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अमरिंदर गिल: मिलिए पंजाब के सबसे क्यूट और शरीफ पेंडू से

ये सिंगर किसी गाने में अपनी बात इतनी शराफत से रखता है कि प्यार आ जाता है.

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अमरिंदर गिल
पेंडू. पिंड शब्द से बना है. मतलब होता है ग्रामीण. आज कल ज्यादातर लोग अपने आप को ग्रामीण बोलने या बुलवाने में शर्म महसूस करते हैं. लेकिन एक कौम नहीं. पंजाबी. बड़े फख्र से अपने आप को पेंडू कहते हैं. ऐसा ही एक पेंडू है अमरिंदर गिल. पेशे से सिंगर है और अब एक्टिंग भी करता है.
लेकिन ये पेंडू थोड़ा अलग है. अपने साथ वाले सिंगर्स से. कैसे? ये लवी-डवी, स्वीट सा, क्यूट सा सिंगर है. दिखने में भी और गायकी में भी. इसके गानों में गोलियां, गंडासे, राइफल नहीं होती. लड़कियों को कोस नहीं रहे होते. ऊंची हेक में नहीं गाते. म्यूज़िक इन्हीं की तरह सॉफ्ट होता है. गानों में प्यार दिखता है, रौब नहीं. ये सब काफी है अपने आप को पंजाबी सिंगर्स से अलग करने के लिए. डेमो देते हैं आपको. सुनो ये गाना:
https://www.youtube.com/watch?v=o-1XuiQpprA मैं आठवीं क्लास में था. सेक्टर 22 से जींस लेने गया था. दुकान में एक पंजाबी गाना बज रहा था. धीमी सी आवाज़ में. दुकान वाले भइया जींस पे जींस दिखाए जा रहे थे, लेकिन मुझे कोई पसंद नहीं आई. शायद इसलिए कि उस वक्त गाना ज़्यादा पसंद आ रहा था. ध्यान तो सारा वहीं लगा था. एकदम फ्रेश म्यूजिक, मधुर सी आवाज़. पहले कभी नहीं सुनी थी. रुका न गया तो भइया से पूछा कि कौन सा गाना है ये? पता उन्हें भी नहीं था, बोले रेडियो पर चल रहा है.
सोचा था कि एलबम का नाम पता चल जाएगा तो कैसेट में रिकॉर्ड करवाऊंगा. खैर, कुछ दिन बीते और फिर एक दुकान पर ये गाना सुना. इस बार गाने का नाम और एलबम दोनों पता चल गए. फिर क्या कैसेट रिकॉर्ड करवाई और पूरा-पूरा दिन वही सुनता. तो ये दीवाना करने वाला गाना था 'मेल करादे रब्बा'. अमरिंदर गिल ने गाया था. कइयों की तरह मैंने ये नाम तब पहली बार सुना था. एलबम का नाम था 'दिलदारियां'. 2005 में आई थी. और इसी के साथ मुझ जैसे कई लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गए अमरिंदर गिल.
खालसा कॉलेज अमृतसर से पास आउट हैं अमरिंदर. एग्रीकल्चर सांइस से मास्टर डिग्री की है. कॉलेज के दिनों में भांगड़ा किया करते थे. यहां तक की पंजाबी सिंगर सरबजीत चीमा जैसे सिंगर्स के गानों पर पीछे खड़े होके भी भांगड़ा किया. किसको पता था कि उस पीछे खड़े लड़के को गाता देखने के लिए ही एक दिन दुनिया पागल होगी. हां, लोगों में बौत क्रेज़ है अमरिंदर का. खासकर लड़कियों में. साल 2000 में पहली एलबम आई. 'अपनी जान के'. खास चली नहीं. लेकिन आज 16 साल बाद अमरिंदर का वो वीडियो देखना चेहरे पर मुस्कान लाता है. https://www.youtube.com/watch?v=7Iww_A59YiM अमरिंदर गिल ने फिरोज़पुर में एक बैंक में नौकरी भी की. लेकिन मौका मिलते ही दूरदर्शन के प्रोग्राम काला डोरिया के लिए गाना गाया. साल 2001 में उनकी दूसरी एलबम आई 'चन दा टुकड़ा'. इसमें एक गाना था 'मधानिया'. इस सेंसिटिव और सोफिस्टिकेटेड सिंगर का ये सबसे अच्छा एग्जाम्पल है. https://www.youtube.com/watch?v=syF42RjvlGQ 2002 में रिलीज़ हुई एलबम 'एक वादा'. एलबम का पहला गाना 'जे मिले औह कुड़ी'. इस गाने ने लोगों को अमरिंदर गिल से मिलवाया. दिलदारियां एलबम से जब और ज़्यादा फेमस हुए तो लोग उनके पुराने गाने खोजने लगे. उस लिस्ट में ये गाना सबसे ऊपर था. बस दिलदारियां एलबम के बाद से तो अमरिंदर गिल पंजाब में स्टार बन चुके थे. एक के बाद एक हिट गाने दिए. अपनी यूनीकनेस बरकरार रखते हुए. रोमैंटिक और सैड सॉन्ग्स को साथ लेते हुए. इश्क और जुदा एलबम ने धमाल मचाई. इतनी की इसी के एवज में जुदा-2 भी निकाल दी, जो चलनी लाज़मी थी. https://www.youtube.com/watch?v=MxZuyYUnjy0 https://www.youtube.com/watch?v=HJRzko-uBXk 11 पॉलिवुड (पंजाबी भाषा की) फिल्मों में अपने अमरिंदर अब तक काम कर चुके हैं. लेटेस्ट आई थी 'लव पंजाब'. पिछले साल एक मूवी की थी 'अंग्रेज़'. लोगों को काफी पसंद आई. उनकी एक्टिंग की भी तारीफ हुई. इस साल हुए 'दादा साहेब फाल्के फाउंडेशन अवॉर्ड्स' में उन्हें इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला. 13083296_1733224713579867_5834710098177004978_n अच्छा हां, ये जो दादा साहेब फाल्के फाउंडेशन अवॉर्ड्स होते हैं न. ये दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से अलग होते हैं. बता इसलिए रहा हूं क्योंकि बहुत से लोग कंफ्यूज़ थे. ये दादा साहेब फाल्के फाउंडेशन अवॉर्ड्स एक प्राइवेट संस्था द्वारा किए जाते हैं जबकि दादा साहिब फाल्के अवॉर्ड्स सरकार द्वारा दिया जाता है. तो दोनों में बड़ा फर्क है. चलो जो भी हो अमरिंदर उस फिल्म में एक्टिंग के लिए बधाई के हकदार हैं. जाते जाते उनका गाया हुआ मेरा फेवरेट सॉन्ग भी सुन लीजिए. शायद आपका भी फेवरेट हो जाए. https://www.youtube.com/watch?v=39sIQASeQhU
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