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क्या चीन ने H1B वीजा का 'तोड़' निकाल लिया है? एक क्लिक में K-Visa के बारे में सबकुछ जानिए

K-वीजा यानी अमेरिका अपने दरवाजे बंद करना चाहता है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. चीन है न! दुनिया भर के टैलेंटेड लोगों को वह अपने यहां ज्यादा उदार वीजा देने को तैयार है.

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चीन के K वीजा को अमेरिका के H1B वीजा का जवाब माना जा रहा है (India Today)

डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) अगर दुनिया के लिए ‘आपदा’ बने जा रहे हैं तो इसी ‘आपदा में अवसर’ तलाशने वाले भी कम नहीं हैं. एच1बी वीजा में बदलते नियमों के बारे में तो आपने काफी कुछ देख-सुन लिया होगा. MAGA यानी ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा देने वाले ट्रंप ने एच1बी वीजा की फीस 88 हजार से बढ़ाकर 88 लाख कर दी है. यानी, एक ‘असंभव सी दिखने वाली’ राशि दीजिए, तब जाकर अमेरिका का एच1बी वीजा लगेगा. लेकिन इस तहलके के बीच चीन ने दुनिया भर के 'किंकर्तव्यविमूढ़' प्रतिभाशाली लोगों को अपनी ओर खींचने का ‘मस्त’ प्लान बनाया है. इस प्लान का नाम है K-Visa.

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K-वीजा यानी अमेरिका अपने दरवाजे बंद करना चाहता है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. चीन है न! दुनिया भर के टैलेंटेड लोगों को वह अपने यहां ज्यादा जगह देने को तैयार है. 

दुनिया में ‘अमेरिका का विकल्प’ बनने की ख्वाहिश तले ये योजना लाई जा रही है, ऐसा एक्सपर्ट्स का मानना है. ये वीजा ऐसे समय पर लाया जा रहा है, जब भारत समेत दुनिया भर के आईटी और टेक प्रफेशनल्स ट्रंप के 'अप्रवासी विरोधी' फैसलों से बेचैन हैं. 

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लोग साफतौर पर इसे H1B वीजा की काट बता रहे हैं. अमेरिका के ‘टैरिफ बम’ को भारत, चीन और रूस ने एकजुट होकर जिस तरह से डिफ्यूज करने की कोशिश की थी. चीन ट्रंप के इस फैसले के साथ भी वही करने की तैयारी में है.

अब ऊपर-ऊपर इतना सब कुछ जान लेने के बाद ये जानना भी जरूरी है कि क्या है ये K-वीजा? किसको मिलेगा और कैसे मिलेगा? एच1बी से कितना अलग है और क्या चीन का यह दांव सफल हो पाएगा.

K-वीजा की चर्चा भले ही एच-1बी वीजा की फीस बढ़ने के बाद हो रही हो लेकिन चीन की सरकार ने इसे लाने का फैसला अगस्त 2025 में ही कर लिया था. ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के राज्य परिषद ने फैसला किया था कि साइंस और टेक की दुनिया के युवा टैलेंट के लिए एक नई वीजा कैटेगरी शुरू होगी. इसे लेकर प्रधानमंत्री ली कियांग ने देश के वीजा नियमों में संशोधन के राज्य परिषद के आदेश पर अगस्त में ही हस्ताक्षर कर दिए थे. इसमें कहा गया कि चीन अपनी सामान्य वीजा कैटेगरी में K वीजा को भी शामिल करेगा, जो योग्य युवा साइंस और आईटी प्रफेशनल्स के लिए उपलब्ध होगा. इसे 1 अक्टूबर से लागू करने की बात कही गई थी. 

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क्या है K वीजा?

चीन अपने यहां आने वाले विदेशी नागरिकों के लिए पहले से ही कई तरह के वीजा जारी करता है. फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें काम करने आने वालों के लिए Z वीजा, पढ़ाई के लिए X वीजा, बिजनेस के लिए M वीजा, घूमने-फिरने के लिए L वीजा, परिवार से मिलने के लिए Q वीजा और हाई लेवल टैलेंट के लिए R वीजा शामिल हैं. इस तरह के कुल 12 वीजा कैटेगरीज हैं. 

इस वीजा परिवार में अब K-वीजा भी शामिल होने वाला है, जिसके लिए 1 अक्टूबर 2025 से आवेदन किया जा सकेगा. यह वीजा खासतौर पर साइंस, टेक, इंजीनियरिंग के युवा प्रफेशनल्स के लिए जारी किए जाएंगे. जिन लोगों का K-वीजा मंजूर होगा, उन्हें ये सुविधा रहेगी कि

– वे चाहे जितनी बार चीन में आ-जा सकते हैं. 

– चाहे जितना समय तक चीन में रुक सकते हैं. 

– वीजा की वैलिडिटी को लेकर भी चीनी सरकार काफी लचीलापन दिखाएगी. यानी कोई 'हार्ड एंड फास्ट' रूल इसके लिए नहीं होगा. 

–  K-वीजा धारक STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स से जुड़े स्टार्टअप और बिजनेस काम भी कर पाएंगे. 

–  सबसे अहम बात ये है कि इसके लिए उन्हें किसी चीनी नियोक्ता (Employer) या कंपनी से इन्विटेशन लेने की जरूरत भी नहीं होगी.

वीजा के लिए योग्यता क्या होगी?

चीन में विदेशियों के प्रवेश और निकास के प्रशासन संबंधी नियम के आर्टिकल 6 में K वीजा को जोड़ते हुए कहा गया है कि इसे युवाओं और साइंस-टेक्नोलॉजी टैलेंट को ध्यान में रखकर बनाया गया है. आर्टिकल 7 में बताया गया है कि अप्लाई करने वालों को ‘युवा साइंस और टेक्नोलॉजी टैलेंट’ की परिभाषा में फिट होना चाहिए. वीजा के लिए अप्लाई करते समय उन्हें इसके डॉक्यूमेंट्स भी देने होंगे.

क्या है परिभाषा

‘युवा साइंस और टेक्नोलॉजी टैलेंट’ के दायरे में वो लोग आएंगे, जो 

–  दुनिया के किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या रिसर्च इंस्टीट्यूट से STEM में कम से कम बैचलर डिग्री वाले ग्रेजुएट्स हों.

–  या फिर शिक्षा या रिसर्च के काम में लगे युवा प्रोफेशनल्स हों.

उम्र की सीमा भी

चीन के सरकारी टीवी चैनल CCTV ने ये भी बताया है कि टैलेंटेड यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम (Talented Young Scientist Programme) में शामिल होने की अधिकतम उम्र 45 साल रखी गई है. एक कैटेगरी और है. आउटस्टैंडिंग यंग साइंटिस्ट (फॉरेन) फंड प्रोजेक्ट. इसके लिए उम्र की ऊपरी सीमा 40 साल तय की गई है.

इस वीजा को लेकर चीन सरकार का मानना है कि उनके देश का विकास पूरी दुनिया से टैलेंटेड लोगों की भागीदारी से जुड़ा है. चीन का विकास ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को भी नए अवसर देता है. लेकिन सवाल है कि क्या यह H1B वीजा का विकल्प बन पाएगा?

चीनी पत्रकार लियू झेन 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' के अपने लेख में कहती हैं कि 

बीजिंग का लक्ष्य है कि 2035 तक वह एक टेक्नॉलॉजी सुपरपावर बने. इस मकसद को पाने के लिए वह मानता है कि हुनरमंद लोगों की भूमिका बहुत जरूरी है. खासकर अमेरिका के साथ कंपटीशन में. यही वजह है कि Talented Young Scientist Programme के तहत एशिया और अफ्रीका से रिसर्चर्स को चीन बुलाने की कोशिश की जा रही है. वहीं Outstanding Young Scientists (Overseas) Fund Project का मकसद है कि दुनिया के बेहतरीन नेचुरल साइंटिस्ट्स और इंजीनियर्स चीन में आकर काम करें.

बीजिंग स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के संस्थापक वांग हुईयाओ ने 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' से कहा कि वीजा के मामले में पहले ज्यादातर ध्यान विदेशी चीनी नागरिकों पर होता था. चाहे वे मल्टिनेशनल कंपनियों के लिए हों या परिवार से मिलने के लिए. लेकिन अब सरकार का फोकस साफ है. देश में टेक और इनोवेशन से जुड़े टैलेंट को लाना.

वांग के मुताबिक, यह नीति उन लोगों को आकर्षित करेगी जो पढ़ाई या काम के लिए अमेरिका या यूरोप गए हैं. इसमें विकसित और विकासशील देशों खासकर भारत, जापान और दक्षिण कोरिया के युवा शामिल होंगे. इस पूरे मामले पर वांग एक बड़ा कमेंट करते हैं. वह कहते हैं

मौजूदा समय में विदेशी प्रतिभाओं के लिए अमेरिका बंद होता जा रहा है, जबकि चीन ज्यादा खुला हो रहा है.

सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में पब्लिक पॉलिसी और ग्लोबल अफेयर्स के प्रोफेसर लियू हांग का मानना है कि अमेरिका में इमिग्रेशन को और सख्त बनाने की वजह से कई विदेशी अब चीन की ओर रुख करेंगे लेकिन वह इस बात से सहमत नहीं हैं कि चीन का K-वीजा सीधे तौर पर अमेरिका के H-1B वीजा का मुकाबला करने वाला या उसका विकल्प है. वह कहते हैं

H-1B एक वर्क वीजा है, जिसमें एम्प्लॉयर का स्पॉन्सरशिप जरूरी होता है. H-1B के लिए अप्लाई करने वालों से ज्यादा सख्त शर्तें मांगी जाती हैं. जैसे बेहतर एजुकेशनल क्वालिफिकेशन, काम का एक्सपीरियंस, न्यूनतम वेतन. साथ ही, इसका आवेदक समूह भी बहुत बड़ा है.

हांग आगे कहते हैं कि K-वीजा इसके एकदम उलट है. इसके ज्यादातर आवेदक वही होंगे जो विदेशों में बसे दूसरी पीढ़ी के चीनी हैं या टेक और साइंस से जुड़े क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. या फिर पश्चिमी देशों और ग्लोबल साउथ (एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका) के युवा प्रोफेशनल्स हैं.

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