सीआईडी का पहला एपिसोड 21 जनवरी, 1998 को टीवी पर दिखा था. आखिरी एपिसोड 27 अक्टूबर, 2018 को आएगा. अब तक सीआईडी के कुल 1546 एपिसोड टीवी पर आ चुके हैं. शो के बंद होने की बात दयानंद शेट्टी ने अखबार और वेब पोर्टल 'मुंबई मिरर' को बताई. उन्होंने बताया कि ये बात पिछले कई दिनों से चल रही थी. लेकिन ये सब जिस तरह से हुआ वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. हर दिन की तरह पूरी टीम शूटिंग कर रही थी, तभी शो के प्रोड्यूसर बी.पी. सिंह ने बताया कि शो की शूटिंग अनिश्चितकाल के लिए रोक दी गई है. क्योंकि उनकी टीम का चैनल के साथ कोई मसला हो गया है. ये मसला क्या है, ये अभी पता नहीं है. लगता है इस मसले को सुलझाने का जिम्मा भी सीआईडी को ही देना पड़ेगा.
इस शो के मुख्य किरदार शुरुआती दौर (1997) से ही शो के साथ जुड़े हुए हैं. ये किरदार हैं-
# शिवाजी साटम- एसीपी प्रद्यूमन
इनका किरदार शक्की अंदाज़ में अजीबोगरीब एक्सप्रेशन के साथ 'कुछ तो गड़बड़ है दया' कहने के लिए पॉपुलर है. साथ ही 20 साल से इनके प्रमोशन न होने को लेकर भी सोशल मीडिया पर इनके काफी मजे लिए जाते हैं.

शिवाजी के अलावा कई फिल्मों में भी काम किया है. इसमें 'यशवंत', 'वास्तव', 'सूर्यवंशम' और 'गर्व' जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं.
# आदित्य श्रीवास्तव- सीनियर सब-इस्पेक्टर अभिजीत
आदित्य इंस्पेक्टर तो हैं साथ ही इकलौते ऐसे किरदार भी हैं, जिनका एक रोमैंटिक ऐंगल भी दिखाया गया है. उन्हें डॉ. सालुंखे की जूनियर फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. तारीका पर क्रश है.

आदित्य सीआईडी के साथ भी कई फिल्मों में काम कर रहे थे. आने वाले दिनों वो ऋतिक रोशन स्टारर 'सुपर 30' में दिखने वाले हैं.
# दयानंद शेट्टी- सीनियर सब-इंस्पेक्टर दया
दया दरवाजे तोड़ने के लिए जाने जाते हैं. जब शो का कोई विलेन खुद को कमरे में बंद कर लेता है. या किसी मर चुके आदमी के घर में घुसना होता है, तो एसीपी साहब कहते हैं- 'दया दरवाज़ा तोड़ दो'.

दयानंद अजय देवगन के साथ फिल्म 'सिंघम-2' में नज़र आए थे. फिल्म में भी उनका नाम दया ही था.
# दिनेश फड़निस- इंस्पेक्टर फ्रेड्रिक्स
फ्रेड्रिक्स अपनी बेवकूफाना हरकतों के लिए जाने जाते हैं. कम शब्दों में ऐसे समझें कि शो में कॉमेडी का पुट डालने का काम इनके ही जिम्मे होता था.

दिनेश 'सरफरोश', 'मेला' और 'ऑफिसर' जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं.
# नरेंद्र गुप्ता- डॉ. सालुंखे
सालुंखे सीआईडी के फोरेंसिक एक्सपर्ट हैं. लेकिन उनकी और एसीपी की दोस्ती इतनी पुरानी है कि इन दोनों के बीच कभी सहमति नहीं बनती. उसके अलावा टेस्ट ट्यूब में एक बूंद लिक्विड डालकर डॉ. सालुंखे कोई भी केस सॉल्व कर लेते हैं.

नरेंद्र ने कई सीरियल्स में काम किया है. इसके अलावा वो 'तू चोर मैं सिपाही' और 'उड़ान' जैसी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं.
एसीपी, दया और अभिजीत को ये शो मिला कैसे?
इस सबहेड में हम बेसिकली ये बता रहे हैं कि इन एक्टर्स की शो में कास्टिंग कैसे हुई? इनके इस शो में कास्ट होने के पीछे का किस्सा भी बहुत दिलचस्प था.
शिवाजी साटम- ये शो में एसीपी प्रद्यूमन का रोल करते हैं. इनकी और शो के प्रोड्यूसर बी.पी.सिंह पहले भी साथ में कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुके थे. इसमें मराठी शो 'एक शून्य शून्य' भी शामिल है. इसलिए जान-पहचान और एक दूसरे पर भरोसा जैसी चीज़ें पहले से थीं. एसीपी के किरदार के लिए सिंह को शिवाजी एक दम परफेक्ट लगे और उन्हें कास्ट कर लिया गया.
दयानंद शेट्टी- जब शो में दया के रोल के लिए एक्टर की तलाश हो रही थी, तभी प्रोडक्शन टीम के सदस्य रहे संजय शेट्टी ने एक नाटक देखा. इस नाटक के लिए दयानंद शेट्टी को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था. संजय भी इनके काम से खासा इंप्रेस्ड भी थे. उन्हें मिलने के लिए बुलाया गया और पांच मिनट के ऑडिशन के बाद ही शो के लिए फाइनल कर लिया गया. तब से वो इंस्पेक्टर दया के नाम से ही जाने जाते हैं.

सीआईडी तिकड़ी. शिवाजी, अादित्य और दयानंद.
आदित्य श्रीवास्तव- आदित्य की इस शो में कास्टिंग बड़े इंट्रेस्टिंग तरीके से हुई थी. पहले वो शो में एक क्रिमिनल की तरह दिखे थे. बाद में वो भी सीआईडी टीम का हिस्सा बन गए. बी.पी. सिंह ने आदित्य को राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' में देखा था. इसमें उन्हें इनका काम पसंद आ गया और शो में कास्ट कर लिया गया. लेकिन तब आदित्य ने सिर्फ 26 एपिसोड में काम करने की बात कही थी. 1998 में वो कई फिल्मों में भी काम कर रहे थे इसलिए उनके लिए लगातार इस शो का हिस्सा बने रहना मुश्किल था. सिंह से बात करने पर उन्हें इसमें भी रियायत मिल गई. उन्हें अपनी मर्जी से आने-जाने की छूट मिल गई. बाद में इस किरदार को आदित्य खुद भी एंजॉय करने लगे और शो के ही होकर रह गए.
आखिर में कुछ मजेदार बातें
# सीआईडी का नाम लिम्का और गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है. इस शो ने भारत के टीवी इतिहास में वो कारनामा किया, जो किसी और ने नहीं किया. 7 नवंबर, 2004 को टीवी पर चला 111 मिनट लंबा एपिसोड एक शॉट में लिया गया था. बिना किसी कट या रिटेक के. इसे नाम दिया गया 'दी इनहेरिटेंस'.

पिछले 21 सालों से चलता आ रहा ये शो अब बंद होने जा रहा है.
# 7 जुलाई, 2006 से पूरे इंडिया में एक टैलेंट हंट शुरू किया गया. इसकी मदद से सीआईडी अपनी टीम के लिए नए ऑफिसर की तलाश कर रही थी. इसे 'ऑपरेशन तलाश' नाम दिया गया. 1 सितंबर, 2006 को इस हंट से एक एक्टर चुना गया. इस एक्टर का नाम था विवेक वी. मशरू. इन्हें शो में सब-इंस्पेक्टर विवेका का रोल दिया गया.
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