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जातिगत जनगणना पर बीजेपी नेताओं में भ्रम है या कोई इनसाइड प्लानिंग?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जातिगत जनगणना के खिलाफ बयान दे रहे हैं, वहीं बीजेपी के नेता इसके समर्थन में खड़े हैं.

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इससे पहले PM मोदी ने गरीबों को भारत की 'सबसे बड़ी जाति' कहा था. (फोटो सोर्स- आजतक)

2024 के लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल, देश भर में जातिगत जनगणना को मुद्दा बना रहे हैं. इसके उलट, प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) अलग पिच पर हैं. उन्होंने अपने एक हालिया बयान में कहा है कि महिला, गरीब, किसान और युवा ही उनके लिए चार सबसे बड़ी जातियां हैं. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दूसरे नेता कहते हैं कि बीजेपी जातिगत जनगणना के पक्ष में है और फैसला केंद्र को लेना है. कुल-मिलाकर जातिगत जनगणना के मुद्दे पर BJP का रुख स्पष्ट नहीं लगता. BJP इस जनगणना के पक्ष में है या नहीं, क्या इस मुद्दे पर पार्टी में समन्वय की कमी है या फिर ये विरोधाभास सिर्फ बयानों तक सीमित है, इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे.

PM मोदी के लिए जातियां

प्रधानमंत्री मोदी ने 30 नवंबर, 2023 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के लाभार्थियों से बात की. उन्होंने कहा,

"विकसित भारत का संकल्प, चार अमृत स्तंभों पर टिका है. ये अमृत स्तंभ हैं– हमारी नारी शक्ति, हमारी युवा शक्ति, हमारे किसान और हमारे गरीब परिवार. मेरे लिए सबसे बड़ी जाति है- गरीब. मेरे लिए सबसे बड़ी जाति है- युवा. मेरे लिए सबसे बड़ी जाति है- महिलाएं. मेरे लिए सबसे बड़ी जाति है- किसान."

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्हीं चार जातियों का उत्थान ही भारत को विकसित बनाएगा. उन्होंने कहा कि ये जातियां जब सभी समस्याओं से मुक्त और सशक्त होंगी, तो स्वाभाविक रूप से देश की हर जाति सशक्त होगी, पूरा देश सशक्त होगा.

ये भी पढ़ें: जातिगत जनगणना का इतिहास, 1931 से अब तक कब-कब क्या-क्या हुआ?

प्रधानमंत्री ने आगे कहा,

‘‘कोई भी महिला चाहे उसकी जाति कोई भी हो, मुझे उसे मजबूत करना है. उसके जीवन की दिक्कतें कम करनी है. उनके सपनों को पंख देना है. इस देश का कोई भी किसान चाहे उसकी जाति कुछ भी हो, मुझे उसकी आय बढ़ानी है. उसका सामर्थ्य बढ़ाना है. आप बस मुझे आशीर्वाद दीजिए ताकि मैं इतनी शक्ति से काम करूं कि इन चारों जातियों को सारी समस्याओं से मुक्त कर दूं. यह चारों जातियां जब मजबूत होंगी तो स्वाभाविक रूप से देश की हर जाति मजबूत होगी."

विपक्ष की जातिगत जनगणना की मांग के बीच, प्रधानमंत्री मोदी लगातार, गरीबों, किसानों की बात करते रहे हैं. इसलिए उनके बयान के कई मतलब निकाले जा रहे हैं.

बीती 2 अक्टूबर 2023 को बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी किए थे. तब बीजेपी ने इस सर्वे के आंकड़ों को 'भ्रम फैलाने की कोशिश' करार दिया था. तब भी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस देश में अगर सबसे बड़ी कोई आबादी है तो वो गरीब है.

ऐसे में सीधा सवाल एक ही है- क्या BJP, जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है? ये सवाल इसलिए भी है क्योंकि कई राज्यों में बीजेपी के नेता कहते हैं कि वे जातिगत आरक्षण के पक्ष में हैं. हालांकि कोई निर्णय लेने के सवाल पर गेंद, दिल्ली की तरफ उछाल देते हैं.

BJP में समन्वय की कमी या Doubt Game?

बीजेपी ने बिहार में हुए जातिगत सर्वे को लेकर बिहार सरकार का लगातार विरोध किया है. लेकिन ये भी कहा कि बीजेपी जातिगत जनगणना करवाने के पक्ष में है. मसलन, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का हालिया बयान.

इस वक़्त उत्तर प्रदेश में विधानमंडल का शीतकालीन सत्र जारी है. 29 नवंबर, बुधवार को सदन में BJP और समाजवादी पार्टी के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई. जातिगत जनगणना के सवाल पर सपा के नेता, विधानपरिषद से वॉक आउट कर गए.

यूपी विधानसभा में सपा विधायक संग्राम यादव ने सवाल पूछा था कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार, जातीय जनगणना कराने पर विचार कर रही है. इस पर सरकार की तरफ से सूर्य प्रताप शाही ने जवाब देते हुए कहा कि यह प्रदेश संविधान से चलता है. सपा संविधान नहीं मानती. जनगणना का अधिकार भारत की संसद को है. यह प्रदेश, संसद पर अतिक्रमण नहीं कर सकता.

विधानसभा में चर्चा के दौरान सपा नेता शिवपाल यादव ने कहा,

“मैं बीजेपी के OBC विधायकों से कहता हूं कि अपना मत स्पष्ट करें. BJP के नेता जातिगत जनगणना पर क्यों नहीं बोल रहे हैं? सपा शुरू से इसकी मांग करती रही है और हम इस पर अडिग हैं.”

वहीं, सदन में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि BJP के वरिष्ठ नेता और वो खुद जातीय जनगणना के समर्थन में हैं. साथ ही ये भी जोड़ा कि केवल केंद्र सरकार ही इस पर विचार कर सकती है, क्योंकि ये केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र का विषय है.

विपक्ष के सवालों के जवाब में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा,

“हम भी जातिवार जनगणना के पक्ष में हैं और हमारे वरिष्ठ नेता भी इसके पक्ष में हैं लेकिन जनगणना कराना केंद्र सरकार का मामला है. सपा इसको इसलिए उठा रही है, क्योंकि 2024 में उनके पास कोई मुद्दा नहीं है. BJP हमेशा जाति जनगणना के पक्ष में रही है. सपा, बसपा या कांग्रेस अब इस बारे में जो भी कहें, लेकिन उन्होंने सत्ता में रहते हुए कभी पिछड़ी जातियों के साथ न्याय नहीं किया और न ही उन्हें उनका अधिकार दिया.

इस पर कांग्रेस विधायक अराधना मिश्रा ने कहा कि जातिगत जनगणना पर वो केशव प्रसाद मौर्य की मजबूरी समझती हैं. वह कह तो रहे हैं, लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे.

क्या मजबूरी है? 

बीजेपी के भीतर जातिगत जनगणना को लेकर संशय है या कोई इनसाइड गेम चल रहा है? इसे समझने के लिए हमने BJP की राजनीति को करीब से देखने वाले इंडिया टुडे के पत्रकार हिमांशु मिश्रा से बात की. वो कहते हैं कि ये बीजेपी का हिंदुत्व का एजेंडा है. BJP नहीं चाहती कि जातिगत बंटवारा हो. और इसको लेकर पार्टी दुविधा में भी है.

हिमांशु मिश्रा के मुताबिक, 

“बीजेपी जातिगत जनगणना में नहीं फंसना चाहती. वो 'विश्वकर्मा योजना' जैसी पहल करके पिछड़े वर्गों को आर्थिक मदद देना चाहती है. इसमें कुम्हार, तेली, बढ़ई, राजमिस्त्री, माली आदि जैसी गैर यादव OBC जातियां आएंगी. दूसरी तरफ BJP, पसमांदा मुसलमानों की बात करती है. ये भी OBC में आते हैं. BJP इन्हें रोजगार देना चाहती है. लेकिन कास्ट सेंसस के आधार पर आरक्षण नहीं देना चाहती.”

हिमांशु आगे कहते हैं,

"बीजेपी जानती है कि अलग-अलग प्रदेशों में बहुत सी क्षेत्रीय पार्टियां है जो जाति के आधार पर बनी हैं. मसलन, यूपी में अपना दल, निषाद पार्टी, सुभासपा आदि. कई राजनीतिक पार्टियां, जनजातियों के आधार पर भी बनी हैं. बीजेपी को लगता है कि जातिगत जनगणना करवाने से, इन क्षेत्रीय पार्टियों को ज्यादा फायदा होगा. बीजेपी इन पार्टियों का सहयोग तो चाहती है, लेकिन जातिगत आरक्षण करवाकर नुकसान नहीं उठाना चाहती. इसके अलावा बीजेपी का कोर वोट, अगड़ी जातियों में है, उसे ये भी डर है कि जातिगत जनगणना से ये वोट न छिटक जाए."

फिर, केशव प्रसाद मौर्य के इस बयान का क्या आशय है कि वे खुद और BJP के वरिष्ठ नेता जनगणना के पक्ष में हैं? इस पर हिमांशु बताते हैं कि ये सिर्फ केशव प्रसाद मौर्य की बात नहीं है. केंद्र सरकार में उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल, संसद के मानसून सत्र में और कई बार पब्लिक कार्यक्रमों में कह चुकी हैं कि OBCs की जनगणना होनी चाहिए. पटेल ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि PM मोदी, जातिगत जनगणना करवाएंगे. 

हिमांशु के मुताबिक, 

"केशव प्रसाद मौर्य या BJP के अन्य नेता जो पिछड़े वर्ग से आते हैं, वे जातिगत जनगणना पर, अपनी जाति को मैसेज भी देना चाहते हैं और पार्टी की लाइन भी नहीं छोड़ना चाहते. वे ग्लास को आधा भरा और आधा खाली छोड़ना चाहते हैं. भ्रम की स्थिति बनाए रखना चाहते हैं."

हिमांशु कहते हैं कि BJP के इन नेताओं से ये पूछना चाहिए कि बिहार में जिस तरह जातिगत सर्वे हुआ है, उस तरह उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं कराया जा सकता? सुप्रीम कोर्ट की मान्यता के बाद राज्य में जातिगत जनगणना के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं है.

वीडियो: जातिगत जनगणना क्यों नहीं कराना चाहती मोदी सरकार, क्यों अड़े विपक्षी नेता?