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भारत में कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए आपको कितना पैसा देना होगा?

क्या सभी को नहीं लगाई जाएगी वैक्सीन?

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तस्वीर पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट की है, जहां कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर डेवलपमेंट वर्क चल रहा. (फाइल फोटो- PTI)
कोरोना की वैक्सीन अब दूर नहीं है. यूके में पहले चरण में कई लोगों को लगाई जा रही है. साथ ही भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक ने इमरजेंसी यूज ऑथराइज़ेशन के लिए परमिशन मांगी है. ताकि तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने के पहले ही लोगों को वैक्सीन उपलब्ध करायी जा सके.  अब इस वैक्सीन का दाम सामने आ गया है. पता चल गया है कि भारत में कोरोना की वैक्सीन लगवाने के लिए आपको कितनी पैसे देने होंगे? अगर SII और सरकार के बीच में क़रार साइन हो गया, तो अन्दाज़ लगाया जा रहा है कि ये वैक्सीन 250 रुपये तक की मिल सकती है. इससे पहले पूनावाला ने कहा था कि कोरोना की वैक्सीन 500-600 रुपए तक की पड़ सकती है, जबकि सरकारी ख़रीद में वैक्सीन का दाम 225-300 के बीच हो सकता है. ज्ञात हो कि सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा oxford-Astrazeneca द्वारा तैयार की जा रही वैक्सीन का भारी मात्रा में निर्माण काफी समय से चल रहा है. Oxford-Astrazeneca की इस वैक्सीन को वैज्ञानिक नाम AZD1222 दिया गया है, जबकि SII द्वारा इसे Covishield नाम से मार्केट में उतारा जाएगा.  Financial Express की ख़बर की मानें, तो इसके पहले AIIMS के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा भी था कि दिसंबर 2020 के आख़िर या जनवरी 2021 की शुरुआत तक वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए मंज़ूरी मिल जाएगी. क्या है SII की वैक्सीन की ख़ासियत? सबसे ज़रूरी बात तो ये है कि पहले से ही इस वैक्सीन का भारी मात्रा में निर्माण हो रहा है. वो भी भारत में. ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि अमरीका में विकसित हुई फ़ाइज़र या मॉडर्ना की वैक्सीन के इम्पोर्ट का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. ट्रायल में SII में बनायी जा रही oxford की वैक्सीन भी 90 प्रतिशत तक कारगर पाई गयी है. और ये वैक्सीन पहले से भारत में बन रही है तो लोगों के हाथ में जल्द से जल्द आ सकती है. फ़ाइज़र और मॉडर्ना वैक्सीन की तुलना में SII की वैक्सीन के साथ ये भी समस्या नहीं है कि उसे -70 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखना होगा. SII द्वारा बनाई गयी वैक्सीन को 2-8 डिग्री के तापमान में रखा जा सकता है.  किनको वैक्सीन मिलेगी? सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों को मिलेगी. इसके लिए स्वास्थ्यकर्मियों का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है. उनकी जानकारियां इकट्ठा की जा रही है. उसके बाद वरिष्ठ नागरिकों का नम्बर आएगा, फिर बाक़ी की जनता का.  लेकिन यहां थोड़े पेच भी हैं. पेच ये कि कुछ हद तक संभव है कि सभी लोगों को कोरोना की वैक्सीन न मिले. ख़बर-चर्चा है कि जिन्हें कोरोना हो चुका है, उन्हें इस वैक्सीन का डोज़ न दिया जाए. ऐसे में क्या होगा? क़यास हैं तो हम भी क़यास की भाषा बोलेंगे. अगर ऐसी स्थिति आयी तो कोरोना की वैक्सीन को अस्पतालों में तो रखा ही जाएगा, साथ ही मार्केट में भी उतार दिया जाएगा. ठीक वैसे ही, जैसे रेबीज़ की वैक्सीन बाज़ार में उपलब्ध होती है. ऐसी स्थिति में अगर आप सरकारी व्यवस्था में कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवा सके हैं, तो बाज़ार से ख़रीदकर लगवाने का ऑप्शन बचा ही हुआ है. फिर भी, अभी सबकुछ क्लीयर होना बाकी है.

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