The Lallantop

इन पांच दोस्तों के सहारे कृष्ण जी ने सिखाया दुनिया को दोस्ती का मतलब

कृष्ण भगवान के खूब सारे दोस्त थे, वो मस्ती भी खूब करते और उनका ख्याल भी खूब रखते थे.

Advertisement
post-main-image
Source- romapadaswamimedia
कृष्ण जी बहुत अच्छे थे. उनके दोस्त भी बड़े अच्छे-अच्छे थे. दोस्ती निभाना बहुत अच्छे से जानते थे. कृष्ण भगवान के खूब सारे दोस्त थे, वो मस्ती भी खूब करते और उनका ख्याल भी खूब रखते थे. उनके पांच फ्रेंड्स तो बहुत फेमस थे. हम उनके बारे में आपको बताएंगे.

द्रौपदी

द्रौपदी को कृष्णा भी कहा जाता है. उनकी और कृष्ण की दोस्ती एकदम ही अलग थी. आपने कभी सुना है कि किसी और भगवान की फीमेल फ्रेंड रहीं हो. द्रौपदी की शादी पांडवों से हुई थी. जब कौरवों की सभा में द्रौपदी की इंसल्ट की जा रही थी तो कृष्ण ने ही वस्त्रावतार लिया और द्रौपदी को प्रोटेक्ट किया था.

सुदामा

"देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिके करुनानिधि रोये। पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जलसों पग धोये।"

Advertisement
कन्हैया के दोस्त थे. उन्होंने श्रीकृष्ण और उनके भैय्या बलदाऊ के साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में पढ़ाई की थी. ये वही वाले सुदामा थे. जो चना खाते थे. कृष्ण जी को नहीं देते थे और पूछने पर कह देते थे मेरे तो दांत ठंड से किटकिटा रहे हैं. फिर यही सुदामा बहुत गरीब हो गए. लेकिन गरीब होने के बाद भी कृष्ण के पास हेल्प के लिए नहीं जाते थे. बाद में उनकी पत्नी ने खूब जोर डाला तो वो गए. साथ में चिवड़ा लेकर गए. कृष्ण ने सब खा लिया. लेकिन उनको कुछ नहीं दिया. बाद में वो घर लौटे तो देखा यहां उनका महल बना हुआ है.

अक्रूर 

अक्रूर कृष्ण के चाचा थे. यही वो थे जो कंस के कहने उनको और बलराम को मथुरा लाए थे. कंस को मारने के बाद कृष्ण जी इन्हीं के घर रुके थे. स्यमंतक मणि, जिसकी चोरी का कलंक कृष्णजी को लगा. उसको यही डर के मारे लेकर काशी चले गए थे. फिर कृष्ण जी के कहने पर वापस भी ले आए और कृष्ण जी के ऊपर से कलंक हट गया.

सात्यकि

सात्यकि बचपन से ही कृष्ण जी को फॉलो किया करता था. इसीलिए कृष्ण जी भी उस पर खूब भरोसा करते थे. अर्जुन से सात्यकि ने धनुष चलाना सीखा था. जब कृष्ण जी पांडवों के शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर गए तब अपने साथ केवल सात्यकि को ले गए थे. कौरवों की सभा में घुसने के पहले उनने सात्यकि से कहा कि वैसे तो मैं अपनी रक्षा कर ही लूंगा. लेकिन कोई बात हो जाए और मैं मर जाऊं या फिर पकड़ा जाऊं तो तुमको कुछ नहीं होगा क्योंकि हमारी सेना तो मैंने दुर्योधन की हेल्प के लिए दे रखी है. तुमको वो कुछ कर नहीं सकते. और मेरे पकड़ाते ही सेना की कमान तुम्हारे पास आ जाएगी. सेना का तुम कुछ भी कर सकते हो. सात्यकि समझदार थे. वो समझ गए उनको क्या करना है.

अर्जुन 

कृष्ण की बुआ कुंती थीं, उनका तीसरा बेटा था अर्जुन. अर्जुन और कृष्ण की बहुत पटती थी. उनके भाई बलदाऊ सुभद्रा की शादी दुर्योधन से कराना चाहते थे, लेकिन उनने अर्जुन से कराई. कृष्ण के कहने पर ही अर्जुन सुभद्रा को लेकर भाग गए थे. अर्जुन और कृष्ण परफेक्ट टीम और परफेक्ट टीममेट थे. उनकी ट्यूनिंग जबरदस्त थी. जब कोई एक अटकता तो दूसरा उसको संभालता. इसी फेर में गीता ही लिखा गई. तमिल महाभारत में  एक बार एक जादूगर को मारने ये दोनों वेश बदलकर पहुंच गए थे. और बड़े करीने से अपना काम खत्म कर आ गए. ऐसा ही कई बार इन लोगों ने वेश बदल-बदलकर किया है. जो प्रूव करता है, ये साथ-साथ उल्टे तरीके से काम करने में भी बड़े तेज थे.

ये स्टोरी 'दी लल्लनटॉप' के लिए आशीष ने की थी.


ये भी पढ़ें:

ये आदमी साल के 365 दिन हर रोज कृष्ण की एक तस्वीर बनाता है

Advertisement
Advertisement