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इंडिया में दिल्ली नहीं, ये शहर है सबसे ज्यादा गंदा, आप यहां रहते हैं तो सावधान!

ये तय कैसे होता है? हवा की जांच कैसे होती है?

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भारत के 31 शहरों में प्रदूषण के स्तर में अच्छी-ख़ासी गिरावट हुई है (सांकेतिक फोटो)

प्रदूषण सुनते ही आपके ज़ेहन में नाम आता होगा दिल्ली का. बस्ती है मस्तानों की दिल्ली, गली है दीवानों की दिल्ली वाली दिल्ली का. लेकिन नहीं, भारत में सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली नहीं है. पांचवी ऐनुअल वर्ल्ड एयर क्वॉलिटी रिपोर्ट में ये सामने आया है कि नई दिल्ली दुनिया की दूसरी सबसे प्रदूषित राजधानी है, लेकिन देश में दिल्ली का प्रदूषण नंबर वन पर नहीं है. ये तमगा गया है दिल्ली के ठीक बग़ल में पड़ने वाले राजस्थान के औद्योगिक शहर भिवाड़ी को.

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कैसे तय होता है ‘सबसे प्रदूषित’ का लेबल?

ये रिपोर्ट बनाई है IQ एयर ने. ये स्वित्ज़रलैंड की एक कंपनी है, जो एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग और एयर क्लीनिंग प्रोडक्ट्स बनाती है. माने हवा की गुणवत्ता का पता लगाने और उसे साफ़ करने के लिए यंत्र-ओ-उपकरण बनाती है. यानी कंपनी भी इस सेक्टर में एक स्टेक-होल्डर है.

रिपोर्ट के मुताबिक़, सर्वे में शामिल भारत के 60 फीसदी शहरों में प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के तय किए मानकों से ज़्यादा है. कितना ज़्यादा? 7 गुना ज़्यादा.

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एक पॉल्यूटेंट होता है: PM-2.5. PM बोले तो पार्टिकूलेट मैटर. हवा में इसकी मात्रा कितनी है, इसी से तय होता है कि फ़लां देश या शहर कितना प्रदूषित है. मसलन, भिवाड़ी में PM-2.5 की मात्रा 92.7 micrograms/cubic metre है. और, भारत में ये पिछले साल के मुक़ाबले घट कर 53.3 micrograms/cubic metre हो गया है. लेकिन मानकों के हिसाब से ये अब भी ख़राब.. बहुत ख़राब की कैटगरी में है.

कंपनी के सर्वे का सैंपल साइज़ कितना बड़ा था? कंपनी का दावा है कि इन्होंने 131 देशों की 7,323 जगहों से 30 हज़ार एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन के डेटा इकट्ठा किया. डेटा का अध्ययन किया. इसके आधार पर कंपनी ने दावा किया है कि 2022 में टॉप 5 प्रदूषित देश थे: चैड, इराक़, पाकिस्तान, बहरीन और बांग्लादेश.

दस में से आठ सबसे प्रदूषित शहर सेंट्रल और साउथ एशिया में ही है. पाकिस्तान में लाहौर और चीन में होतान शहर दुनिया के दो सबसे प्रदूषित शहर हैं. इसके बाद राजस्थान के भिवाड़ी है. दिल्ली चौथे स्थान पर है. हालांकि, ये कोई बहुत राहत की बात नहीं है. दिल्ली में भी 92.6 micrograms/cubic metre मौजूद है, जो सुरक्षित सीमा से लगभग 20 गुना ज़्यादा है. ज़्यादा बदतर.

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2022 में भारत सरकार ने दावा किया था कि 2026 तक पार्टिकुलेट मैटर की सघनता को 40 प्रतिशत तक कम कर देंगे. देखते हैं. 

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