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'महामारियों के लिए तैयार रहे इंडिया!' ICMR के डायरेक्टर जनरल ने ऐसा क्यों कहा?

ICMR के DG ने कहा कि वैज्ञानिक, इंडस्ट्री और बड़े संस्थानों को बीमारियों पर नजर रखनी चाहिए और उनकी दवाइयां और वैक्सीन तैयार रखनी चाहिए. बताया कि पिछले 100 साल में ज्यादातर महामारियां, वायरस और जानवरों से फैलने वाली बीमारियों की वजह से हुई हैं.

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ICMR के DG ने कहा है कि हमें भविष्य की महामारियों के लिए तैयार रहना चाहिए. (Photo: ITG/File)

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डायरेक्टर जनरल डॉ. राजीव बहल ने चेतावनी दी है कि हमें भविष्य की महामारियों (Pandemic) के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें वन हेल्थ अप्रोच अपनानी होगी. यानी कि इंसानों, जानवरों और पर्यावरण, तीनों की सेहत का एक साथ ध्यान रखना होगा. उनका जोर था कि अगर इंसानों में महामारी फैलने से रोकना है तो जानवरों और पर्यावरण पर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी है.

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न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार डॉ राजीव बहल का कहना है कि पिछले 100 साल में ज्यादातर महामारियां वायरस और जानवरों से फैलने वाली बीमारियों की वजह से हुई हैं. मालूम हो कि पांच साल पहले आई कोविड महामारी, जिसने पूरी दुनिया पर कहर बरपाया था, वह भी जानवर से ही आई थी. डॉ राजीव ने वैज्ञानिकों, इंडस्ट्री और बड़े संस्थानों से अपील की कि वो बीमारियों पर नजर रखें और उनकी दवाइयां और वैक्सीन तैयार रखें.

Dr. Rajiv Bahl (DG  of ICMR)
ICMR के DG राजीव बहल. (Photo: icmr.gov.in) 
ICMR NIV ने कराया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 

ICMR DG ने VIROCON 2025 नाम के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यह बातें कहीं. यह सम्मेलन ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) पुणे ने आयोजित किया था. तीन दिन के इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अमेरिका, कनाडा, थाईलैंड और भारत से 650 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. IISc, IITs, IISERs जैसे भारत के प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हुए. इस सम्मेलन की थीम थी: इंसानों, जानवरों और पौधों के वायरस में बदलते हालात और कैसे बेसिक साइंस, इनोवेशन और पब्लिक हेल्थ को जोड़ा जाए.

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सम्मेलन में चर्चा हुई कि वन हेल्थ और महामारी की तैयारी कैसे की जाए. इनके लिए जवाबी उपाय यानी कि दवाइयां और वैक्सीन कैसे तैयार रखे जाएं. साथ ही फंडामेंटल वायरोलॉजी यानी वायरस की बेसिक साइंस पर भी चर्चा की गई. मीटिंग इसलिए अहम थी, क्योंकि इसमें दुनिया और भारत के विशेषज्ञों ने मिलकर सोचा कि भविष्य की महामारी से कैसे बचा जाए, वायरस पर रिसर्च कैसे बढ़ाई जाए, और पब्लिक हेल्थ सिस्टम को मज़बूत कैसे किया जाए.

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