आज की कहानी एक अमेरिकी जासूस की है, जो अपने ही देश के ख़िलाफ़ गई और उसे नाम मिला, द क़्वीन ऑफ़ क्यूबा. यानी, क्यूबा की महारानी. 17 बरस तक जासूसी के बाद जब उसका राज़ खुला, तब सीआईए ने कहा था, उससे ख़तरनाक डबल एजेंट अमेरिका के इतिहास में कोई नहीं हुआ.
अमेरिका की जासूस जिसने अमेरिका की ही लंका लगा दी!
अना बेलेन मोंटेस की कहानी क्या है?

ये कहानी अना बेलेन मोंटेस की है. जिसे 21 बरस के बाद जेल से रिहा कर दिया गया है. अना अमेरिका की डिफ़ेंस मिनिस्ट्री के इंटेलिजेंस विंग ‘डिफ़ेंस इंटेलिजेंस एजेंसीट (DIA) के लिए काम करती थी. वो अपने काम में इतनी तेज़तर्रार थी कि उसे एक बरस डिस्टिंक्शन का सर्टिफ़िकेट भी मिला था. फिर ऐसा क्या पता चला कि अमेरिका के पैरों तले ज़मीन खिसक गई? ऐसा क्या हुआ कि अना को एक मीटिंग के बीच से उठा लिया गया? अना ने ऐसा क्या किया था कि उन्हें मौत की सज़ा देने की मांग हुई थी?
वो 2001 का साल था. 9/11 का हमला हुए 10 दिन बीत चुके थे. अमेरिका की सभी सरकारी एजेंसियां एक पांव पर काम कर रही थी. तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यु बुश ने कह रखा था कि हमले के ज़िम्मेदार जहां कहीं होंगे, उन्हें वहां से निकालकर सज़ा दी जाएगी. इसका दारोमदार इन्हीं सरकारी एजेंसियों पर था. बुश के बयान का ताप DIA के उस दफ़्तर में भी महसूस हो रहा था, जहां अना काम करती थी. बीते 17 सालों से वो दफ़्तर उसकी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा था. अब तो उसका शरीर रूटीन को रट चुका था. 21 सितंबर 2001 को भी अना ने बैग अपने डेस्क पर रखा. उसमें से कुछ फ़ाइलें निकालीं और मीटिंग वाले कमरे में जाने लगी. कमरे में पहुंचकर उसने हाय-हेलो किया और फिर मीटिंग शुरू करने के लिए कहा. तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई. उन्हें अंदर आने से किसी ने नहीं रोका. वे फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (FBI) के एजेंट्स थे. एक सीनियर एजेंट ने आगे बढ़कर एक हथकड़ी टेबल पर रख दी. उसने अना की तरफ़ देखकर कहा,
‘मिस अना बेलेन मोंटेस! यू आर अंडर अरेस्ट. यू मे आस्क फ़ॉर अ लॉयर.’
कमरे में बैठे बाकी लोगों के लिए ये किसी सदमे की तरह था. उन्हें दिन की शुरुआत में इस ट्विस्ट का अंदाज़ा नहीं था. मगर अना के चेहरे पर रत्तीभर का अंतर नहीं आया. ऐसा लग रहा था कि उसको इसके बारे में बहुत पहले से पता था. उसने कहा कि वो वकील बुलाना चाहेगी. वकील बुलाया गया. थोड़ी देर की बातचीत के बाद अना FBI एजेंट्स के साथ जाने के लिए तैयार हो गई.
अना को अरेस्ट क्यों किया गया था?दरअसल, अना पर डबल एजेंट के तौर पर काम करने का आरोप था. अना DIA में क्यूबा डेस्क पर एक्सपर्ट थी. उसका काम था, क्यूबा से खुफिया जानकारियां निकालना और अमेरिका सरकार की मदद करना. इसकी बजाय अना अमेरिका की सीक्रेट सूचनाएं क्यूबा सरकार के साथ शेयर कर रही थी. पूरे 16 सालों तक. अमेरिका के कानून में इस अपराध के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान है.

मार्च 2002 में अना ने सरकारी वकीलों के साथ समझौता कर लिया. इसके तहत, अना ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. इसके बदले मौत की सज़ा को टाल दिया गया. अना को अदालत ने 25 बरस की सज़ा सुनाई. ये मामला उस समय पकड़ में आया था, जिस समय अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में वॉर ऑन टेरर की शुरुआत कर रहा था. अमेरिकी मीडिया और सरकारी एजेंसियों का पूरा फ़ोकस उस तरफ था. इसी वजह से अना मोंटेस वाले मामले को वैसी चर्चा नहीं मिली. हालांकि, अमेरिकी एजेंसियों ने ये माना कि, उसके जैसी घुसपैठ किसी और ने नहीं की थी. इसकी वजह से सेंट्रल अमेरिका में उनके सीक्रेट ऑपरेशंस को नुकसान हुआ था और कई एजेंट्स की जान भी ख़तरे में पड़ी थी.
अब सवाल ये उठता है कि, अना ने अपने देश को धोखा क्यों दिया और इससे उसको क्या हासिल हुआ था?
इसके लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा. कितना? साल 1957. वेस्ट जर्मनी के न्यूरेम्बर्ग में अमेरिका का एक मिलिटरी बेस था. उसी बेस के अस्पताल में एक डॉक्टर के परिवार में अना का जन्म हुआ था. उसके दादा-दादी प्युअर्तो रिको से आए थे. प्युअर्तो रिको कैरेबियाई द्वीप में बसा है. 1898 के स्पेनिश-अमेरिकन वॉर के बाद से ये अमेरिका का हिस्सा है. हालांकि, उसे राज्य का दर्जा नहीं मिला है. प्युअर्तो रिको में एक बड़ी आबादी स्पेनिश बोलती है. स्पेनिश से अना का परिचय घर में ही हुआ. ये ज्ञान आगे चलकर उसका जीवन बदलने वाला था.
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद अना को यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट में नौकरी मिल गई. उसकी याद्दाश्त बड़ी तेज़ थी. इसलिए, उसको अमेरिका की डिफ़ेंस मिनिस्ट्री के मुख्यालय पेंटागन में एंट्री मिली. उसे मिनिस्ट्री के इंटेलिजेंस विंग DIA का हिस्सा बनाया गया. वो 1985 का साल था. उस दौर में कोल्ड वॉर अपने अंत की तरफ़ बढ़ रहा था. अमेरिका, कम्युनिज्म के विस्तार को रोकने के नाम पर सेंट्रल अमेरिका के देशों में तख्तापलट करवा कर उब चुका था. सेंट्रल अमेरिका में क्यूबा, बेलिज़, ग्वाटेमाला, हेती, डोमिनिक रिपब्लिक, होंडुरास, निकारागुआ जैसे देश आते हैं. इन देशों में अमेरिका द्वारा तख्तापलट कराने का लंबा इतिहास है. वैसे अमेरिका सिर्फ सेंट्रल अमेरिका में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में ये कुकृत्य करता रहा है.
क्यूबा उन चुनिंदा देशों में से था, जहां अमेरिका अपने पसंद की सरकार बिठाने में नाकाम रहा था. जनवरी 1959 में क्यूबा में बटिस्टा सरकार के ख़िलाफ़ फ़िदेल कास्त्रो की क्रांति सफल हो गई थी. बटिस्टा सैन्य तानाशाह थे. वो 1952 में अमेरिका के सपोर्ट से सरकार गिराकर सत्ता में आए थे. कास्त्रो ने इसके ख़िलाफ़ गुरिल्ला लड़ाई शुरू की और उन्हें सफलता भी मिली.

बटिस्टा सरकार के पतन से अमेरिका को बड़ा झटका लगा. कालांतर में अमेरिका ने कास्त्रो की हत्या और उनकी सरकार को गिराने की बहुत सारी साजिशें रची. मगर वे कामयाब नहीं हो पाए. 1980 के दशक में लैटिन अमेरिका के अधिकांश देशों में अमेरिका के मन की सरकार चल रही थी. क्यूबा में कास्त्रो की कम्युनिस्ट सरकार कायम रही. सोवियत संघ के अवसान के समय भी उन्होंने घुटने नहीं टेके. इसी वजह से 1980 के दशक में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का फ़ोकस क्यूबा पर पर था. क्यूबा भी 1898 तक स्पेन की कॉलोनी थी. स्पेनिश वहां की भी मुख्य भाषा है. इसलिए, अमेरिकी एजेंसियां स्पेनिश पढ़ने-बोलने वाले नौजवान लोगों को रिक्रूट कर रही थी. उनके लिए अना एक अच्छा टेलेंट थी. उसे DIA में क्यूबा डेस्क पर रखा गया. वहां वो क्यूबा से जुड़ी सीक्रेट फ़ाइल्स को हैंडल करने लगी. FBI की जांच में पता चला कि इस नौकरी से पहले ही अना डबल एजेंट बन चुकी थी. दरअसल, पढ़ाई के दौरान वो अपने ग्रुप में अमेरिका की आलोचना किया करती थी. उसका मत था कि सरकार सेंट्रल और लैटिन अमेरिका के देशों की संप्रभुता का हनन कर रही है. उसे ऐसा करने का कोई हक़ नहीं है. उसने उस समय की रोनाल्ड रीगन सरकार के ख़िलाफ़ रैलियों में भी हिस्सा लिया था.
उस दौर में अमेरिका में भी क्यूबा के काफी एजेंट्स एक्टिव थे. आज भी हैं. असल में, पूरी दुनिया में सरकारें एक-दूसरे पर निगरानी रखती हैं. जासूसी की दुनिया में एक कहावत भी चलती है, Everything is secret until it is revealed. जब तक राज़ नहीं खुलता, तब तक सबकुछ रहस्य है. तो, क्यूबा के एक सीक्रेट एजेंट ने अना का पीछा किया. उसके मन में क्यूबा के लिए सहानुभूति भरी और फिर उसे डबल एजेंट बनने के लिए राज़ी कर लिया.
मार्च 1985 में अना पहली बार यूरोप के रास्ते क्यूबा गई. उसने इस दौरान क्यूबा में ग्वांतनामो बे के पास भी गई थी. ग्वांतनामो बे में अमेरिका का सैन्य अड्डा है. क्यूबा सरकार इसको वापस करने की मांग करती है. लेकिन अमेरिका इससे मना करता रहा है. अना ने बाकी क्यूबा का भी दौरा किया. इस दौरान उसने वहां के लोगों के ज़मीनी हालात देखे. यूएस डिफ़ेंस डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसी दौरे पर उसे क्यूबा के लिए जासूसी करने की ट्रेनिंग मिली थी. इसके बाद तो क्यूबा उसके लिए दूसरा घर बन चुका था. वो बार-बार वहां जाने के बहाने तलाशा करती थी. वो सीधे क्यूबा में दाखिल नहीं होती थी. वो पहले यूरोप के किसी देश में जाती और फिर वहां से विग लगाकर क्यूबा जाया करती थी. ये पूरा खेल 16 बरस तक चलता रहा.
फिर इतने दिनों तक वो पकड़ से कैसे बची रही?अना ने 16 बरसों तक क्यूबा के लिए जासूसी की. लेकिन उसने किसी दस्तावेज का एक पन्ना तक नहीं चुराया था. वो डॉक्यूमेंट्स में लिखी हर बात को याद कर लेती थी. फिर उसको अपने डिवाइस पर लिखती थी. उसका कोड तैयार करती थी. फिर उसे पब्लिक फ़ोन के जरिए अपने क्यूबन हैंडलर के साथ साझा करती थी. क्यूबन एजेंट्स शॉर्टवेव रेडियो के जरिए उससे संपर्क किया करते थे.
एक तरफ अना अमेरिका के राज़ क्यूबा के सामने खोल रही थी. दूसरी तरफ़, DIA में उसके काम पर कोई अंतर नहीं पड़ा था. 1997 में उसे ऑफ़िस में अवॉर्ड भी मिला. उसके काम की वजह से उसके सहयोगी अना को ‘क्यूबा की महारानी’ बुलाने लगे थे. एजेंसी में क्यूबा के बारे में उससे बेहतर और कोई नहीं जानता था.
फिर एक दिन सब बदल गया. अना रडार पर आ गई. 1995 की बात है. पेंटागन में एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई. अना इसमें नहीं पहुंची. इसके चलते उसे कुछ दिनों के लिए पद से बर्खास्त कर दिया गया. DIA को अना पर शक हो चुका था. उसकी निजी ज़िंदगी खंगाली गई.
फिर 1999 का साल आया. FBI ने एक अलग फ़ाइल खोली. उन्हें DIA के अंदर किसी डबल एजेंट की तलाश थी. वो एजेंट ग्वांतनामो बे का दौरा कर चुका था. जब FBI ने DIA के जांच अधिकारी से ये जानकारी साझा की, तब उनका पहला इशारा अना की तरफ था. फिर उन्होंने अना के लैपटॉप और फ़ोन रिकॉर्ड्स ढूंढे. उसका महीनों तक पीछा किया. उसके घर की तलाशी ली गई. वहां उन्हें शॉर्टवेव रेडियो मिला. जब एजेंसी के पास पर्याप्त सबूत इकट्ठा हो गए, तब उन्होंने अना को गिरफ़्तार कर लिया.
अना मोंटेस की गिरफ़्तारी में 9/11 के हमले की भी बड़ी भूमिका रही. दरअसल, FBI अना के साथ-साथ उसके क्यूबन हैंडलर को भी पकड़ना चाहती थी. लेकिन 9/11 के बाद उन्हें ये डर हुआ कि कहीं वो तालिबान के लिए काम ना करने लगे. इसलिए, उसको हमले के दस दिन बाद ही उठा लिया गया.
अना मोंटेस को इस काम के लिए कितना पैसा मिला था?ठीक-ठीक देखा जाए तो उसे डबल एजेंट बनने के लिए कोई पैसा नहीं मिला था. उसने ये काम पैसों के लालच में किया भी नहीं था. क्यूबा ने उनकी कुछ टिकट्स का खर्च ज़रूर उठाया था. हालांकि, उसके अलावा अना ने किसी भी तरह की धनराशि नहीं मांगी थी. अना की जीवनी लिखने वाले इतिहासकारों का कहना है कि उसने ये काम विचारधारा के लिए किया था. ये उस समय भी देखने को मिला, जब उसे अदालत में सज़ा सुनाई जा रही थी. अना ने भरी अदालत में कहा था,
‘उनको सुरक्षित रखना मुझे मेरा नैतिक कर्तव्य लगा. क्योंकि हम अपने मूल्य और अपना पोलिटिकल सिस्टम उनके ऊपर थोपने की कोशिश कर रहे थे. ये अन्याय और क्रूरता की हद है.’
अना ने कभी अपने किए के लिए कभी अफसोस नहीं जताया. अना के आलोचक कहते हैं कि उसके पास सरकार की मुखालफत करने के और भी रास्ते थे. उसने ग़लत तरीका चुना था. अना की हरकतों से अमेरिका को हुए नुकसान का कभी आकलन नहीं हो सका. जानकार कहते हैं कि क्यूबा के पास उन जानकारियों का इस्तेमाल करने की शक्ति कभी नहीं थी. हालांकि,इससे अमेरिकी एजेंसियों के ऑपरेशंस पर अंतर ज़रूर पड़ा होगा. एक डर ये जताया गया कि क्यूबा ने सीक्रेट्स रूस, ईरान, नॉर्थ कोरिया और चीन जैसे देशों के साथ साझा किया होगा. मगर इसकी कभी पुष्टि नहीं हो सकी. क्यूबा ने अना की सज़ा पर कोई बयान नहीं दिया. 2016 में उसने एक प्रिजनर स्वैप में अना को छोड़ने की मांग ज़रूर की थी. मगर इस पर अमल नहीं हो सका. अना बेलेन मोंटेस अब 65 बरस की हो चुकी है. उसका अधिकतर समय अस्पताल के बिस्तर पर गुजरता है. फिर भी अमेरिकी सरकार अगले पांच बरस तक उसके ऊपर नज़र रखेगी.
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