अमेरिकी प्रेज़िडेंट को चुनने की चुनावी प्रक्रिया क़रीबन डेढ़ साल लंबी होती है. इस पूरे प्रोसेस से गुजरते हुए जब 3 नवम्बर, 2020 को वोट पड़े तो उम्मीद थी कि कुछ ही घंटों में तस्वीर साफ़ हो जाएगी कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा. जैसा अमूमन होता आया था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. रिज़ल्ट थे कि आने का नाम नहीं ले रहे थे. दूसरी तरफ राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प इसमें कई कॉन्सपिरेसी थ्योरीज़ देख रहे थे. ख़ैर, अंत में फ़ैसला जो बाइडेन के पक्ष में आया, और लगा कि विवादों का अंत हो गया है.
जानिए उस किताब की कहानी, जिस पर हाथ रखकर बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बने
232 साल के अमेरिकी लोकतंत्र में जो कभी नहीं हुआ, वो बाइडेन के शपथ समारोह में हुआ.


लेकिन फिर आया 6 जनवरी, 2021 का दिन. उस दिन नए चुने गए राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों को जीत का आधिकारिक सर्टिफ़िकेट दिया जाना था. अमेरिका के संसद भवन की इमारत (कैपिटल बिल्डिंग) के अंदर यही प्रक्रिया चल रही. बाहर ट्रम्प के समर्थक प्रदर्शन कर रहे थे. शुरू में शांतिपूर्ण लग रहे इस प्रदर्शन ने देखते ही देखते उग्र रूप ले लिया. प्रदर्शनकारी उपद्रवी हो गए और कैपिटल बिल्डिंग के अंदर घुसकर तोड़फोड़ करने लगे. सुरक्षाबलों ने घंटों की मशक्कत के बाद उन पर काबू पाया. इस हिंसा में एक पुलिस अधिकारी समेत 5 लोगों की मौत हो गयी. बाद में, संसद भवन परिसर से रासायनिक पदार्थ और विस्फोटक भी बरामद हुए.
इस दंगे के लिए डॉनल्ड ट्रम्प पर इम्पीच्मेंट यानी महाभियोग की कार्रवाई भी शुरू की गई. दरअसल ट्रम्प ने इस दंगे से ठीक पहले एक रैली में समर्थकों से कैपिटल की ओर मार्च करने को कहा था.
# राष्ट्रपति क्या शपथ लेते हैं? अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का आखिरी चरण होता है, शपथ ग्रहण समारोह. जैसे भारत में नई सरकार के चुने जाने पर शपथ समारोह होता है, उसी तरह के समारोह को अमेरिका में इनोग्रेशन डे कहते हैं. इसी दिन चुने हुए राष्ट्रपति पद और गोपनीयता की शपथ लेते हैं.

अमेरिकी संविधान में ‘दी ओथ’ यूं है-
I do solemnly swear (or affirm) that I will faithfully execute the office of President of the United States, and will to the best of my ability, preserve, protect and defend the Constitution of the United States.हिंदी में बताएं तो-
मैं सत्यनिष्ठापूर्वक शपथ लेता हूं (या पुष्टि करता हूं) कि मैं ईमानदारी से संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के कामकाज का निष्पादन करूंगा, और अपनी क्षमता का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान की रक्षा, प्रतिरक्षा करूंगा और उसे कायम रखूंगा.# बाइडेन के इनोग्रेशन डे का प्रोग्राम
इनोग्रेशन डे की शुरुआत (अमेरिकी टाइम के हिसाब से) 20 जनवरी, 2021 को सुबह पौने नौ बजे से ही हो गई थी. पहले जो बाइडेन, कमला हैरिस चर्च गए.
सुबह 11 बजे (भारतीय समयानुसार रात 20 जनवरी, 2021 के 9.30 बजे) वॉशिंगटन डीसी में यूएस कैपिटल पहुंचें.
11.15 बजे (9:45 PM IST) इनोग्रेशन डे के कार्यक्रमों की औपचारिक शुरुआत हुई.
दिन में 12 बजे (10:30 PM IST, Indian Standard Time) अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति जो बाइडेन और 49वीं उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस ने शपथ ली. जिसके बाद राष्ट्रपति ने एक उद्घाटन भाषण दिया-
यह लोकतंत्र का दिन है. आज, हम एक उम्मीदवार की नहीं, बल्कि एक उद्देश्य की जीत का जश्न मना रहे हैं. उद्देश्य लोकतंत्र का. लोगों की, उनकी अपेक्षाओं की सुनवाई हुई है. और उन्हें स्वीकार किया गया है.

नए-नए राष्ट्रपति बने बाइडेन ने जो पहला काम किया, वो था, ‘अनाम सैनिकों के अर्लिंग्टन नेशनल सेरेमनी’ मकबरे का माल्यार्पण. दोपहर के 2.30 बजे (IST के हिसाब से 21 जनवरी को 1:00 AM पर). इसमें उनके साथ थीं उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस. कमला हैरिस के पति डग एमहॉफ. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बिल क्लिंटन और उनकी पत्नियां.
दोपहर3.15 बजे (21 जनवरी, 2021 को 1:45 AM, IST) जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी (जो बाइडेन की पत्नी) जिल बाइडेन, व्हाइट हाउस के लिए प्रस्थान किया. इस दौरान उन्हें पहली बार प्रेज़िडेंशियल मिलिट्री गार्ड एस्कोर्ट किया.

रात को 8.30 बजे (7:00 AM, IST) से लेकर डेढ़ घंटे तक रंगारंग कार्यक्रम चला. ‘सेलिब्रेटिंग अमेरिका’. इसे अभिनेता टॉम हैंक्स ने होस्ट किया. इसमें जस्टिन टिम्बरलेक और जॉन बॉन जोवी जैसे कई कलाकारों ने परफ़ॉर्म किया.
# अबकी बार बहुत कुछ बदला हुआ था- रस्म है कि ‘इनोग्रेशन डे’ की शुरुआत निवर्तमान राष्ट्रपति द्वारा नए चुने गए राष्ट्रपति को व्हाइट हाउस में नाश्ते के लिए आमंत्रित करने के साथ होती है. लेकिन अबकी बार निवर्तमान राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने कह दिया कि वो ‘इनोग्रेशन डे’ का हिस्सा ही नहीं बनेंगे. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ. अमेरिकी इतिहास में ये चौथी बार है, जब जाने वाले राष्ट्रपति ‘इनोग्रेशन डे’ का हिस्सा नहीं बने.

इसके अलावा कोविड-19 के चलते भी कई चीज़ें बदली हुई दिखीं. अमेरिका में कोरोना के हालात ख़ास-तौर से बदतर हैं. एक साल के क़रीब बीत जाने के बावज़ूद अब भी हर दिन वहां कोविड-19 के एक लाख से ज़्यादा नए केस आ रहे हैं. 4 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. ऐसे में ज़्यादातर चीज़ें ‘वर्चुअल’ ही रहीं. यानी हमेशा की तरह धूमधाम नदारद थी. इसकी वजह सिर्फ़ कोरोना नहीं, मनोवैज्ञानिक भी है. कोरोना के अलावा बेरोज़गारी ने भी लोगों का दम निकाल रखा है. बेरोजगारी की दर जो बीच में घटने लगी थी, फिर बढ़ने लगी है. अमेरिका की आर्थिक स्थिति भी कोई बहुत अच्छी नहीं है. इस सबके चलते उत्सव वाला माहौल कितना ही रहता? बहुत से लोगों का तो मन ये रहा होगा कि-
चलो हो गई सेरेमनी-वेरेमनी. लेट्स गेट बैक टू वर्क.
6 जनवरी 2021 को हुई घटना ने भी ट्रम्प के नाम बदनुमा दाग लगा दिया है. इस दिन ट्रम्प के समर्थक संसद भवन यानी कैपिटल बिल्डिंग में घुस गए थे. जमकर तोड़फोड़ की थी. हंगामा हुआ था. सांसदों और अफ को बचकर भागना पड़ा था. इस बवाल में 5 लोगों की मौत हो गई थी. ऐसी आशंका थी कि इस बार इनोग्रेशन डे पर भी ट्रम्प के समर्थक हंगामा कर सकते हैं. इसे देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए थे.

हजारों पुलिसकर्मियों और सैन्य अधिकारियों को तैनात किया गया था. समारोह स्थल पर ही 26,000 गार्ड्स को लगाया गया था. कई राज्यों में नेशनल गार्ड मेंबर्स को तैनाती के लिए तैयार रखा गया था. ज़ाहिर है, अमेरिका के लोकतंत्र के 232 सालों के इतिहास में इनोग्रेशन डे वाले दिन इतने सारे बदलाव शायद पहली बार हो रहे थे. # किस किताब को सामने रखकर शपथ लेते हैं?
22 नवंबर, 1963 को अमेरिकी प्रेज़िडेंट जॉन एफ. कैनेडी की हत्या कर दी गई थी. उनके काफिले में दो गाड़ी पीछे ही उप-राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन की गाड़ी थी. लेकिन उन्हें तब मालूम नहीं पड़ा था कि आगे क्या ऐतिहासिक हो चुका है. कहा जाता है कि क़रीब पौने घंटे बाद उन्हें पता चला कि जेएफ़के की मौत हो चुकी है, और उन्हें अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बनना है. अब ज़ल्दबाज़ी में लिंडन को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलवानी थी. फटाफट कुछ लोग बुलवाए गए. जैसे मारे गए राष्ट्रपति के परिवार वाले, कुछ पत्रकार, एक फ़ेडरल जज वग़ैरह. इन लोगों ने एयर फ़ोर्स वन के प्लेन में शरण ले रखी थी. कारण ये था कि किसी भी विशिष्ट व्यक्ति का बाहर खुले में घूमना ख़तरनाक हो सकता था क्यूंकि JFK की मृत्यु एक बड़े प्लॉट का हिस्सा हो सकती थी. तो सभी लोग प्लेन में जेएफ़के के कैबिन में बैठे थे. इनमें से एक थे कैनेडी और लिंडन के करीबी और डेमोक्रेटिक पार्टी के बड़े नेता और रणनीतिज्ञ लैरी ओ’ब्रायन. अब शपथ ग्रहण के लिए एक किताब की ज़रूरत थी. लैरी ओ’ब्रायन को एक किताब दिखी. जिसके मुखपृष्ठ पर क्रॉस उभरा हुआ था. उसकी बाइंडिंग किसी बाइबिल की तरह ही थी. बस इसे ही लैरी ओ’ब्रायन ने जज ह्यूग्स को थमा दिया. इस पर हाथ रखकर लिंडन ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. लेकिन बाद में पता चला कि वो बाइबिल नहीं, एक कैथलिक मिसाल (missal) थी. मिसाल मतलब चर्च द्वारा पब्लिश की जाने वाली एक किताब. इसमें साल भर आयोजित की जाने वाली पूजा, जिसे मास (mass) कहते हैं, का ब्योरा होता है.
तो क्या लिंडन ने बाइबिल के बदले किसी और किताब की शपथ लेकर ग़लती से कुछ असंवैधानिक कर डाला था. दरअसल नहीं.
अमेरिका के ‘इनोग्रेशन डे’ के दौरान शपथ ग्रहण करने के लिए किसी पुस्तक या किसी धर्म ग्रंथ की ज़रूरत नहीं है. अमेरिका के संविधान में भी ऐसा कोई जिक्र नहीं है. बस एक परंपरा सी चल पड़ी कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाला व्यक्ति अपना दाहिना हाथ ऊपर उठा लेता है, और अपने बाएं हाथ को बाइबल पर रख देता है. लेकिन इसके कई अपवाद भी हैं. ग़लती से हुआ एक अपवाद तो आपको ऊपर बता ही दिया, इसके अलावा 1825 में जॉन क्विंसी एडम्स ने और 1901 में थियोडोर रूजवेल्ट ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के दौरान बाइबिल या किसी अन्य पुस्तक का इस्तेमाल नहीं किया था.