PTS) में कर्नल मेहदी, उनके जनरल स्टाफ ऑफिसर-2 ऑप्स, मेजर एहसान-उल-हक डार के साथ पाकिस्तान एयरफोर्स के कमांडर इन चीफ के सामने एक औपचारिक प्रस्तुति दी गई. इस प्रेजेंटेशन में SSG की चिंताओं को भी रखा गया.
बकौल एयर कमोडोर तुफैल, इस मीटिंग में दो महत्वपूर्ण चीजों पर बात हुई-
- इस तरह का मिशन तभी सफल हो सकता है जब हमलावर के पास रणनीतिक और सामरिक रूप से सरप्राइज एलिमेंट, दोनों ही हों. भारतीय ठिकानों पर हमला युद्ध के पहले संकेत के रूप में किया जाना था, जिसका मतलब था कि यदि युद्ध कुछ समय से चल रहा था और दुश्मन के एयरबेस की सुरक्षा अलर्ट की स्थिति में थी, तो द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह ऐसे कमांडो ऑपरेशंस की सफलता की संभावना बहुत कम थी.
- टारगेट, उसकी विशेषताएं, शेप और उसका पूरा विश्लेषण पाकिस्तान एयर फोर्स और जनरल हेडक्वार्टर द्वारा SSG को दिया जाना था.
हालांकि मिशन के बाद पैरा-कमांडोज़ को बाहर निकालने के प्लान पर ठीक से काम नहीं किया गया. हमले के बाद पूरी तरह से अलर्ट रहने वाले एयरफील्ड पर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उतारना एक काल्पनिक विचार जैसा लगता था. जहां तक हेलीकॉप्टर्स की बात थी, न तो पाक आर्मी और न ही PAF के पास ऐसे ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर्स थे जो दुश्मन के इलाके से बड़ी संख्या में कमांडोज़ को निकाल सकते थे.

अखबार ने एयर कमोडोर तुफैल के हवाले से बताया कि पाकिस्तान ने इस हमले के लिए तीन टीमें बनाईं. इनमें तीन अधिकारी सहित 60 कमांडो थे. सभी को तीन C-130 ट्रांसपोर्ट विमानों द्वारा पैरा ड्रॉप किया गया. हर टीम के पास एक वायरलेस सेट होना था, ताकि C-130 को उनके स्टेटस के बारे में सूचित किया जा सके. अकेले उतरने वाले कमांडो को दो दिन का राशन दिया गया, जिसमें पांच मीठी रोटियां और भारतीय करेंसी वाले 400 रुपये शामिल थे. इसके अलावा उन्हें पर्सनल वेपन्स के तौर पर विस्फोटक, ग्रेनेड आदि भी दिए गए. आखिरकार, 7 सितंबर की सुबह-सुबह कमांडोज़ को ड्रॉप किया गया. इसमें 64 SSG कमांडो पठानकोट एयरबेस के पास, 55 कमांडो आदमपुर के पास और 63 हलवारा में उतारे गए.
आदमपुर में पैराड्रॉप होने वाले पाकिस्तानी सैनिक एक गांव के बीचोबीच उतर गए. गांव में उतरने के बाद उन्हें समझ आया कि वो एयरबेस से दूर उतर गए हैं. अभी वो ये सब सोच ही रहे थे कि गांववालों की निगाह उन पर पड़ गई. उन्हें ये समझते देर नहीं लगी कि ये पाकिस्तानी सैनिक हैं. लिहाजा गांव के किसानों ने उन्हें पकड़ लिया और जमकर पीटा. हालांकि अलार्म बजने पर पंजाब पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं, लेकिन तब तक गांव वाले इन SSG कमांडोज़ को तबियत से कूट चुके थे. बहरहाल पुलिस पहुंची और 42 SSG कमांडोज़ को पकड़ लिया गया. 12 को गोली मार दी गई. एक कमांडो की किस्मत अच्छी थी. वो भागने में सफल हो गया.
गन्ने के खेत में पीटाऐसा नहीं था कि पाकिस्तानी कमांडो सिर्फ आदमपुर में कूटे गए. पठानकोट में उतरने वाले कमांडोज़ का भी यही हाल हुआ. वो भी अपने तय लैंडिंग पॉइंट, यानी एयरबेस से कई किलोमीटर दूर गन्ने के खेतों में उतर गए. जब तक वो सभी एक साथ रीग्रुप होकर एयरबेस की तरफ बढ़ते, गांववालों की नजर उन पर पड़ गई. 45 कमांडो यहां भी कैद कर लिए गए. जबकि 4 की मौके पर ही मौत हो गई. इनमें से भी कुछ की किस्मत अच्छी थी. वो पठानकोट से कांगड़ा की पहाड़ियों की तरफ भाग गए जिससे उनकी जान बच गई.
आज 2025 में भी पाकिस्तान की सेनाओं को ये कड़वी यादें परेशान करती होंगी. उन्हें स्क्वाड्रन लीडर देवय्या जैसे योद्धाओं का डर आज भी है जो एक मिस्टियर विमान लेकर तब के एडवांस पाकिस्तानी स्टारफाइटर से डॉग फाइट (हवा में दो विमानों की लड़ाई) करने निकल पड़े थे. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना की प्रेस कांफ्रेंस हुई. इस प्रेस कांफ्रेंस में आदमपुर को लेकर झूठी खबरें फैलाने का पाकिस्तान का प्रोपोगैंडा ध्वस्त हो चुका है.
वीडियो: तारीख: कहानी इंडियन आर्मी के 9 पैरा SF की जिन्होंने पाकिस्तानी आर्मी के दांत खट्टे कर दिए