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बप्पी लाहिड़ी की पूरी कहानी, जिनका गाना किशोर कुमार की समाधि पर लिखा गया

'डिस्को किंग' कहे जाने वाले बप्पी लाहिड़ी डिस्को म्यूज़िक का कॉन्सेप्ट कहां से लाए थे?

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एक इवेंट के दौरान बप्पी लाहिड़ी.
कोलकाता के इडन गार्डन में एक कॉन्सर्ट चल रहा था. ये तब की बात है, जब इडन गार्डन इन्डोर स्टेडियम हुआ करता था. यहां लता मंगेशकर समेत कई दिग्गज कलाकार मौजूद थे. एक परफॉरमेंस के दौरान लता जी ने 8-9 साल के एक बच्चे को नोटिस किया, जो तबला बजा रहा था. उन्होंने उस बच्चे के पिता को बुलाया और कहा-
''अपरेश दा फैनटैस्टिक! आपका बेटा गुणी है.''
वो बच्चा बड़ा हुआ. खूब नाम कमाया. फिर 16 फरवरी 2022 की सुबह 69 साल की उम्र में उसका निधन हो गया. लता मंगेशकर के गुज़रने के ठीक 10 दिन बाद. उस बच्चे को दुनिया ने बप्पी लाहिड़ी के नाम से जाना और बप्पी दा के नाम से याद रखा. बप्पी लाहिड़ी को इंडियन म्यूज़िक में डिस्को एलीमेंट ऐड करने के लिए जाना जाता है. मगर बप्पी को डिस्को का आइडिया कहां से आया, इसके पीछे एक बड़ा दिलचस्प किस्सा है.
4 साल के बप्पी, अपनी मां और पिता के साथ एक स्टेज शो के दौरान तबला बजाते हुए.
4 साल के बप्पी, अपनी मां और पिता के साथ एक स्टेज शो के दौरान तबला बजाते हुए.


'ज़ख्मी', 'चलते चलते' और 'आपकी खातिर' जैसी फिल्मों का म्यूज़िक सक्सेसफुल होने के बाद बप्पी 1979 में अपने पहले वर्ल्ड टूर पर गए हुए थे. वो इस ट्रिप के दौरान शिकागो के एक क्लब में पहुंचे. वहां डीजे कुछ गाने बजा रहा था. बप्पी को ज़्यादा समझ नहीं आया मगर उन्हें सुनकर अच्छा लग रहा था. वो कुतुहलवश डीजे के पास पहुंचे और पूछा-
What are you playing?
यानी आप क्या बजा रहे हैं?
डीजे ने जवाब दिया-
I am playing a disc and when we play it in a club where everybody is dancing, we call it disco.
यानी- मैं एक डिस्क बजा रहा हूं. जब हम क्लब में डिस्क बजाते हैं और सब लोग नाचते हैं, तो हम उस म्यूज़िक को डिस्को बुलाते हैं.
बप्पी बताते हैं कि उन्हें Disco शब्द बड़ा सुंदर लगा. उन दिनों जॉन ट्रवोल्टा की फिल्म 'सैटरडे नाइट फीवर' रिलीज़ हुई थी. उसी फिल्म के गाने उस क्लब में बज रहे थे और सब लोग नाच रहे थे. उन गानों में एक खास किस्म की बीट थी, जो बप्पी को हिट कर रही थी. जब वो लौटकर इंडिया आए, तो उन्हीं धुनों से प्रेरित होकर फिल्म 'सुरक्षा' का म्यूज़िक बनाया. इस फिल्म का गाना 'मौसम है गाने का बजाने का' बड़ा पॉपुलर हुआ. ये बप्पी लाहिड़ी का पहला गाना था, जिसमें डिस्को एलीमेंट था. आगे उन्होंने 'डिस्को डांसर' नाम की फिल्म का म्यूज़िक कंपोज़ किया. इस फिल्म में कुल पांच गाने थे. इसमें तीन गाने 1) आय एम डिस्को डांसर, 2) जिम्मी जिम्मी और 3) कोई यहां नाचे नाचे, भयंकर हिट हुए. आज भी किसी शादी में बैंड वाला ये गाने ना बजाए, ऐसा हो नहीं सकता. और 40 साल से ज़्यादा पुराने गानों का क्रेज़ ऐसा कि पब्लिक बीट सुनते ही पागल हो जाती है. ये है बप्पी लाहिड़ी की लेगेसी.
# 11 साल की उम्र में पहला गाना कंपोज़ किया
बप्पी लाहिड़ी का जन्म 27 नवंबर, 1952 को हुआ था. उनके पिता अपरेश और मां बांसुरी लाहिड़ी बंगाल के मशहूर सिंगर्स माने जाते थे. ऐसे में बप्पी ने 3-4 साल की उम्र से ही तबला बजाना शुरू कर दिया था. उन्होंने अपने करियर का पहला गाना 11 साल की उम्र में कंपोज़ किया था. ये दुर्गा पूजा स्पेशल एल्बम का गाना था, जो उनके पिता ने गाया था. जब बप्पी दसवीं क्लास में पहुंचे, तब 'दादू' नाम की बांग्ला फिल्म के लिए म्यूज़िक बनाया. ये उनका ऑफिशियल डेब्यू प्रोजेक्ट था. इस फिल्म के बाद बप्पी ने अपने पापा को साफ बोल दिया कि पढ़ाई में उनका जी नहीं लगता. वो म्यूज़िक की फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं. पापा ने कहा पहले स्कूल खत्म करिए, फिर फुल टाइम म्यूज़िक बनाने की परमिशन मिलेगी.
लता मंगेशकर की गोद में बैठे बप्पी लाहिड़ी. ये तब की तस्वीर है, जब लता अपरेश लाहिड़ी का कंपोज़ किया बांग्ला गाना 'एकबार बिदाय दे मां' गाने के लिए कलकत्ता गई हुई थीं.
लता मंगेशकर की गोद में बैठे बप्पी लाहिड़ी. ये तब की तस्वीर है, जब लता अपरेश लाहिड़ी का कंपोज़ किया बांग्ला गाना 'एकबार बिदाय दे मां' गाने के लिए कलकत्ता गई हुई थीं.


जब बप्पी 19 साल के हुए, तो उनकी फैमिली मुंबई शिफ्ट हो गई. काम के लिए ज़्यादा हाथ-पांव नहीं मारना पड़ा. क्योंकि अपरेश लाहिड़ी खुद म्यूज़िशियन थे. मुकेश, मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर जैसे दिग्गजों के साथ उनका उठना बैठना था. इस वजह से बप्पी को शोमू मुखर्जी की फिल्म 'नन्हा शिकारी' के लिए म्यूज़िक कंपोज़ करने का काम मिल गया. शोमू मुखर्जी चर्चित फिल्ममेकर और राइटर थे. आज की जनरेशन उन्हें काजोल के पिता के तौर पर जानती है. खैर, 'नन्हा शिकारी' नहीं चली. न फिल्म, न उसका म्यूज़िक. इसके बाद बप्पी को बी.आर. इशारा की फिल्म 'चरित्रहीन' में काम मिल गया. ये परवीन बाबी के करियर की पहली फिल्म थी. ये पिक्चर भी नहीं चली. 1974 में 'एक लड़की बदनाम सी' नाम की फिल्म आई. इस फिल्म का एक गाना ताहिर हुसैन ने सुना. ताहिर मशहूर फिल्ममेकर थे. आमिर खान उनके बेटे हैं. वो गाना सुनते ही ताहिर ने पूछा कि ये कौन कंपोज़र हैं, ज़रा इनका पता निकालिए. वो बप्पी की कंपोज़िशन निकली. वो एक गाना सुनकर ताहिर हुसैन ने बप्पी को अपनी अगली फिल्म 'ज़ख्मी' के लिए साइन कर लिया. ये बप्पी की ब्रेकआउट फिल्म साबित हुई. इस फिल्म के सारे गाने हिट रहे. खासकर 'जलता है जिया मेरा' खूब पसंद किया गया. ये गाना आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके सुन सकते हैं-

# किशोर कुमार की समाधि पर लिखा है बप्पी का गाना
1976 में एक फिल्म आई थी 'चलते चलते'. इसमें विशाल आनंद और सिमी ग्रेवाल ने लीड रोल्स किए थे. इस फिल्म में एक गाना था 'कभी अलविदा ना कहना'. इस गाने को किशोर कुमार ने गाया था. बप्पी बताते हैं कि इस गाने को रिकॉर्ड करते वक्त किशोर कुमार रो पड़े थे. वो इस गाने की लिरिक्स और कंपोज़िशन से बहुत मूव हो गए थे. खांडवा में किशोर कुमार की समाधि बनी है. उनकी समाधि पर लिखा है- 'कभी अलविदा ना कहना'. बप्पी ने अपने तमाम कॉन्सर्ट्स में ये गाना गाया. वो अधिकतर मौकों पर इसे कॉन्सर्ट के आखिर में गाते. और लोग ये गाना सुनकर रोने लगते थे. बप्पी इसे अपनी खुशकिश्मती मानते हैं कि किशोर कुमार ने अपने करियर में ढेरों गाने गाए. मगर उनकी समाधि पर बप्पी का गाना लिखा हुआ है. बप्पी, किशोर कुमार को मामा बुलाते थे. क्योंकि वो उनकी मां के राखी ब्रदर थे. बप्पी लाहिड़ी के बनाए गानों की वजह से किशोर कुमार को दो बैक टु बैक फिल्मफेयर अवॉर्ड्स मिले. ये गाने थे 'नमक हलाल' से 'पग घूंघरू' और 'शराबी' फिल्म का गाना 'मंज़िलें अपनी'. 'कभी अलविदा ना कहना' को आप नीचे सुन सकते हैं-

हालांकि बीतते समय के साथ फिल्म इंडस्ट्री में एक नई प्रथा शुरू हो गई. एक फिल्म पर कई कंपोज़र मिलकर काम करते थे. ये चीज़ बप्पी को ठीक नहीं लगती थी. बावजूद इसके उन्होंने 90 के दशक में भी 'गोरी हैं कलाइयां', 'तम्मा तम्मा लोगे', 'ओ लाल दुपट्टे वाली' और 'सांवली सलोनी' जैसे चार्टबस्टर्स दिए. 'हम तुम्हारे हैं सनम' वो पहली फिल्म थी, जिसमें बप्पी ने बतौर गेस्ट कंपोज़र काम किया. इस फिल्म के लिए उन्होंने 'गले में लाल टाई' नाम का गाना बनाया था, जो बड़ा पॉपुलर हुआ.
एक गाने की रिकॉर्डिंग के बाद किशोर कुमार के साथ बप्पी लाहिड़ी.
एक गाने की रिकॉर्डिंग के बाद किशोर कुमार के साथ बप्पी लाहिड़ी.


# विदेशी गानों की चोरी के आरोप पर बप्पी का क्या कहना था?
बप्पी लाहिड़ी पर हमेशा से आरोप लगा करते थे कि वो विदेशी कंपोज़र्स की धुन चुराकर गाने बनाते थे. बप्पी खुद मानते हैं कि उन्होंने ऐसा किया. बप्पी बताते हैं उन्होंने तकरीबन 20 फिल्मों में ऐसे गाने बनाए, जो वेस्टर्न म्यूज़िक से इंस्पायर्ड थे. बकौल बप्पी, उन्होंने इन गानों से सिर्फ मुखड़ा उठाया था. ताकि अपने गानों में डिस्को वाला एलीमेंट ऐड कर सकें. उदाहरण के तौर पर वो बताते हैं कि उन्होंने 'तम्मा तम्मा लोगे' एक अफ्रीकन लोकगीत से प्रेरित होकर बनाया था. मगर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने भी उसी गाने से प्रेरित होकर 'जुम्मा चुम्मा दे दे' बनाया. उन्हें कोई कुछ नहीं कहता. ओरिजिनल यानी संजय दत्त और माधुरी दीक्षित स्टारर 'तम्मा तम्मा' आप नीचे सुनिए-

बप्पी हालिया म्यूज़िक सीन को लेकर बेहद मायूस रहते थे. वो अपने इंटरव्यूज़ में बताते हैं कि वो लोग तो सिर्फ इंस्पिरेशन लेते थे. आज के समय में गाने ही कॉपी कर दिए जाते हैं. और उन्हें रीमिक्स के नाम पर बेच दिया जाता है. अजय देवगन की फिल्म 'हिम्मतवाला' में 'नैनों में सपना' से लेकर 'ताकि रे ताकि' दोनों उनके गाने थे. बद्रीनाथ की दुल्हनिया में उनका गाना 'तम्मा तम्मा' इस्तेमाल किया गया. 'बागी 3' में 'भंकस' को रीमिक्स किया गया. आयुष्मान खुराना की फिल्म 'शुभ मंगल ज़्यादा सावधान' में 'अरे प्यार कर ले' को रखा गया.
कमाल की बात ये कि बप्पी लाहिड़ी तीन बार ग्रैमी अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट हुए थे. मगर वो कभी टॉप 5 में नहीं पहुंच पाए. 2013 में दिए एक इंटरव्यू में वो बताते हैं कि टॉप 5 में पहुंचने के लिए उन्हें और मेहनत करनी पड़ेगी.
# सलमान खान के साथ फिल्म में एक्टिंग कर चुके थे बप्पी दा
'जब तक है जान' और 'सन ऑफ सरदार' के बीच हुए क्लैश को लेकर काफी हल्ला कटा था. शाहरुख खान की करीबी दोस्त रहीं काजोल को 'जब तक है जान' के प्रीमियर पर नहीं बुलाया गया. इस सबके चक्कर में बप्पी दा का नुकसान हो गया. इन दो सुपरस्टार्स की फिल्मों के साथ एक और फिल्म रिलीज़ हुई थी. इसका नाम था- 'रॉकिंग दर्द-ए-डिस्को'. इस फिल्म में बप्पी लाहिड़ी ने 'डिस्को किंग' नाम का कैरेक्टर प्ले किया था, जो कि उन्हीं की रियल लाइफ पर बेस्ड था. मगर पिक्चर कब आई, कब गई किसी को पता ही नहीं चला. हालांकि इससे पहले भी वो 'बढ़ती का नाम दाढ़ी', 'कलाकार' और 'धरम करम' जैसी फिल्मों में छोटे रोल्स कर चुके थे.
2009 में आई सलमान खान और करीना कपूर स्टारर फिल्म 'मैं और मिसेज़ खन्ना' में बप्पी लाहिड़ी एक प्रॉपर कैरेक्टर प्ले करते नज़र आए. इस फिल्म में उनके किरदार का नाम था विक्टर सर. फिर वो 'ओम शांति ओम' में एक कैमियो में दिखाई दिए थे.
'मैं और मिसेज़ खन्ना' के प्रमोशनल इवेंट के दौरान सलमान खान और करीना कपूर के साथ स्टेज पर बप्पी दा.
'मैं और मिसेज़ खन्ना' के प्रमोशनल इवेंट के दौरान सलमान खान और करीना कपूर के साथ स्टेज पर बप्पी दा.


बप्पी लाहिड़ी बड़े सेल्फ अवेयर किस्म की पर्सनैलिटी थे. उन्हें पता था कि लोग उनके गहने पहनने का मज़ाक उड़ाते हैं. मगर वो कभी इस बात से प्रभावित नहीं हुए. बल्कि वो खुशी-खुशी बताते हैं कि हर आर्टिस्ट की तरह, ये उनका स्टाइल था. जो वो पूरे स्वैग से कैरी करते थे. माइकल जैक्सन ने उनसे मिलने के बाद सबसे पहले उनके गले में पड़े चेन और लॉकेट के बारे में पूछा. वो एल्विस प्रेस्ली के बड़े फैन थे. उनकी तरह का एक क्रॉस लॉकेट अपने गले में पहना करते थे. मगर वो एस्ट्रॉलोजी में यकीन रखते थे. अधिकतर अंगूठियां और चेन वो इसी सुपरस्टिशन की वजह से पहनते थे.
माइकल जैक्सन के साथ बप्पी लाहिड़ी. बप्पी दा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो माइकल जैक्सन के साथ काम करने वाले थे. मगर उससे पहले ही माइकल की डेथ हो गई.
माइकल जैक्सन के साथ बप्पी लाहिड़ी. बप्पी दा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो माइकल जैक्सन के साथ काम करने वाले थे. मगर उससे पहले ही माइकल की डेथ हो गई.


बप्पी लाहिड़ी ने अपने करियर में 480 से ज़्यादा हिंदी और गैर-हिंदी भाषी फिल्मों के लिए म्यूज़िक कंपोज़ किया. जिसमें से अधिकतर गाने चार्टबस्टर साबित हुए. वो कभी गाना नहीं चाहते थे. मगर उनके गाए कुछ गाने इतने पॉपुलर हो गए कि फिल्ममेकर्स उनकी सिंगिंग को फिल्म के लिए लकी मानने लगे. इस फेर में बप्पी दा को मजबूरन कई गानों को अपनी आवाज़ देनी पड़ी. अब वो आवाज़ शांत हो गई. मगर उनके गानों का मैजिक हमेशा हमारे आस पास रहेगा.

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