ये गाना उनके लिए हैं जो समझते हैं भोजपुरी गानों में फूहड़ता होती है. भोजपुरी इंडस्ट्री में कई सुन्दर गाने भी बनते हैं, जो शायद उस सोच तक नहीं पहुंच पाते.जो कुछ और ही सोच बैठे हैं. निओ बिहार और चंपारण टाकीज ने एक वीडियो सांग यूट्यूब पर जारी किया है, जिसे बहुत पसंद किया जा रहा है.
ये गाना उस बच्ची का है, जिसका छुटपन गांव में बीता, पर अब वो शहर में बस चुकी है. जब उसे गांव की याद आती है तो गुनगुनाती है ‘गांव से शहर आने में मेरी चौथी क्लास की ड्राइंग बुक गुम हो गयी’. और फिर गांव की सांझ की दीया-बाती, रात को छत पर दादी का ज्ञान आदि में खो जाती है. हर प्रवासी इस गाने से खुद को जोड़ सकता है जिसकी रूह आज भी गांव में भटकती रहती है.
नितिन चंद्रा क्षेत्रीय भाषा में फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं. उनकी भोजपुरी फिल्म ‘देसवा’ को पटना फिल्म फेस्टिवल में अवार्ड मिला. और टोरेंटो, कनाडा में दिखाई गई. मैथिली में फिल्म ‘मिथिला मखान’ ने नेशनल अवार्ड जीता पर अभी तक रिलीज़ नहीं हुई है. नितिन चंद्रा जल्दी ही एक मैथिली शार्ट मूवी ‘द सस्पेक्ट’ लेकर आ रहे हैं. नितिन कहते हैं, ‘मैं अपनी जबान में फिल्म बनाना पसंद करता हूं, क्योंकि बहुत से पढ़े-लिखे लोग अपनी भाषा भूल चुके हैं.’
इस गाने को लिखा और म्यूजिक दिया है आशुतोष सिंह ने और गाया है सिया सिंह ने.
गाने के बोल हैं…
“आंगन में कित-कित, छोटकी दोकान
बाबा के गांव वला बड़का मकान
बुआ के चुकला, दादी के पान
चाची के साथे छेदवयनी हम कान
अपना चौथा क्लास के ड्राइंग बुक मे सबकर फोटो बना के रखले रहनी”