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रूसी जासूस होने का आरोप, ट्रंप से यारी और अब भारत में बतौर राजदूत तैनाती, सर्जियो गोर की पूरी कहानी

Who is Sergio Gor: सर्जिया गोर ने भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में शपथ ली. गोर की कहानी रिपब्लिकन राजनीति के पायदानों पर लगातार चढ़ने की कहानी है. ऐसी कहानी, जो वाशिंगटन के वाइट हाउस से बहुत दूर शुरू हुई.

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सर्जिया गोर भारत में अमेरिका के नए राजदूत हैं. (फोटो: X/@rshereme)

सर्जियो गोर (Sergio Gor). भारत में अमेरिका के नए और सबसे युवा राजदूत. गोर का परिचय बस इतना भर नहीं है. बचपन में माल्टा की तंग गलियों में पले-बढ़े गोर ने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन अमेरिका के राष्ट्रपति खुद उन्हें राजदूत पद की शपथ दिलाएंगे. 10 नवंबर को ओवल ऑफिस में उन्होंने यह शपथ ली. ताशकंद की धरती पर जन्मे सर्जियो का विवादों से भी लंबा नाता रहा है. कभी ‘रूसी जासूस’ होने के आरोप लगे, तो कभी एलन मस्क ने उन्हें 'सांप' कहा. गोर की कहानी रिपब्लिकन राजनीति के पायदानों पर लगातार चढ़ने की कहानी है. ऐसी कहानी, जो वाशिंगटन के वॉइट हाउस से बहुत दूर शुरू हुई.

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एक अप्रवासी शुरुआत 

30 नवंबर, 1986 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में सर्जियो गोर का जन्म हुआ. नाम रखा गया- सर्गेई गोरोखोव्स्की. उन दिनों ताशकंद, सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था और उनके पिता यहां सोवियत आर्मी के लिए मिलिट्री एयरक्राफ्ट डिजाइन करने का काम करते थे. गोर का बचपन यात्राओं से भरा रहा. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, 1994 में उनका परिवार उज्बेकिस्तान छोड़कर माल्टा (यूरोप) चला गया. गोर की मां ने यहां अपना बिजनेस शुरू किया और इजराइली नागरिक बन गईं.

सर्गेई कई भाषाएं बोलते हुए बड़े हुए और उन्होंने कैथोलिक लड़कों के स्कूल, ‘डे ला सैले’ कॉलेज में पढ़ाई की. लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था. समय का पहिया घूमा और साल 1999 में उनका परिवार लॉस एंजिल्स आ गया. सर्गेई, यहां आने के बाद सर्जियो गोर बन गए. 

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राजनीति की शुरुआत

जब गोर ने जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, तब तक वे रूढ़िवादी विचारों से बहुत प्रभावित हो चुके थे. वाशिंगटन, डी.सी. उनके लिए सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि सीखने की जगह बन गया था. जहां बाकी स्टूडेंट क्लासेज लेने में व्यस्त थे, वहीं गोर ने ‘यंग अमेरिकाज फाउंडेशन’ की शुरुआत की और कॉलेज रिपब्लिकन ग्रुप में एक्टिव हो गए. 

Who is Sergio Gor
सर्जियो गोर (फोटो: PTI)
जब ओबामा का मजाक उड़ाया

शुरुआती दिनों में ही उन्होंने सबका ध्यान खींचा. 2008 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सर्जिया ने जॉन मैक्केन के लिए कैंपेनिंग शुरू की. इस दौरान उन्होंने ACORN संगठन का मजाक उड़ाने के लिए एक गिलहरी की पोशाक पहन ली थी. दरअसल, उस वक्त यह आरोप लग रहा था कि ACORN ने वोटर रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ियां की थीं और ओबामा का उस संगठन से करीबी संबंध था. 

गोर ने यह दिखाने के लिए कि गिलहरी की ड्रेस पहनी कि ACORN ‘वोट इकट्ठा करने में पागल गिलहरी की तरह’ व्यवहार कर रहा है. सर्जियो ने अपनी इस खास शैली से लोगों को खूब लुभाया, जिससे बाद में उनका पूरा करियर पहचाना जाने लगा.

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डॉनल्ड ट्रंप से पहला परिचय

ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद, कॉलेज की राजनीति छोड़कर सर्जिया ने वॉशिंगटन डी.सी. के कैपिटल हिल में कदम रखा. यहां उन्होंने रिपब्लिकन नेताओं के प्रवक्ता के तौर पर काम किया. इस दौरान उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा की जमकर आलोचना की. यहां उन्हें एक नई पहचान मिली और बड़े प्रवक्ता के तौर पर लोग उन्हें जानने लगे. 

सर्जियो गोर को 2020 में बड़ा मौका तब मिला जब उन्होंने प्रवक्ता की नौकरी छोड़कर, डॉनल्ड ट्रंप की ‘विक्ट्री फाइनेंस कमेटी’ के चीफ ऑफ स्टाफ का पद संभाला. इसके बाद उन्होंने 'डॉनल्ड ट्रंप जूनियर' के साथ मिलकर उनकी किताबों पर काम करना शुरू किया. दोनों ने मिलकर 2021 में 'विनिंग टीम पब्लिशिंग' नाम की एक पब्लिकेशन कंपनी शुरू की, जिसने ‘Our Journey Together’ (2021) और ‘Letters to Trump’ (2023) जैसी मशहूर किताबें छापीं.

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ट्रंप के साथ सर्जियो गोर (फोटो: PTI)

लेकिन गोर सिर्फ किताबें छापने तक सीमित नहीं रहे. वे ट्रंप की राजनीतिक टीम के अहम सदस्य बने. 2020 में जब डॉनल्ड ट्रंप ने अपनी कैंपेनिंग शुरू की थी, तब सर्जिया कैंपेनिंग का बड़ा चेहरा बन गए. साल 2024 में ट्रंप की जीत के बाद उन्हें इसका तोहफा मिला और ‘डायरेक्टर ऑफ प्रेसिडेंशियल पर्सनल’ के पद पर नियुक्त हुए. 

राजनीतिक कार्यकर्ता से राजनयिक तक

22 अगस्त, 2025 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गोर को अहम जिम्मेदारी सौंपी. ट्रंप ने उन्हें भारत में अमेरिकी राजदूत बनाने का ऐलान किया. साथ ही दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत की जिम्मेदारी भी उन्हें मिली है. 10 नवंबर को सर्जियो गोर ने राजदूत पद की शपथ ली. 

राजदूतों के शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति का होना ‘दुर्लभ’ (Rare) है. यह सामान्य बात नहीं है. आमतौर पर सिर्फ उपराष्ट्रपति नए नियुक्त राजदूतों को पद की शपथ दिलाते हैं. लेकिन समारोह में ट्रंप की मौजूदगी, भारत के लिहाज से ज्यादा, राष्ट्रपति और गोर के आपसी रिश्ते को दिखाती है. यह नियुक्ति ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका, भारत के साथ अपने ठंडे पड़ चुके रिश्तों को नए सिरे से स्थापित करना चाह रहा है.

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PM मोदी के साथ सर्जियो गोर (फोटो: PTI)
विवादों से भी रहा है नाता

सर्जियो गोर का विवादों से भी नाता रहा है. उन पर कभी ‘रूसी जासूस’ होने के आरोप लगे, तो कभी एलन मस्क ने उन्हें 'सांप' कहा.

टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क ने सर्जियो गोर पर सार्वजनिक रूप से तब नाराजगी जताई, जब खबर आई कि गोर ने ही डॉनल्ड को जेरेड इसाकमैन का नाम वापस लेने के लिए मना लिया था. इसाकमैन, मस्क की करीबी थे और NASA के प्रमुख बनना चाहते थे. मस्क ने 19 जून को एक्स पर लिखा, “वह एक सांप है.”

गोर पर सबसे बड़ा आरोप रूस के लिए ‘जासूसी’ करने का लगा. गोर को लेकर सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि वे रूस के जासूस हैं और उनका असली नाम 'सर्गेई गोर्याचेव' है. यह दावा इंटरनेट हस्ती ब्रायन क्रेब्स ने किया था, लेकिन बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि यह गलती थी. क्रेब्स ने अपनी पोस्ट हटा दी और कहा कि उनसे ‘गंभीर गलती’ हुई थी.

इसके अलावा उन पर अपने जन्म स्थान की झूठी जानकारी देने का आरोप भी लगा था. कुछ वक्त तक उन्होंने खुद को माल्टा में पैदा हुआ बताया था, लेकिन बाद में सच्चाई सामने आई और पता लगा कि वो ताशकंद में पैदा हुए थे. 

फिलहाल, भारत में उनका अगला चैप्टर अमेरिका के असर को मजबूत करेगा या नए विवादों को जन्म देगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एक बात तो तय है- सर्जियो गोर एक ऐसा नाम है जो हमेशा सुर्खियां बटोरता रहेगा.

वीडियो: ट्रंप ने भारत में भेजा नया राजदूत, क्या सुलझ पाएगा टैरिफ विवाद?

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