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'नो शेव नवंबर' के बाद हस्तमैथुन से जुड़ा ये अजीब चैलेंज सामने आया है

आप पूरा कर पाएंगे कि नहीं, एक एक्सपर्ट से जानिए.

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सेक्स. हस्तमैथुन. मास्टरबेशन. इन तीन शब्दों ने तय कर दिया है कि आप ये लेख तुरंत पढ़ना बंद नहीं करेंगे. मैं यही चाहता था. क्योंकि बड़े काम की बात बताने जा रहा हूं. आपको लेख पूरा पढ़ने में सहूलियत हो, इसके लिए मैं इसे तीन हिस्सों में बांट रहा हूं - 'भूमिका', 'काम की बातें' और एक 'उपसंहार. पेश है-

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भूमिकाः

'नो शेव नवंबर' आपने सुना होगा. जो दढ़ियल साल भर यूं भी दाढ़ी नहीं कटाते, वो इस महीने में और बढ़ा लेते हैं. जिनकी दाढ़ी नहीं आती या मेरी तरह खिचड़ी दाढ़ी आती है, वो और कुढ़ने लगते हैं. मर्दानगी का ये ऐसा उत्सव है, जिसमें से ज़्यादातर मर्द बाहर ही रहते हैं. सारी खुजली झेलकर इसे फिर भी मनाया जाता है. लेकिन कुछ 'मर्दों' के लिए ये काफी नहीं था. उन्होंने 'नो नट नवंबर' शुरू किया. वहीं, जहां आजकल सब शुरू होकर खत्म होता है - इंटरनेट पर. और जिस संदर्भ में यहां 'नट' का इस्तेमाल किया गया है, उसी के लिए हिंदी में हस्तमैथुन शब्द का प्रयोग किया गया है. अंग्रेज़ी में इसे मास्टरबेशन कहते हैं.
इंस्टाग्राम पर इस तरह के पोस्ट डालकर लड़कों से डिस्ट्रॉय डिक डिसेंबर चैलेंज में शामिल होने को कहा जा रहा है. इंस्टाग्राम पर इस तरह के पोस्ट डालकर लड़कों से डिस्ट्रॉय डिक डिसेंबर चैलेंज में शामिल होने को कहा जा रहा है.
लेकिन नवंबर बीत गया है. और ऑनलाइन कम्यूनिटी ने एक महीने के 'संयम' का जवाब दिया है 'Destroy Dick December' से. इसके तहत आपको दिसंबर की हर तारीख को, उस तारीख जितनी बार हस्तमैथुन करना है. माने 2 तारीख, तो 2 बार, 3 तारीख, तो 3 बार और 20 तारीख तो 20 बार. ऐसे करते हुए 31 तक जाना है. जा पाए, तो आपका डिस्ट्रॉय डिक डिसेंबर चैलेंज पूरा हुआ.
कहने को ये चैलेंज इंटरनेट के एक आभासी कोने तक सीमित है. लेकिन एक दिन में हर साढ़े 46 मिनट पर हस्तमैथुन करने का विचार गज़ब का दिलचस्पी पैदा करता है. जो चैलेंज का हिस्सा हैं, वो जानना चाहते हैं कि वो 31 तारीख तक पहुंचेंगे कि नहीं. नहीं, तो कितनी तारीख पर 'आउट' होंगे ? जिन्हें चैलेंज का हिस्सा नहीं बनना, उन्हें भी इसमें रुचि है कि एक महीने में 496 बार हस्तमैथुन की कोशिश सेहत, आत्मविश्वास और 'परफॉर्मेंस' पर कैसा असर डालेगी?
'ताकत' और 'परफॉर्मेंस' की होड़ लड़के सदियों से लगाते आ रहे हैं. 'ताकत' और 'परफॉर्मेंस' की होड़ लड़के सदियों से लगाते आ रहे हैं.
ये भले सुनने में अटपटा लगे, लेकिन एक लड़के के लिए उसकी सेक्शुएलिटी (जिसे वो भूल में 'मर्दानगी' समझ बैठता है) एक भावनात्मक मुद्दा होता है. एक लिंग उसके शरीर पर होता है, एक उसके दिमाग में. इन दोनों से जुड़ा सब कुछ उसे प्रभावित करते हैं. हस्तमैथुन लड़कों की सेक्शुएलिटी का अभिन्न हिस्सा है. इसलिए एक सनकी इंटरनेट चैलेंज से परे, ऊपर लिखे सभी सवाल बड़े ज़रूरी हैं.

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काम की बातें :

इन सभी सवालों के कुछ अधपके जवाब हमारे पास मौजूद हैं. कुछ हमने विज्ञान पढ़ा है, कुछ हमने फिल्मों-दोस्तों से उठा लिया है और कुछ अपने मन में यूं ही गढ़ लिया है. लेकिन बहुत है, जो हम नहीं जानते. वो सब किससे पूछें, मालूम नहीं. इसलिए 'दी लल्लनटॉप' ये सारे सवाल लेकर कंसल्टेंट सायकायट्रिस्ट और सेक्शुअल डिसॉर्डर स्पेशलिस्ट डॉक्टर प्रवीण त्रिपाठी के पास गया. प्रवीण एमडी, एमबीबीएस हैं. उनसे हमने उन सभी सवालों के जवाब जाने जो कभी न कभी आपके मन में आए होंगे-
#. एक दिन में कितनी बार हस्तमैथुन किया जा सकता है? एक स्वस्थ शरीर की सीमा क्या है?
डॉ प्रवीण - मेडिकल साइंस के मुताबिक ऐसी कोई तय सीमा नहीं है जिसका ध्यान रख कर कहा जाए कि इतना हस्तमैथुन ठीक है और इतने से ज़्यादा खतरनाक.

#. तो क्या हस्तमैथुन से कोई समस्या नहीं होती?
डॉ प्रवीण - हस्तमैथुन अपने आप में शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता. लेकिन अति हर चीज़ की बुरी ही होती है.
#. अगर मैं एक ऐसा लड़का हूं जो रोज़ हस्तमैथुन करता है, तो क्या ये गलत है?
डॉ प्रवीण - नहीं.
#. अगर मैं लगातार हस्तमैथुन करता हूं, तो क्या मेरा लिंग टेढ़ा या छोटा हो जाएगा?
डॉ प्रवीण - ये सरासर गलत है. पीनस के साइज़ या शेप का मास्टरबेशन से कोई संबंध नहीं होता.
#. लोग कभी गांधी जी तो कभी विवेकानंद का नाम लेकर कहते हैं कि वीर्य की एक बूंद खून की दस बूंदों के बराबर होता है. कभी-कभी आंकड़ा लीटर में बताया जाता है. क्या ये बात सही है?
डॉ प्रवीण - ये एक बड़ी आम गलतफहमी है. खून और वीर्य के बीच ऐसा कोई अनुपात काम नहीं करता. खून और वीर्य का बनना दो बिल्कुल अलहदा प्रक्रिया हैं. मास्टरबेशन से आपके शरीर में खून कम नहीं होगा.
ये एक भ्रम है कि हस्तमैथुन से स्पर्मकाउंट कम होता है (फोटोः विंफ इनफर्टिलिटी) ये एक भ्रम है कि हस्तमैथुन से स्पर्मकाउंट कम होता है (फोटोः विंफ इनफर्टिलिटी)
# क्या हस्तमैथुन करते रहने से मेरा स्पर्मकाउंट कम हो जाएगा?
डॉ प्रवीण - नहीं. वीर्य हमारे शरीर में बनना शुरू होता है प्यूबर्टी आने के बाद. और फिर 24 घंटे, सातों दिन लगातार बनता रहता है.
# क्या लगातार हस्तमैथुन करने से मेरी लड़कियों में रुचि कम हो जाएगी?
डॉ प्रवीण - नहीं.
# एक बार हस्तमैथुन करने पर निकलने वाली वीर्य की मात्रा के लिए कोई मानक होता है क्या? जिस से ज़्यादा या कम को किसी बीमारी की निशानी समझा जाए?
डॉ प्रवीण - मास्टरबेशन के बाद निकलने वाले सीमन (वीर्य) की मात्रा इस बात पर निरभर करती है कि आपने पिछली बार कब मास्टरबेट किया था. अगर आपने कई दिन बाद मास्टरबेट किया है तो वीर्य की मात्रा ज़्यादा होगी, नहीं तो कम. दोनों नॉर्मल हैं.
# कभी-कभी जब मैं गुस्सा होता हूं, मेरी हस्तमैथुन करने की इच्छा होती है. ऐसा क्यों होता है?
डॉ प्रवीण - मास्टरबेशन और फिर इजैकुलेशन (वीर्य का निकलना) एक ऐसी क्रिया है जिसके बाद हम रिलैक्स होते हैं. उसी रिलैक्सेशन को पाने के लिए गुस्से में मास्टरबेट करने की इच्छा होती है. कुछ लोग पढ़ाई की थकान हटाने के लिए मास्टरबेट करते हैं. खासकर सिंगल मर्द रात में सोने से पहले मास्टरबेट करते हैं ताकि रिलैक्स होकर सो सकें.
हस्तमैथुन के बाद हम अमूमन रिलैक्स महसूस करने लगते हैं हस्तमैथुन के बाद हम अमूमन रिलैक्स महसूस करने लगते हैं.(मेडिक टिप्स)
#. जब मैं कुछ दिन का गैप देकर हस्तमैथुन करता हूं तो सब ठीक रहता है. लगातार करता हूं तो मेरा लिंग शिथिल रहने लगता है. क्या ये हस्तमैथुन से पैदा हुई कमज़ोरी की निशानी है?
डॉ प्रवीण - आप मास्टरबेशन के दौरान कितने उत्साहित हैं, इसी से तय होता है कि आपका इरेक्शन कितना होगा. जैसे एक ही सब्ज़ी लगातार खाने से उसमें रुचि घट जाती है, लगातार मास्टरबेशन करने से आपको महसूस होने वाला उत्साह कम होने लगता है. ऐसे में आप मास्टरबेट करेंगे तो आपको शिथिलता महसूस हो सकती है. लेकिन ये किसी भी तरह की कमज़ोरी की निशानी नहीं है.
मास्टरबेट करने से कमज़ोरी आती है ये एक भ्रम है जो झोलाझाप डॉक्टरों ने फैलाया हुआ है. चूंकि पीढ़ियों हम कमज़ोरी वाली बात को मानते हुए आए हैं, हम मास्टरबेट करने के बाद कमज़ोरी महसूस करने लगते हैं, जबकि वो होती नहीं है. इसे हम 'धात सिंड्रोम' कहते हैं. जो होता नहीं, उसका डर.
#. क्या हस्तमैथुन एडिक्टिव होता है? क्या इसका नशा हो जाता है?
डॉ प्रवीण - इसके लिए ये समझना होगा एडिक्शन होता क्या है. एडिक्शन सिगरेट या शराब जैसी किसी एडिक्टिव चीज़ का भी हो सकता है और सेक्स या खाने जैसी किसी नॉन एडिक्टिव चीज़ का भी. मास्टरबेट करना एडिक्टिव नहीं होता. लेकिन उसका एडिक्शन हो सकता है. मगर उसे हम मास्टरबेशन एडिक्शन नहीं कहेंगे. वो कंपल्सिव ऑब्सेसिव डिसॉडर का ही एक प्रकार होगा बस.

#. बड़े-बुज़ुर्ग कहते हैं कि हस्तमैथुन करने से मेरा कॉन्सनट्रेशन बिगड़ जाएगा. क्या मानसिक या भावनात्मक रूप से हस्तमैथुन हमारी ध्यान लगाने की शक्ति पर असर डाल सकता है?
डॉ प्रवीण - एक बात समझिए. हस्तमैथुन अपने आप में गलत नहीं होता. लेकिन कोई अपने सभी काम छोड़कर दिन-रात मास्टरबेट ही करता रहे तो ये नुकसानदायक बन जाएगा. इसे कंपल्सिव मास्टरबेशन कहा जाता है. इसी का एक उदाहरण है ऑफिस मास्टरबेशन. लोग ऑफिस में काम वक्त भी जाकर मास्टरबेट कर आते हैं. कई लोग मास्टरबेट करने के लिए दिन-रात पोर्न देखते रहते हैं. ये नुकसान ही करेगा. यहां ध्यान दिया जाए कि समस्या एक इंसान के कंपल्सिव बिहेवियर (बिना सोचे-समझे लगातार एक ही काम करते रहना) से पैदा हो रही है, न कि मास्टरबेट करने से.
#. नाइटफॉल क्यों होता है? क्या ये एक समस्या है जिसका इलाज ज़रूरी है?
डॉ प्रवीण - जैसे मैंने पहले बताया, शरीर में सीमन हर वक्त बनता रहता है. जब आपके शरीर में सीमन पर्याप्त मात्रा में बन जाता है, तब शरीर एक्सट्रा सीमन नाइटफॉल के रूप में बाहर निकाल देती है ताकि सीमन बनने की क्रिया सतत चलती रहे. नाइटफॉल आमतौर पर कोई ऐसा सपना देख रहे होते हैं जिसमें वो उत्तेजित हो जाते हैं. अगर आप नियमित रूप से मास्टरबेट करेंगे तो आपका नाइटफॉल नहीं होगा. ये बिल्कुल नॉर्मल है. कोई बीमारी नहीं है.
ये एक भ्रम है कि पॉर्न ज़्यादा देखने से लड़कों में हस्तमैथुन की प्रवृत्ति बढ़ती है. ये एक भ्रम है कि पॉर्न ज़्यादा देखने से लड़कों में हस्तमैथुन की प्रवृत्ति बढ़ती है.
#. क्या पॉर्न का प्रचलन बढ़ने से लड़कों में हस्तमैथुन करने की प्रवृत्ति बढ़ी है? क्या मेरी पीढ़ी अपने माता-पिता की पीढ़ी से ज़्यादा मास्टरबेट करती है?
डॉ प्रवीण - ये भी एक भ्रम ही है. विश्व प्रसिद्ध अमेरीकी बायोलॉजिस्ट और सेक्सोलॉजिस्ट अल्फ्रेड चार्ल्स किनज़ी की लिखी किनज़ी रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 92 % मर्द और 62 % औरतें मास्टरबेट करते हैं. ये रिपोर्ट 1948 और 1953 की हैं. तो हम पीढ़ियों से मास्टरबेट करते आ रहे हैं. और वो भी बड़ी संख्या में. इसमें कोई ज़बरदस्त उछाल पॉर्न से आया होगा, ऐसे साक्ष्य नहीं हैं.
#. हस्तमैथुन से जुड़े मिथक आते कहां से हैं?
डॉ प्रवीण - मास्टरबेशन अपने आप में एक बहुत ही नॉर्मल चीज़ है. ये फिज़ीकली, एथिकली या मॉरली खराब नहीं है. इसके साथ जो मिथक जुड़े हुए हैं, उन्हें जानबूझ कर बढ़ावा दिया जाता है. क्योंकि इन मिथकों से लोगों में शंका पैदा होती है और फिर वो 'इलाज' करवाने के लिए झोलाछाप डॉक्टरों के पास चले जाते हैं. जबकि उन्हें कोई बीमारी होती ही नहीं. इन मिथकों के सहारे ही सेक्शुअल डिसॉर्डर ठीक करने के नाम पर चल रही इंडस्ट्री चलती है.
झोलाछाप नीक हकीमों ने सदियों से हस्तमैथुन से जुड़े मिथक लोगों में फैलाए हैं. झोलाछाप नीक हकीमों ने सदियों से हस्तमैथुन से जुड़े मिथक लोगों में फैलाए हैं.
# बहुत ज़्यादा हस्तमैथुन से क्या नुकसान हो सकता है?
डॉ प्रवीण - एक्सट्रीम केस छोड़कर मास्टरबेशन से नुकसान नहीं होता. लेकिन बहुत ज़्यादा मास्टरबेशन से आप अपने पीनस (लिंग) को चोट पहुंचा सकते हैं. अगर आप मास्टरबेशन करने के सामान्य तरीके से हटकर कुछ प्रयोग करते हैं तो उस से भी चोट लग सकती है. कुछ लोग मास्टरबेट करते समय खुद का दम घोंटने की कोशिश करते हैं. इससे भी नुकसान हो सकता है.
# मैंने ऐसा भी सुना है कि हस्तमैथुन एक हेल्दी प्रैक्टिस है. मास्टरबेशन के फायदे भी होते हैं क्या?
डॉ प्रवीण - मास्टरबेशन से नुकसान नहीं हैं. लेकिन कुछ चीज़ें हैं जिन्हें आप चाहें तो फायदे की तरह ले सकते हैं. यदि आपका कोई साथी नहीं है जिस से आप संभोग करते हों, तो मास्टरबेट आपको रिलैक्स महसूस करने का एक रास्ता देता है. आज जब शादी काफी लेट होती है, तो मास्टरबेशन सिंगल लोगों की काफी मदद करता है. ऐसा कोई फायदा हम नहीं बता सकते जो मास्टरबेशन से ही होता हो.

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'उपसंहार'

झोलाछाप नीम हकीमों ने लड़कों की सेक्शुएलिटी से जुड़े कुछ भ्रम पीढ़ियों से उनके दिमाग में डाले. उन्होंने एक ऐसी चीज़ को समस्या बता दिया, जिसे लगभग हर लड़का करता है. फिर उसके नतीजे में होने वाली चीज़ों को बीमारी का लक्षण बताया गया. हस्तमैथुन से जुड़े भ्रम अब हमारी परवरिश और सामान्य ज्ञान तक का हिस्सा हैं. इसीलिए ज़रूरी है कि जब हम अब इस भ्रम से ऊपर उठें. हस्तमैथुन मन करे तो करें, लेकिन ध्यान रखें कि हर चीज़ की अति बुरी होती है, हस्तमैथुन की भी. और अगर मन में इस से जुड़ा कोई सवाल बाकी रह गया हो, तो एक विशेषज्ञ से पूछ लें. कुछ सवालों के जवाब हमने यहां दिए हैं. बाकी के लिए आपको सही रास्ता बता दिया है.
सो गायज़, थैंक्स बट नो थैंक्स.


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