बाबरी मस्जिद असल में बाबर की सेना के एक जनरल मीर बाक़ी ताशकंदी ने बनवाई थी. मीर बाक़ी ताशकंद का रहने वाला था. बाबर ने उसे अवध प्रांत का गवर्नर बना के भेजा था. बताया जाता है कि पानीपत की पहली लड़ाई में विजय के बाद बाबर की सेना ने जब अवध का रुख किया तब बाबर आगरा में ही रुक गया था. उसने मीर बाक़ी को कमान सौंप दी थी.जिस मस्जिद पर सदियों से विवाद जारी है वो भी असल में मीर बाक़ी ने ही बनवाई थी. और बाबर को खुश करने के लिए उसे ‘बाबरी मस्जिद’ का नाम दे दिया था. कुछ लोग ये भी कहते हैं कि इस मस्जिद को बाबर के ही हुक्म पर बनवाया गया था. दोनों ही स्थितियों में ये बात सामने आती है कि बाबर का इस मस्जिद की तामीर में फिजिकली कोई रोल नहीं था.

अयोध्या
इस मामले में बाबर की जीवनी ‘बाबरनामा’ भी एक अहम दस्तावेज है जिसमें ऐसी किसी घटना का उल्लेख है ही नहीं. एक और तर्क ये भी आता है कि तुलसीदास ने भी कभी ऐसी किसी घटना का ज़िक्र नहीं किया है, जो शायद इस देश में पैदा हुए सबसे बड़े रामभक्त थे. जबकि उन्होंने अपना तमाम जीवन राम को समर्पित कर रखा था. उन्होंने जो भी लिखा सिर्फ राम लिखा. उनके लेखन से भी ‘बाबरी’ घटना नदारद होने के गहरे निहितार्थ हैं.
यहां हम महज़ एक फैक्ट एस्टैब्लिश करना चाहते हैं कि बाबरी मस्जिद के निर्माण का काम बाबर का नहीं मीर बाक़ी का था.
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