उत्तराखंड (Uttarakhand) सरकार ने पर्यावरण और स्वच्छता को लेकर एक नया कदम उठाया है. राज्य में अब बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर 'ग्रीन टैक्स' (Green Tax) लगाया जाएगा. इसके जरिए सरकारी रेवेन्यू में हर साल 100-150 करोड़ रुपये के इजाफे का अनुमान जताया गया है.
उत्तराखंड घूमना हुआ महंगा, बाहरी वाहनों से वसूला जाएगा 'ग्रीन टैक्स', पता है कितने रुपये देने होंगे?
Uttarakhand में Green Tax लगाने का फैसला लिया गया है. इसके जरिए सरकारी रेवेन्यू में हर साल 100-150 करोड़ रुपये के इजाफे का अनुमान जताया गया है. कितना देना होगा टैक्स और कब से देना होगा? सब कुछ जान लीजिए.


आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, परिवहन विभाग ने साफ किया है कि ग्रीन टैक्स के जरिए जुटाई गई राशि का इस्तेमाल एयर पॉल्यूशन कंट्रोल, पर्यावरण की रक्षा करने और राज्य में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा. वाहनों के आधार पर टैक्स की दरें निर्धारित की गई हैं. छोटे वाहनों के लिए 80 रुपये, मालवाहक वाहनों (डिलीवरी वैन आदि) के लिए 250 रुपये, बसों के लिए 140 रुपये और ट्रकों के वजन के हिसाब से 120 रुपये से 700 रुपये तक वसूला जाएगा. यह टैक्स दिसंबर 2025 से लागू होगा.
इन वाहनों पर नहीं लगेगा टैक्स
सरकार ने कुछ वाहनों को इस टैक्स से छूट भी दी है. जैसे:
- दोपहिया वाहन (बाइक)
- इलेक्ट्रिक और CNG वाहन
- उत्तराखंड में रजिस्टर्ड वाहन
- आपातकालीन सेवाओं में लगे वाहन (जैसे एंबुलेंस, दमकल)
इसके साथ ही अगर कोई वाहन 24 घंटे के भीतर दोबारा राज्य में प्रवेश करता है, तो भी उसे दोबारा टैक्स नहीं देना होगा.
कैसे करना होगा भुगतान?परिवहन विभाग के एडिशनल कमीश्नर एस.के. सिंह ने जानकारी देते हुए बताया है कि उत्तराखंड की सीमाओं पर लगाए गए ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे राज्य में आने वाले वाहनों के रजिस्टर्ड नंबर रिकॉर्ड कर लेंगे. इसके लिए 16 ANPR कैमरे लगाए गए थे और अब उनकी संख्या बढ़ाकर 37 कर दी गई है. NDTV ने उत्तराखंड के एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमीश्नर सनत कुमार सिंह के हवाले से लिखा कि परिवहन विभाग ने ग्रीन टैक्स वसूलने का ठेका एक प्राइवेट वेंडर कंपनी को दिया है.
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उन्होंने बताया कि जो डेटा ANPR कैमरों से मिलेगा, उसे सॉफ्टवेयर के जरिए इस वेंडर कंपनी को भेज दिया जाएगा. इसके बाद यह कंपनी उत्तराखंड में रजिस्टर्ड सरकारी और दोपहिया वाहनों की पहचान कर लेगी और बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों का डेटा भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) को भेज दिया जाएगा. यहां से वाहन मालिकों के वॉलेट नंबर खोजे जाएंगे और ग्रीन टैक्स ऑटोमेटिक कटकर परिवहन विभाग के खाते में जमा हो जाएगा.
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