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'मुझे निकोल किडमैन ने मर्लिन रूप धर कर परेशान किया'

आज एक कहानी रोज़ में पढ़िए सिद्धांत मोहन की कहानी 'चमाकोभादर'.

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फोटो - thelallantop

सिद्धांत मोहन बनारस में रहते हैं. अपने ढंग की पत्रकारिता और अपने ढंग की फोटोग्राफी करने वाले सिद्धांत एक कवि भी हैं और कहानीकार भी. इन दिनों एक उपन्यास पर वह काम कर रहे हैं. वर्षवार डायरियां लिख रहे हैं और रोज़ एक राजनीतिक रपट. ब्लॉगिंग के भी पुराने लती हैं. बहरहाल, आज एक कहानी रोज़ में सिद्धांत मोहन अपनी कहानी के साथ हैं. पढ़िए...

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ऐसे ही कुछ दिन बीतने के बाद बदली हुई बिपाशा बसु इस खबर के साथ आई कि वह अब उस ‘एब्रेहम’ के साथ नहीं, तो बिपाशा को नहीं पता था लेकिन उसने उस लड़के का पूरा जीवन उसी दिन रच दिया था और इसमें प्रियंका चोपड़ा का भी खास हाथ था, जिसका रैम्प-वाक कलेजे तक का रास्ता गुजारता था.

जिस रोज़ करीना कपूर ब्याही जा रही थी, उसी रोज़ एक लड़का लैपटॉप के सामने मुंह फाड़े अमृता सिंह की कामुक तस्वीरें खोज रहा था. जिस रोज़ जेनेलिया डिसूजा के ब्याह की खबर आई, उस लड़के की आत्मा में से एक बिछौने की जगह खाली हो गई थी. जिस दिन उसने दिया मिर्जा को खुली पीठ के साथ सोनू निगम जैसे छुटभैए के साथ नाचते देखा, तो उसे लगा कि उसका सारा ब्रह्मांड सोनू निगम पर थूक रहा है. एक दिन ऐसा भी हुआ कि उस लड़के के सामने बहुत दिनों बाद वहीदा रहमान आई, ‘गाइड’ के बाद वाली वहीदा बुझी-सी ‘रंग दे बसंती’ में दिखाई दी, उसने उसी दिन सोच लिया कि वह प्रेम नहीं करेगा, वह किसी को पसंद नहीं करेगा और ऐसी ही कोई दूसरी मूर्खता नहीं करेगा. लड़के का जीवन इतना अनिश्चित था कि उसने मर्लिन मुनरो को देखने के बाद पहली बार यह पाया कि वह भी बच्चे पैदा कर सकता है, जबकि मर्लिन मुनरो मुझे कुछ ख़ास नहीं लगती. मुझे तो निकोल किडमैन ने मर्लिन रूप धर कर परेशान किया था. खैर, मैं भी कहां अपनी बात करने लगा? ये मर्लिन-वर्लिन का चक्कर तो मेरी समझ से बाहर है... लड़का खुश रहा करता था. अचानक एक दिन उसे कोयना मित्रा भा गई और उसी दिन उसने सोचा कि सारी पुरानी बातों को कुएं में डाल ही दिया जाए, लेकिन उसे जब होश आया तो उसे ये मालूम हुआ कि उसे प्रेम हो चुका था. इन कठिनाइयों और अनिश्चितताओं के बीच उसे एक ऐसी लड़की मिली जो ठीक-ठीक बिपाशा बसु की तरह लगती थी. लेकिन लड़की को उसमें कुछ खास नहीं दिखा, न कोई ‘एब्रेहम’ न ही कोई ‘मोरिया’ ...लड़की को सिर्फ एक अदद और मिश्रित घी के जीवन से नहाया हुआ लड़का दिखा, जो अपने नायिका-प्रेम के अलावा बहुत बुद्धिमान होने का भ्रम कराता था. लड़की को भी प्रेम हो गया और लड़के को तो हो ही गया था. बाद में, किसी दिन लड़के को ये मालूम हुआ कि लड़की का समूचा सौंदर्य उस समूचे वितान की नींव था जिस पर लड़के की पिछली सारी भावनाओं का वास हुआ करता था. असल में, वह उन सभी नायिकाओं में उस लड़की को खोजा करता था. समय के ऐसे ही किसी कमजोर हिस्से में उसने एक कहानी लिखी, जिसमें लड़का चित्रांगदा सिंह से होकर कमाने के लिए संघर्ष कर रहा है. [ इस कहानी का शीर्षक 'चमाकोभादर' साल 1999 में प्रदर्शित फिल्म ‘मस्त’ में आई एक गाली है, जिसे ऑटोरिक्शा चलाने वाला श्रीदेवी से शादी करने वाले को देता है. ]

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