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भोजपुरी गाना 'पांडे जी की बेटी है' गाने वाला झेल गया

'पांडे जी का बेटा हूं' गाने वाले को कुछ नहीं हुआ.

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भोजपुरी के ये दो अलग-अलग एल्बम के कवर हैं. बाएं वाले गाने पर कोई बवाल नहीं हुआ. दायें वाले के गायक को जेल तक जाना पड़ा.
पिछले साल के आखिर में भोजपुरी में एक गाना आया था. इसे गाया था भोजपुरी के गायक रितेश पांडे ने. जो लोग भोजपुरी भाषी हैं और भोजपुरी गाने सुनते हैं, उन्हें रितेश पांडे के बारे में पता होगा. अगर नहीं भी पता तो उनके बारे में बता देते हैं. रितेश पांडे ने ही भोजपुरी का पिछले साल का 'सबसे ज्यादा सुना जाने वाला गाना' गाया था जिसके बोल थे-
'पियवा से पहिले हमार रहलू.'

इसी गाने की वजह से चर्चा में आए थे रितेश पांडे.


जो लोग रितेश को नहीं भी जानते थे, वो उन्हें इस गाने से जान गए. इस गाने के बाद उन्होंने एक और गाना गाया. इस बार गाना और भी अश्लील था. गाने के बोल थे-
'पांडे जी का बेटा हूं, चुम्मा चिपक के लेता हूं.'

इस गाने के बाद भी किसी पांडेजी को कोई दिक्कत नहीं हुई.

बस इसके बाद तो भोजपुरी भाषी क्षेत्र में रितेश पांडे का डंका बजने लगा. भोजपुरी में अश्लीलता के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों ने रितेश के दोनों गानों के खिलाफ आवाज़ उठाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ. पांडे जी का बेटा लगातार चिपक के चुम्मा लेता रहा. पांडे जी को भी कोई आपत्ति नहीं हुई कि उनका बेटा चिपक के चुम्मा ले रहा है. इसी तर्ज पर दूबे जी के भी बेटे आ गए. अंकित राज दूबे नाम के एक गायकने भी अपना एल्बम निकाला. इसके बोल थे-
'दूबे जी का बेटा हूं.'

दूबेजी को भी बेटे पर कोई आपत्ति नहीं हुई.

इन दोनों गानों की 'अपार सफलता' के बाद बाजार में बेटों की बाढ़ सी आ गई. तिवारी जी के बेटे, कुशवाहा जी के बेटे, वर्मा जी के बेटे, कुशवाहा जी के बेटे और मिश्रा जी के बेटे भी मैदान में आ गए. सबके बेटे चिपक के चुम्मा लेने लगे. किसी को कोई आपत्ति नहीं थी. लेकिन इसके बाद एक और गाना आ गया. इस बार गाने के बोल थोड़े अलग थे. इस गाने में 'बेटे' की जगह पर पांडे जी की 'बेटी' आ गई. और इस गाने को गाया अजय लाल यादव सागर ने. इस गाने के बोल थे-
'पांडे जी की बेटी है, चुम्मा चिपक के देती है.'
लेकिन बेटी का नाम सामने आते ही पूरा तबका नाराज़ हो गया.

बस फिर क्या था. पांडे जी नाराज़ हो गए. और ये पांडे जी कोई खास पांडे जी नहीं थे, ये पूरा पांडे समाज था, जो नाराज़ हो गया कि एक गायक ने पूरे पांडे समाज का अपमान किया है. जो पांडे जी और उनका पूरा समाज अपने बेटे के चिपक के चुम्मा देने से अघाता नहीं था, वही पांडे जी बेटी के चुम्मा देने से इतने नाराज़ हो गए कि थाने तक पहुंच गए. पांडे समाज की ओर से नपुर के सरायख्वाजा इलाके के कोठवार बाजार के रहने वाले गायक अजय लाल यादव के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया. केस दर्ज करवाते वक्त थाने में लिखवाया गया कि इस अश्लील गाने से समाज के एक प्रबुद्ध वर्ग को अपमानित करने का प्रयास किया गया है. इस गाने की वजह से जाति विशेष की बदनामी हो रही है. इसके बाद तो सरायख्वाजा के थाना प्रभारी इंस्पेक्टर राजेश यादव ने केस दर्ज कर लिया. अब बदनामी प्रबुद्ध वर्ग की हो रही थी, तो गिरफ्तारी भी ज़रूरी थी. फिर क्या था. अजय लाल यादव ने जौनपुर के सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया. कोर्ट ने उन्हें 15-15 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी और फिर प्रबुद्ध वर्ग खुश हो गया.

अजय लाल यादव ने सीजेएम कोर्ट में सरेंडर किया था, जहां से जमानत मिल गई थी.

लेकिन ये कौन सा प्रबुद्ध समाज है, जो बेटे के चिपक के चुम्मा देने पर खुश हो जाता है और बेटी के चिपक के चुम्मा देने पर नाराज़. ये कौन सा प्रबुद्ध समाज है, जिसे पियवा से पहिले हमार रहलू गाना सुनने में अश्लील नहीं लगता है, क्योंकि उसे अजय लाल यादव सागर ने नहीं, रितेश पांडे ने गाया है. भोजपुरी में उसे अश्लीलता तभी दिखाई देती है, जब चिपक के चुम्मा देने के लिए बेटी को गाने में लाया जाता है. क्या अगर पांडे जी की बेटी वाला गाना नहीं आया होता, तो भोजपुरी में अश्लीलता नहीं होती. अगर भोजपुरी में प्रबुद्ध समाज वाकई है, तो उसे हर उस गाने का विरोध करना चाहिए, जो अश्लीलता फैलाता है. उसे पांडे जी का बेटा का भी विरोध करना चाहिए और पांडे जी की बेटी का भी. उसे पियवा से पहिले हमार रहलू का भी विरोध करना चाहिए और छलकता हमरो जवनिया का भी. सिर्फ सेलेक्टिव विरोध करने से न तो भोजपुरी बचेगी और न ही उसमें से अश्लीलता खत्म होगी. होगा सिर्फ इतना कि जिसे लोग नहीं भी जानते हैं, उसे बैठे-बिठाए पब्लिसिटी मिल जाएगी.


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