44 चोटें, ब्रेन डैमेज, लाठी से पीटा... गार्ड की पुलिस कस्टडी में हुई थी मौत, पोस्टमॉर्टम से खुले राज
Tamil Nadu Guard Death: पुलिस ने दावा किया था कि सिक्योरिटी गॉर्ड Ajit Kumar की मौत मिर्गी के दौरे से हुई थी. जबकि परिवार ने आरोप लगाया था कि अजीत को पुलिस कस्टडी में बुरी तरह पीटा गया. अब अजीत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई है. क्या पता चला?
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तमिलनाडु के एक मंदिर की पार्किंग में चोरी हुई. पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को हिरासत में लिया. जिनमें मंदिर के सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे अजीत कुमार (27) भी शामिल थे. पूछताछ के बाद अजीत की मौत हो गई. परिवार ने आरोप लगाया कि अजीत को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया. दूसरी तरफ पुलिस ने दावा किया कि हिरासत से भागने की कोशिश करते समय उसे मिर्गी का दौरा पड़ा. अब मृतक अजीत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं.
क्या है पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में?इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि अजीत को बहुत ज्यादा इंटरनल ब्लीडिंग हुई. चोटों की गंभीरता से पता चलता है कि उन्हें बार-बार पीटा गया. हार्ट और लिवर जैसे इंटरनल आर्गेन्स को भी चोट पहुंची. रिपोर्ट में इस ओर इशारा किया गया कि इस तरह की चोटें लंबे समय तक और जानबूझकर किए गए शारीरिक शोषण के दौरान ही देखने को मिलती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, शव परीक्षण में 44 चोटें दर्ज की गईं. साथ ही मांसपेशियों में गहरी चोटें, ब्रेन से ब्लीडिंग और शरीर पर चोटें भी पाई गईं. ये चोटें लाठी, डंडों या रॉड जैसी किसी वस्तु का इस्तेमाल करके की गईं. रिपोर्ट में दावा किया गया कि इसी यातना की वजह से अजीत की मौत हुई.
पूरा मामला क्या है?अजीत कुमार तिरुप्पुवनम के पास मदापुरम बद्राकालिअम्मन मंदिर में अस्थायी गार्ड के रूप में काम करते थे. उन्हें शनिवार, 28 जून को चोरी के मामले में हिरासत में लिया गया. मदुरै की एक महिला श्रद्धालु ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया था कि जब शिकायतकर्ता ने अजीत कुमार से गाड़ी पार्क करने के लिए कहा तो उसकी कार के अंदर रखे 80 ग्राम से ज्यादा के सोने के गहने गायब हो गए.
महिला ने बताया कि अपनी शारीरिक अक्षमता की वजह से उसने अपनी गाड़ी पार्क करने के लिए अजीत से मदद मांगी थी. चूंकि अजीत गाड़ी चलाना नहीं जानता था, इसलिए उसने कथित तौर पर कार को हटाने के लिए किसी और से मदद मांगी. महिला ने दावा किया कि अजीत ने एक घंटे बाद कार की चाबियां लौटा दीं.
परिवार का दावाइंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अजीत कुमार से पूछताछ की गई और उसे छोड़ दिया गया. बाद में आगे की पूछताछ के लिए उसे दोबारा ले जाया गया. पुलिस ने दावा किया कि दोबारा पूछताछ के दौरान, अजीत ने बेचैनी की शिकायत की थी. फिर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. दूसरी तरफ, अजीत के परिवार ने आरोप लगाया कि उसे हिरासत में प्रताड़ित किया गया. उसके छोटे भाई बी. नवीनकुमार ने दावा किया कि पुलिस उसे भी अपने साथ ले गई थी. इस दौरान उसे और अजीत को बांधकर पिटाई की गई थी.
पुलिस ने क्या बताया था?हेड कांस्टेबल कन्नन की शिकायत के बाद FIR दर्ज की गई. FIR में दावा किया गया कि जब अजीत पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था तो उसे मिर्गी का दौरा पड़ा. पुलिस ने दावा किया कि पूछताछ के दौरान, अजीत ने कथित तौर पर कई नाम बताए थे, लेकिन आखिरकार उसने खुद ही आभूषण चुराने की बात कबूल कर ली. अजीत को उस जगह ले जाया गया, जहां उसने गहने छिपाने का दावा किया था. FIR के मुताबिक, जब वह गहने निकालने के लिए टीन हटा रहा था. तो उसने भागने की कोशिश की लेकिन वह फिसल गया.
हेड कांस्टेबल कन्नन ने दावा किया कि अजीत को जब वहां से ले जाया गया तो उसकी सेहत अच्छी थी. बाद में शाम को उन्हें कांस्टेबल प्रभु का फोन आया, जिसने बताया कि अजीत ने फिर से भागने की कोशिश की. इस दौरान उसे दौरा पड़ा. उसे अस्पताल ले जाया गया. अगले दिन सुबह डॉक्टरों ने अजीत को मृत घोषित कर दिया.
इस घटना के बाद मनामदुरई सब-डिविजन से जुड़े छह पुलिसकर्मियों को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया. SP आशीष रावत ने रविवार, 29 जून को इसकी जानकारी दी. दावा किया कि निष्पक्ष जांच होगी.
इस बीच, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 196 (मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट जांच) के तहत मामला दर्ज किया गया है. तिरुप्पुवनम के जुडीशियल मजिस्ट्रेट आर वेंकादेश प्रशांत मौत की जांच कर रहे हैं.
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Madras High Court ने क्या बोला?ये मामला मद्रास हाई कोर्ट में भी पहुंचा. AIADMK की कानूनी शाखा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और सीवी कार्तिकेयन की पीठ ने कई तीखे सवाल उठाए. उन्होंने पूछा,
अजीत कुमार को पहले क्यों पकड़ा गया? क्या वह आतंकवादी था, जिसके साथ ऐसा व्यवहार किया गया. उनके पास कोई हथियार न होने के बावजूद, उन पर हमला क्यों किया गया?
याचिका में कहा गया है कि पिछले चार सालों में राज्य में हिरासत में 24 मौतें हुई हैं. कोर्ट ने इन मौतों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है. चूंकि सरकारी वकील ने जवाब देने के लिए समय मांगा है. इसलिए मामले की सुनवाई को टाल दिया गया है.
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