क्या है आईबीजी? आईबीजी को समझने के लिए पहले कोल्ड स्टार्ट को समझना होगा. कोल्ड स्टार्ट, इंडियन आर्मी की एक सैन्य रणनीति की थ्योरी है. आसान भाषा में कहें तो जिस तरह से बिना गर्म किए गाड़ी स्टार्ट की जाती है. उसी तरह से युद्ध के लिए कुछ घंटों में सेना को तैयार किया जाए. इसमें सेना की अलग-अलग टुकड़ियां इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप की तरह ऑपरेशन चलाती हैं. ताकि जब तक देश के दूसरे हिस्सों से सैन्य टुकड़ियां सीमा पर पहुंचे तब तक दुश्मन देश के अलग-अलग हिस्सों में हमले किए जा सकें. हालांकि भारत सरकार ने कोल्ड स्टार्ट थ्योरी के वजूद में होने की बात कभी स्वीकार नहीं की.
अब आते हैं आईबीजी पर. इंडियन आर्मी के स्ट्रक्चर पर ध्यान दें तो इसमें सबसे पहले कमांड होती है. कमांड के नीचे कोर, कोर के नीचे डिवीजन. डिवीजन के बाद ब्रिगेड और फिर बटालियन.
आर्मी कहती है कि अब हमें नए तरह के युद्ध लड़ने हैं जैसे कोल्ड स्टार्ट. इस तरह के वॉर फाइट करने के लिए हमें नए तरह का एक फॉर्मेशन चाहिए था. जो डिविजन जितना बड़ा न हो. एक डिविजन में लगभग 14 हजार सोल्जर होते हैं. आर्मी कहती है कि ये बहुत बड़ी फॉर्मेशन है. क्यों न इस फॉर्मेशन को थोड़ा सा छोटा कर दें. जो ब्रिगेड से बड़ा हो. इस फॉर्मेशन को और ज्यादा हथियार दें. जैसे टैंक, आर्टिलरी, हैलीकॉप्टर. यह डिफेंसिव भी हो और ऑफेंसिव भी. इसलिए आईबीजी में दो टीमें होंगी. पहली टीम आक्रामक भूमिका में होगी जबकि दूसरी टीम दुश्मन के हमलों को रोकने और बचाव का काम करेगी. आईबीजी में तोप, टैंक, एयर डिफेंस और आधुनिक साजो-सामान शामिल होंगे.

सेना अब तक का सबसे बड़ा पुनर्गठन कर रही है. जिसके प्रस्तावक थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत हैं.
साल के अंत तक पाक सीमा पर होगी आईबीजी भारतीय सेना अपनी पश्चिमी और पूर्वी सीमा पर 11 से 13 आईबीजी की टुकड़ियां तैनात करने की योजना पर काम कर रही है. साल के अंत तक भारत-पाक सीमा पर ये टुकड़ी तैनात हो जाएगी. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने IX कॉर्प्स के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है. सेना की ये वाहिनी हिमाचल प्रदेश के योल में स्थित है. IX कॉर्प्स 2009 में बनाई गई और सेना की सबसे युवा वाहिनी में से एक है. और यह चंडी मंदिर, हरियाणा स्थित सेना की पश्चिमी कमान का हिस्सा है. इसे पुनर्गठित कर इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप बनाया जाएगा और पश्चिमी सीमा पर तैनात किया जाएगा.
सेना का सबसे बड़ा पुनर्गठन आईबीजी को ऐसे समय में तैनात किया जा रहा है जब तीनों सैन्य बलों के बीच बेहतर समन्वय बनाने की कोशिश की जा रही है. माना जा रहा है कि आईबीजी सेना की ताकत बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाएगा. इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप्स की क्षमता को देखने के लिए एक अभ्यास किया गया था. जिसका फीडबैक सकारात्मक होने की वजह से आईबीजी को सीमा पर तैनात करने का फैसला लिया गया है.
आर्मी चीफ अपनी तरफ से लक्ष्यों को लेकर क्लियर हैं. उन्हें जितना बजट है उतने में ही संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करना है. सेना को फिट बनाना है. एक्यूरेसी को बढाना है. आईबीजी जैसे विचार इसी कड़ी में आए हैं. लेकिन सबसे जरूरी बात है, भविष्य के लिए जंग की तैयारी. जाहिर है उसके लिए नए रणनीति की ज़रूरत होगी. समय ऐसी फौज को आगे लाने का है, जो छोटी हो, तेज़ रिस्पोंस करे और अंदर तक मार करे. आईबीजी इसी रणनीति का हिस्सा है.
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