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गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी का निधन, इंसाफ के लिए लड़ी थी लंबी लड़ाई

Zakia Jafri dies: 1 फ़रवरी को वो बेटी के साथ थीं. सुबह क़रीब 11.15 बजे उनकी मौत हो गई. उससे एक दिन पहले, रात को उन्हें सांस लेने में दिक़्क़त हो रही थी. उन्हें गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए दो दशक तक क़ानूनी लड़ाई लड़ने के लिए याद किया जाता है.

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ज़किया जाफ़री के पति और पूर्व सांसद एहसान जाफरी की गुजरात दंगो के दौरान 'हत्या' कर दी गई थी. (फ़ाइल फ़ोटो - इंडिया टुडे)

ज़किया जाफ़री (Zakia Jafri) के पार्थिव शरीर को अहमदाबाद के सरसपुर में कुटबी मजार कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. इसी कब्रिस्तान में उनके पति एहसान जाफ़री (Ahsan Jafri) को भी दफ़नाया गया था. 86 साल की उम्र में ज़किया जाफ़री ने 1 फ़रवरी को अपनी अंतिम सांस ली. उम्र संबंधी बीमारी के कारण उनका निधन हो गया. ज़किया जाफ़री कांग्रेस के पूर्व सांसद और गुजरात दंगों (Gujarat riots) में मारे गए एहसान जाफ़री की पत्नी थीं. ज़किया गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए दो दशक तक क़ानूनी लड़ाई लड़ने के लिए जानी जाती रही थीं.

ज़किया जाफ़री की बेटी निशरीन उर्फ़ ​​नरगिस अमेरिका में रहती हैं. जनवरी, 2025 में वो अपनी मां के साथ समय बिताने के लिए अहमदाबाद आईं. अब वो अब अपनी मां को लेकर कहती हैं,

वो बस मुट्ठी भर मिट्टी थी. माना जाता है कि ये उनके अवशेष हैं, जिन्हें हमने यहां दफनाया है. वो हमेशा चाहती थीं कि उन्हें मेरे पिता के बगल में दफनाया जाए. उन्हें अक्सर एक ही बात की चिंता रहती थी- ‘क्या होगा, अगर उनका अंत अहमदाबाद से दूर रहने के दौरान हुआ.’

बेटा-बेटी ने किया याद 

ज़किया जाफ़री आमतौर पर अपने बेटे तनवीर के साथ सूरत में रहती थीं. लेकिन 1 फ़रवरी को वो बेटी के साथ थीं. सुबह क़रीब 11.15 बजे उनका निधन हो गया. उससे एक दिन पहले, रात को उन्हें सांस लेने में दिक़्क़त हो रही थी. 2024 तक, ज़किया नियमित रूप से गुलबर्ग सोसाइटी में अपने घर के खंडहरों का दौरा करती रहीं. ख़ासकर उनके पति एहसान की ‘हत्या’ वाले दिन. 

ज़किया के बेटे तनवीर ने बताया कि 28 फ़रवरी को भी वो लोग गुलबर्ग सोसाइटी जाने की प्लानिंग कर रहे थे. इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में तनवीर कहते हैं,

जब भी वो सोसायटी में आती थीं, तो उन्हें शांति मिलती थी. वो हमेशा गुलबर्ग सोसायटी को याद करती थीं और सोचती थीं- ‘एक दिन मैं यहां रहने के लिए वापस आऊंगी.’

कुटबी मजार कब्रिस्तान, अहसान जाफरी और ज़किया जाफ़री के गुलबर्ग सोसाइटी में मिलकर बनाए गए घर से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित है. वही घर, जिसे 27 फरवरी 2002 को गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना के एक दिन बाद हुए दंगों में तहस-नहस कर दिया गया था.

गुजरात दंगों से जुड़ा ज़किया जाफ़री केस

27 फरवरी 2002 को ख़बर आई कि साबरमती एक्‍सप्रेस के जिस कोच में कारसेवक सफर कर रहे थे, उसमें आग लगा दी गई. इसके बाद राज्‍य में दंगे भड़क गए. अगले दिन, 28 फरवरी 2002 को 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसायटी -जहां अधिकांश मुस्लिम परिवार रहते थे- वहां उत्तेजित भीड़ ने हमला कर दिया. शाम होते-होते कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. 

मरने वालों में कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री भी बताए गए. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि हालांकि, एहसान जाफ़री को मृत घोषित कर दिया गया था. लेकिन न तो पुलिस और न ही उनके परिवार को उनके शरीर का कोई अवशेष मिला था. बाद में ज़किया जाफ़री ने अपने पति की हत्या के ख़िलाफ़ तत्कालीन DGP को खत लिखा. साथ ही, हाई कोर्ट में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 63 लोगों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कराने की अर्जी दी. 

हाई कोर्ट ने अर्जी खारिज की, तो मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट. गुलबर्ग केस समेत 8 केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष टीम (SIT) बनाई. गुलबर्ग सोसायटी केस में पहला चश्मदीद कोर्ट के सामने पेश हुआ. उसने बताया कि एहसान ज़ाफरी ने मोदी समेत कई लोगों को मदद के लिए फोन किए थे. SIT ने नरेंद्र मोदी से घंटों पूछताछ की. बाद में रिपोर्ट सौंप दी.

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SIT की रिपोर्ट ने मोदी को गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में क्लीन चिट दी. फिर ज़किया ने इस क्लीन चिट के ख़िलाफ़ याचिका दायर की. साथ ही, SIT पर गुजरात दंगा मामले की आधी अधूरी रिपोर्ट देने का आरोप लगाया. लेकिन ये याचिका पहले सिटी कोर्ट, फिर हाई कोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी.

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