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BMW के शौकीन अपनी किडनी बेचकर भी दुनिया की 'सबसे काली' कार नहीं खरीद पाएंगे

काला 'महत्तम' कितना काला हो सकता है, जानना है तो यहां आइए.

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ये कार इतनी काली है, इतनी काली है कि बिना लाइट के नहीं दिखेगी.
BMW. कार के सबसे महंगे ब्रांड्स में से एक है. मतलब जितनी महंगी इसकी सबसे सस्ती कार होती है, उतने में एक आम आदमी दिल्ली-मुंबई में एक घर खरीद सकता है. BMW को लेकर एक क्लीशे मैसेज भी अक्सर वॉट्सऐप पर आता रहता है-
ये सच है कि पैसों से खुशी नहीं खरीदी जा सकती. लेकिन बीएमडब्लू के अंदर रोना किसी बाइक पर बैठकर रोने से बेहतर है.
ख़ैर, BMW का एक मॉडल है X6 कूप. इस मॉडल की कीमत 92 लाख से शुरू ही होती है. खबर ये है कि कंपनी ने इसे एक नए अवतार में पेश किया है. इसे दुनिया के 'सबसे काले' रंग में लॉन्च किया है. ये कार इतनी काली है, इतनी काली है कि अगर इसकी लाइट न जल रही हो या स्ट्रीट लाइट्स न हों तो रात में ये नज़र ही नहीं आएगी.
इस रंग का नाम है वेंटाब्लैक. मॉडल का नाम है 'THE VBX6'

#सब नहीं कर सकते इस रंग का इस्तेमाल

वैसे वेंटाब्लैक एक पदार्थ का नाम है, जिसका इस्तेमाल हर कोई नहीं कर सकता है. एक आर्टिस्ट ने इसका कॉपीराइट ले रखा है. उनका नाम है अनीश कपूर. भारतीय हैं लेकिन ब्रिटेन में रहते हैं. भारत से पद्मभूषण और ब्रिटेन से उन्हें सर की उपाधि मिली हुई है. उन्होंने 2014 में इस रंग का इस्तेमाल शुरू किया और 2016 में इसका कॉपीराइट ले लिया था. यानी अनीश कपूर के अलावा वेंटाब्लैक का इस्तेमाल कोई और नहीं कर सकता है.

#कपूर की वेंटाब्लैक से अलग है BMW की वेंटाब्लैक

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक़, BMW ने कार के रंग में वेंटाब्लैक VBx2 का इस्तेमाल किया है. जो कि अनीश कपूर वाली वेंटाब्लैक से थोड़ी सी अलग है. ये बेहद काला है, फिर भी लगभग हर एंगल से थोड़ा रिफ्लेक्शन देता है. BMW का कहना है कि इस रंग में रिफ्लेक्शन का होना इसे कार के लिए ज्यादा मुफ़ीद बनाता है.
आर्टिस्ट अनीश कपूर के पास है वेंटाब्लैक का कॉपीराइट.
आर्टिस्ट अनीश कपूर के पास है वेंटाब्लैक का कॉपीराइट.

अब ये वेंटाब्लैक आम काले रंग से कितना अलग है इस बारे में केतन पहले ही बता चुके हैं
. जो उन्होंने बताया था, वही हम एक बार फिर रिपीट कर देते हैं.

#ब्लैक क्या होता है?

ब्लैक यानी काला. बचपन में साइंस की क्लास में पढ़ते थे कि काला रंग सभी रंगों को अपने अंदर सोख लेता है. इस वजह से उसमें कोई रंग नज़र नहीं आता. दुनिया का सबसे गहरा रंग.

#हमें चीज़ें कैसे दिखती हैं?

आपके सामने रखी चीज़ आपको दिखती है. हमें लगता है कि सामने रखी है तो दिखेगी ही. लेकिन कभी सोचा है कि अंधेरा होने पर वो चीज़ क्यों नहीं दिखती? इसके पीछे एक साइंटिफिक कारण है. उदाहरण के लिए आप पानी की हरे रंग की एक बोतल को ले लीजिए. जब इस बोतल पर लाइट पड़ेगी तो इस बोतल का surface कुछ रोशनी सोख लेगा और हरे रंग को रिफ्लेक्ट करेगा. वो रिफ्लेक्शन जब हमारी आंख तक पहुंचेगा तब हम उसे देख पाएंगे. ये तो स्कूल में पढ़ा ही है कि लाइट की स्पीड बेहद तेज होती है, ऐसे में इतना कुछ हो जाता है और हमें पता भी नहीं चलता. अंधेरे में न लाइट होती है और न रिफ्लेक्शन, इस वजह से चीज़ें दिखाई ही नहीं देती. इसी तरह लाइट होने के बावजूद, जब किसी चीज़ से कोई रिफ्लेक्शन नहीं आता तो वो चीज़ हमें काली दिखाई देती है.

 #अब जान लीजिए Vantablack क्या होता है?

ये थोड़ा टेक्निकल है तो इसे केतन के शब्दों में ही रहने दिया गया है.
VANTA यानी Vertically Aligned NanoTube Arrays
सबसे पहले nanotubes की बात करते हैं. इसका मतलब होता है बहुत ही छोटी-छोटी ट्यूब्स. इतनी छोटी कि नंगी आंखों से भी न दिखाई दें. इतना बारीक कि ये बाल के 10 हजारवें हिस्से के बराबर होता है. समझ लीजिए कि जब आप अपने सिर से एक बाल उखाड़ते हैं, उसके 10,000 टुकड़े करते हैं. उन 10,000 टुकड़ों में से एक टुकड़ा लेते हैं. ये एक टुकड़ा एक nanotube के बराबर होता है. और बाल को लंबाई में दस हज़ार बार नहीं काटना. उसको मोटाई में दस हज़ार बार काटना है. तब जाके बनेगी एक नैनोट्यूब की मोटाई. वो जैसा किसी शैंपू, तेल के विज्ञापन में दिखाते हैं न दोमुहें बाल, ठीक वैसे ही किसी दस हज़ार मुहें बालों में से कोई भी एक भी मुंह उठा लीजिए, बस. उतना मोटा. इन्फेक्ट उतना पतला. उतना महीन.
अब इन नैनोट्यूब्स को metal surface पर पौधों की तरह उगाया जाता है. हर दो nanotube के बीच में कुछ जगह छोड़ी जाती है. अब होता ये है कि लाइट की किरणें जब इसमें घुसती हैं तो nanotubes के बीच वो बाउंस करने लगती हैं. nanotubes के बीच में जगह तो होती है लेकिन वो इतने घने होते हैं कि लाइट बाहर ही नहीं निकल पाती और अंदर ही बाउंस करती रह जाती हैं.
इस तस्वीर में आप वेंटाब्लैक और नॉर्मल ब्लैक का अंतर देख सकते हैं.
इस तस्वीर में आप वेंटाब्लैक और नॉर्मल ब्लैक का अंतर देख सकते हैं.

बहुत ही आसन भाषा में अगर हम कहें तो समझो कि एक ऐसे गन्ने के खेत में आप घुसे हैं जिसके गन्ने काफी ऊंचे ऊंचे हैं. और वो खेत इतना घना है कि एक बार घुसने के बाद आप उसमें से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं और उसी खेत के अन्दर ही अन्दर चक्कर पे चक्कर लगाये जा रहे हैं. ऐसे nanotubes के खेतों में जब Light ray अन्दर घुसती है तो बाहर नहीं निकल पाती और तब बनता है दुनिया कला सबसे काला पदार्थ यानी – Vantablack.
Vantablack का कालापन होता है 99.965% इसका मतलब ये होता है कि Vantablack 99.965% लाइट सोख लेता है.
शुरुआत में एक पीजे सुनाया था, जाते-जाते एक और पीजे-
एक बार एक बंदा बीएमडब्लू खरीदने गया. शोरूम से निकलते ही मुश्किल से पांच किलोमीटर नहीं चला होगा कि कार बंद. बीएमडब्लू की मार बेईज्ज़ती. बाद में पता चला कि कार में तो पेट्रोल ही न था. अब सवाल ये उठा कि वो पहले 5 किलोमीटर कैसे चली. रिसर्च के बाद पता चला कि वो 5 किलोमीटर अपने 'नाम' के चलते चल गई.


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