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रिज़र्व बैंक का 'बेशकीमती खजाना' क्यों लेना चाहती है मोदी सरकार?

बिमल जालान कमेटी की सिफारिशों को सुन सरकार और खुश होगी. पढ़िये क्या हैं सिफारिशें...

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रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अगुवाई वाली कमिटी ने सरकार की कम मदद की.
अजय देवगन ने कहा- विमल..! बोलो जुबां केसरी..! पता नहीं ये अजय देवगन की बात का असर है. या फिर केसरिया रंग में रची-बसी सरकार का. बिमल जालान ने वही किया, जो केसरिया सरकार चाहती थी. सरकार चाहती थी- रिज़र्व बैंक के पास जो 'कबाड़ में रुपया' पड़ा है, वो उसे मिल जाए. और बिमल जालान के पैनल ने वही सिफारिश कर दी. RBI के पूर्व गवर्नर बिमल जालान, रिजर्व बैंक की ओर से बनाई गई एक कमेटी के चेयरमैन थे. इस कमेटी को ये बताना था कि रिज़र्व बैंक के पास जो एक्स्ट्रा पैसा पड़ा है, उसे मोदी सरकार को दिया जाए या नहीं.  सूत्रों के मुताबिक अब जालान कमेटी ने साफ-साफ कह दिया है. ये पैसा सरकार को दिया जाएगा. 3 से 5 साल के भीतर. कितनी रकम सरकार को दी जाएगी ये अभी साफ नहीं है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है. इसे हफ्ते-दो हफ्ते में सरकार को सौंप दिया जाएगा. क्या है ये पूरा मामला आइए समझते हैं आसान भाषा में. शुरुआत से समझें कि रिज़र्व बैंक क्या है? और इसकी आमदनी कैसे होती है? सवाल-1 रिज़र्व बैंक क्या है और इसकी आमदनी कैसे होती है? आरबीआई देश के सभी बैंकों का बैंक है. मतलब ये कि देश के सारे बैंक इसी से बंधे हुए हैं. बैंकों के लिए रिजर्व बैंक के नियम और शर्तें मानना जरूरी होता है. अब जान लीजिए RBI की आमदनी कैसे होती है. रिजर्व बैंक की आमदनी 3 तरीकों से होती है. 1- रिजर्व बैंक खुले बाजार से सरकारी बॉन्ड खरीदता है. इनके बदले उसे एक तय ब्याज मिलता है. और ये ब्याज RBI की आमदनी होता है. 2- सरकार और बैंक रिज़र्व बैंक से उधार लेते हैं. इसकी फीस और ब्याज से भी रिज़र्व बैंक की कमाई होती है. 3- रिज़र्व बैंक विदेशी करेंसी अपने पास रखता है. उस करेंसी को लोकल करेंसी से एक्सचेंज भी करता है. इसके बदले RBI को कमीशन मिलता है. सवाल-2 RBI के पास कितना पैसा है इस वक्त? रिज़र्व बैंक के पास 4 तरह के खाते होते हैं. RBI के 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक उसके पास करीब 9 लाख 60 हजार करोड़ रुपए का रिज़र्व है. 1- करेंसी एंड गोल्ड रिजर्वः RBI के पास करीब 6.95 लाख करोड़ रुपए का मुद्रा और गोल्ड स्टॉक है. 2- असेट डेवलपमेंट फंडः इस खाते में 22,811 करोड़ रुपए हैं. 3- निवेश खाताः इस अकाउंट में 13,285 करोड़ रुपए हैं. 4- कंटिंजेंसी फंडः इस खाते को आकस्मिक निधि अकाउंट बोला जाता है. ये सबसे अहम अकाउंट है. सारा बवंडर इसी को लेकर है. रिज़र्व बैंक अपने कामकाज से जो लाभ कमाता है. उसका एक हिस्सा कंटिंजेंसी फंड में आता है. RBI की कमाई का दूसरा हिस्सा सरकार को लाभांश यानी डिविडेंड के रूप में दिया जाता है. इस वक्त RBI के इस खाते में करीब 2.32 लाख करोड़ रुपए हैं. माना जाता है कि मोदी सरकार इस खाते का पैसा चाह रही है. सवाल-3 रिज़र्व बैंक की कमाई से सरकार का क्या लेना-देना? # यही तो बवाल की जड़ है. जैसा कि पहले बताया रिज़र्व बैंक अपनी कमाई का एक हिस्सा हर साल लाभांश के रूप में सरकार को देता है. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल RBI ने सरकार को 68 हजार करोड़ रुपए का लाभांश दिया था. सरकार को RBI से इस साल 90 हजार करोड़ रुपए का लाभांश मिलने की उम्मीद है. # मगर, मोदी सरकार इतने भर से संतुष्ट नहीं है. सरकार का मानना है कि RBI की आकस्मिक निधि में पैसा जाने से उसे मिलने वाला लाभांश कम हो जाता है. सरकार चाहती है रिज़र्व बैंक अपना ज्यादा से ज्यादा लाभ लाभांश के रूप में सरकार को दे. # इसी वजह से माना जाता है कि केंद्र सरकार 2.32 लाख करो़ड़ रुपए वाले कंटिंजेंसी फंड पर नजरें गड़ाए हुए है. इसके लिए रिज़र्व बैंक के दो गवर्नरों- रघुराम राजन और उर्जित पटेल से सरकार का टकराव सामने आ चुका है. रिज़र्व बैंक इस पैसे को सरकार को देने के लिए राजी नहीं है. RBI का मानना है कि अभी उसकी बैलेंस शीट को और मजबूत बनाने की जरूरत है. # दूसरी ओर सरकार, हर हाल में इस पैसे को सरकारी खजाने में चाहती है. इसकी दो मुख्य वजहें हैं. 1- सरकार सरकारी खजाने का घाटा इस रकम से पूरा करना चाहती है. साल 2019-20 के बजट में सरकारी खजाने का घाटा यानी फिस्कल डिफिसिट देश की कुल जीडीपी का 3.3 फीसदी था. सरकार इसे और कम करना चाह रही है. 2- सरकार को रिज़र्व बैंक से नकदी मिल जाने से उसे अपनी विकास के प्रोजेक्ट पूरे करने में आसानी रहेगी. # माना जाता है कि मोदी सरकार इसके लिए रिज़र्व बैंक पर लगातार दबाव बनाए हुए है. RBI एक्ट की धारा 47 के मुताबिक केंद्र सरकार रिज़र्व बैंक से इस पैसे की डिमांड कर सकती है. बीते कुछ वक्त से ऐसी चर्चा रही है कि मोदी सरकार ने इसी नियम के तहत रिज़र्व बैंक से फंड की डिमांड की है. मगर सरकार लगातार इससे इनकार करती रही. # बाद में RBI ने बीते साल 19 नवंबर, 2018 को उसके पास जमा पूंजी पर सुझाव देने के लिए बिमल जालान कमेटी का गठन किया था. जालान की अगुवाई में 6 सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी. अब इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है. सवाल-4 क्या सिफारिश की है बिमल जालान कमेटी ने? 1- इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक सरकार RBI के आकस्मिक निधि के पूरे 2.32 लाख रुपए चाहती है. मगर बिमल जालान की कमेटी पूरा पैसा सरकार को ट्रांसफर करने के पक्ष में नहीं है. 2- माना जा रहा है कि कमेटी ने 3 से 5 साल के दौरान हालात को देखकर धीरे-धीरे रकम हस्तांतरित करने की सिफारिश की है. 3- बिमल जालान कमेटी ने ये साफ नहीं किया है कि 5 साल के दौरान कितनी सरप्लस पूंजी सरकार को दी जाएगी. सवाल 5- इस कवायद से सरकार को क्या फायदा होगा? रिज़र्व बैंक का पैसा मिल जाने से मोदी सरकार को 2 फायदे होंगे. 1- उसका सरकारी खजाने का घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट दुरुस्त हो जाएगा. 2- सरकार की आमदनी बढ़ जाएगी, तो वो विकास योजनाओं पर ज्यादा पैसा खर्च कर पाएगी.
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