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क्या जन्म से दृष्टिहीन लोग भी सपने देखते हैं? ये बातें आपको सोचने पर मजबूर देंगी

कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिन भर में हम जो जानकारी इकट्ठा करते हैं, रात में हमारा दिमाग उसे समझने की कोशिश करता है. इसी काम में सपने हमारी मदद करते हैं.

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नींद हम कई अलग-अलग स्टेज में पूरी करते हैं.

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है
सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है

मालूम पड़ता है कि गोपालदास "नीरज" की ये कविता बड़ा दार्शनिक सा सवाल पूछ रही है, सपना क्या है? ‘सपना’ जिसे एक तरफ तो जीवन में कुछ बड़ा कर दिखाने का पर्याय माना जाता है. वहीं दूसरी तरफ ये नींद में एक ऐसे हिस्से की तरह आता है, जो हकीकत सा मालूम होता है. आखिर सपने आते क्यों हैं? ये सवाल एक्सपर्ट्स को सालों से परेशान कर रहा है. सपनों का कुछ तो मतलब होता होगा? ये सब सवाल तो हैं ही, एक सवाल ये भी है कि जो लोग जन्म से देख नहीं सकते क्या वो भी सपने देखते हैं?

हमें सपने नींद की REM स्टेज में आते हैं. (Image: AI)
सपनों के पीछे क्या साइंस है?

पहले बात करते हैं कि हम सपनों के बारे में क्या कुछ जानते हैं? कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिन भर में हम जो जानकारी इकट्ठा करते हैं. रात में हमारा दिमाग उसे समझने की कोशिश करता है. इसी काम में सपने हमारी मदद करते हैं. हालांकि, सपनों के पीछे की ठोस वजह पर साइंटिस्ट्स अभी एकमत नहीं हो पाए हैं. 

सपनों को समझने के साथ एक और समस्या है कि जागने के बाद लोग ज्यादातर सपने भूल जाते हैं. ऐसे में सपनों को समझना साइंटिस्ट्स के लिए और भी मुश्किल हो जाता है. तो इसके लिए साइंटिस्ट्स नींद के पैटर्न को समझने की कोशिश करते हैं. दरअसल, हमें नींद कई स्टेज में आती है. जो साइकिल या चक्र के तौर पर रिपीट होते हैं. 

स्लीप साइकिल को इस तस्वीर से समझ सकते हैं. (Image: sleepfoundation.org)
सपने कब आते हैं?

नींद में एक स्टेज होती है लाइट स्लीप, जिसमें हम नींद की गहराई में जा ही रहे होते हैं. ये हल्की नींद होती है. एक होती है डीप स्लीप, जिसमें हम गहरी नींद में होते हैं. वहीं इन दोनों के इतर एक स्टेज है जिसे REM स्टेज कहते हैं. REM माने रैपिड आई मूवमेंट इसमें बंद आंखें तेजी से इधर उधर हिलती है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हमें सपने इसी स्टेज में आते हैं.

जो लोग जन्म से देख नहीं सकते क्या वो भी सपने देखते हैं?

इसका एक सरल जवाब देने की कोशिश करें तो हां, जन्म से न देख सकने वाले लोगों को भी सपने आते हैं. लेकिन उनके सपने थोड़े अलग होते हैं. 

सबसे पहले तो ये समझते हैं कि दृष्टिहीनता या ब्लाइंडनेस एक ‘स्पेक्ट्रम’ है. स्पेक्ट्रम माने कुछ लोग बहुत ही धुंधला देखते हैं. कुछ लोग हल्की ही रोशनी देख सकते हैं लेकिन कुछ समझ नहीं सकते. कुछ लोगों को दोनों आंखों से अलग-अलग तरह नजर आता है, जो कि बेहद धुंधला होता है. लेकिन हर सूरत में इनके लिए किसी चीज को एकदम सही देख पाना मुश्किल होता है. 

हम समझ सकते हैं कि दूसरे लोगों की तरह जन्मजात दृष्टिहीन लोगों में किसी दृश्य की याददाश्त या मेमोरी नहीं होती ऐसे में उनके सपने भी अलग हो सकते हैं, समझते हैं.

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उनके सपने बाकी लोगों से कैसे अलग होते हैं?

जैसा कि हमने जाना कि हमेशा से देख न सकने वाले लोगों की याददाश्त में चित्र नहीं होते. इस बारे में स्लीप मेडिसिन मेडिकल जर्नल में एक रिसर्च छपी. इसमें जन्म से ना देख सकने वाले 11, बाद में दृष्टिहीन हो जाने वाले 14 और 25 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जो देख सकते हैं. रिसर्च में कई बातें सामने आईं. जैसे जो लोग हमेशा से दृष्टिहीन नहीं थे, उनके सपनों में चित्र भी आते आए. वो विजुअल चीजें भी अपने सपनों में देखते हैं.

वहीं जन्म से न देख पाने वाले लोगों को जो सपने आए, उनमें गंध, आवाज और स्पर्श जैसे दूसरे सेंस ज्यादा थे. दरअसल, सपनों का हमारी जिंदगी के अनुभवों से भी नाता होता है. इसलिए समझा जा सकता है कि जन्मजात दृष्टिहीन लोगों के जीवन में गंध, आवाज जैसे अनुभव ज्यादा इस्तेमाल होते हैं.

उनके अनुभव भी इन्हीं से जुड़े होते हैं. इसलिए उनके सपनों में भी इनकी भूमिका ज्यादा होती है. वहीं रिसर्च में एक बात ये भी नोटिस की गई कि दृष्टिहीन लोगों को आम लोगों की तुलना में बुरे सपने ज्यादा आते हैं. तो हां जो लोग जन्म से देख नहीं सकते उन्हें भी सपने आते हैं लेकिन वो दूसरों से अलग होते हैं. 

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