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गलती करने में कोई चूक नहीं हुई तब जाकर तैयार हुआ 'भोपाल का मुजस्समा'! 90 डिग्री के पुल पर 'ब्लेम गेम' शुरू

भोपाल के 90 डिग्री वाले रेलवे पुल को लेकर जांच शुरू हो गई है. इस बीच रेलवे और पीडब्ल्यू विभाग के अधिकारी 'ब्लेम-गेम' खेलने में लग गए हैं. दोनों ही विभाग गड़बड़ी का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे हैं.

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भोपाल का 90 डिग्री वाला रेल ओवरब्रिज जांच के घेरे में है (India Today)

भोपाल का 90 डिग्री वाला रेल ओवरब्रिज याद है? सोशल मीडिया पर इसे लेकर खूब मीम बने थे. इतनी फजीहत हुई कि अब इसके ‘निर्माता’ जांच के घेरे में आ गए हैं. मध्य प्रदेश के PWD मंत्री राकेश सिंह के निर्देश पर विभाग ने एक चार-सदस्यीय जांच समिति बनाई है. ये समिति ROB के डिजाइन की जांच करेगी. गड़बड़ी पर जिम्मेदारी तय करेगी और इसमें क्या-क्या सुधार किए जा सकते हैं, इस पर भी सुझाव देगी. इसी बीच रेलवे विभाग और लोक निर्माण विभाग (PWD) के बीच ‘तू-तू मैं-मैं’ का खेल भी शुरू हो गया है. इस गड़बड़ी की पूरी जिम्मेदारी दोनों विभाग एक दूसरे पर डाल रहे हैं.

PWD के इंजीनियर-इन-चीफ केपीएस राणा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस ब्रिज का डिजाइन 2018 में मंजूर किया गया था और इसे PWD के ब्रिज इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने तैयार किया था. इसमें असिस्टेंट इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर लेवल तक के अफसर शामिल थे.

रिपोर्ट के मुताबिक राणा ने कहा कि GAD (जनरल अरेंजमेंट ड्रॉइंग) जो किसी भी ROB का खाका होता है, PWD और रेलवे के साथ मिलकर तैयार किया गया था. पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर (ब्रिज) ने इसे सुपरवाइज किया था. राणा ने बताया कि ROB के डिजाइन का फाइनल अप्रूवल चीफ इंजीनियर (ब्रिज) के विभाग के भीतर ही रहा और इसे ऊपर के अधिकारियों तक नहीं भेजा गया था.

चीफ इंजीनियर (ब्रिज) जीपी वर्मा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

राणा ने आगे कहा, 

इस मामले में विभागों के बीच संवाद की कमी थी. अगर हमें रिसेप्शन स्टेज पर ही ये मिल जाता तो इस प्रोजेक्ट को सुधारा जा सकता था.

रेलवे ने भी मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. रेलवे के प्रवक्ता नवल अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने पहले ही इस डिजाइन को लेकर चिंता जताई थी और PWD को चिट्ठी भी भेजी थी. उनका कहना है कि रेलवे ने अपनी जिम्मेदारी पूरी की और अपने हिस्से का ब्रिज GAD के अनुसार ही बनाया.

मुख्य परियोजना प्रबंधक अनुपम अवस्थी ने कहा कि जब जीएडी तैयार किया गया था, तब वे इसमें शामिल नहीं थे. 

रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिज बनाने का ठेका भोपाल की निजी कंपनी मेसर्स पुनीत चड्ढा को दिया गया था. दो साल तक साइट पर काम करने वाले इंजीनियर कैलाश कुशवाह ने बताया कि डिजाइन PWD ने दिया था और निर्माण स्थल पर जगह की काफी कमी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि पीडब्ल्यूडी ने जगह की कमी का मुद्दा उठाया था. ये रेलवे विभाग की गलती है कि उन्होंने हमारे साथ समन्वय नहीं किया.

बता दें कि भोपाल के ऐशबाग इलाके में 648 मीटर लंबा रेल ओवरब्रिज बनाने में 18 करोड़ रुपये की लागत आई थी. इस ब्रिज का मकसद रेलवे फाटक पर लगने वाले भीषण जाम को खत्म करना था, लेकिन जब ये ब्रिज तैयार हुआ तो अपने 90 डिग्री मोड़ वाले अतरंगी संरचना की वजह से सोशल मीडिया पर चर्चा में आ गया. 

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