भारत या कहें पूरी दुनिया में ट्रेन के लिए अलग से पटरियां बिछाई जाती है. लेकिन उत्तर प्रदेश में एक शख्स अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली को 'रेल' बनाकर दौड़ा रहे थे. जी आपने ठीक पढ़ा, ट्रैक्टर ट्रॉली को 'रेल'. लगे हाथ आपको बता दे ये किसी वैज्ञानिक आविष्कार से नहीं, जुगाड़ टेक्नोल़जी से संभव हुआ है. दरअसल ट्रैक्टर मालिक ने ट्रॉली में ट्रेन का पहिया फिट कर दिया था. लेकिन ये अभिनव प्रयोग उनको भारी पड़ गया. परिवहन विभाग ने उन पर हचक कर जुर्माना कस दिया है. उनकी गाड़ी का 10 लाख से ज्यादा रुपये का चालान कट गया है.
ट्रैक्टर में ट्रेन का पहिया लगा हुआ था, परिवहन विभाग ने दस लाख से ज्यादा का जुर्माना लगा दिया
Uttar Pradesh के औरेया जिले में एक ट्रैक्टर ट्रॉली पर परिवहन विभाग ने दस लाख से ज्यादा का जुर्माना लगाया है. क्योंकि उसकी ट्रॉली का वजन काफी ज्यादा था. और उसमें नॉर्मल साइज से बड़े टायर और रेल के पहिए लगे हुए थे.

यह वाकया उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के औरेया जिले के नेशनल हाईवे का है. ARTO सुदेश तिवारी किसी ऑफिसियल काम से यहां से गुजर रहे थे. तभी उनकी नजर एक ट्रैक्टर पर पड़ी जिसमें ट्रॉली लगी हुई थी. लेकिन यह आम ट्रॉली से अलग थी. उसकी बनावट थोड़ी हटके थी. ये बात ARTO को खटकी. और उन्होंने ट्रैक्टर को रुकवा कर उसके कागजात मांगे. जांच में पता चला की ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन राजस्थान का था. और ट्रैक्टर कृषि कार्य (फार्मिंग) के लिए रजिस्टर्ड था. लेकिन ट्रॉली का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं था.
कागज देखने के बाद जब ARTO साहब ट्रैक्टर के पीछे गए तो हैरान रह गए. उनको समझ आ गया कि ट्रॉली सामान्य से अलग क्यों दिख रही थी. क्योंकि ट्रॉली में ट्रेन के पहिए लगे हुए थे. और उसका वजन काफी अधिक था. जिसके चलते उन्होंने इस गाड़ी का 10 लाख 6 हजार रुपये का चालान काट दिया.
पूछताछ में पता चला कि इस ट्रैक्टर और ट्रॉली को इसके मालिक ने एक रेलवे ठेकेदार को किराए पर दे रखा था. इसके लिए गाड़ी मालिक को हर महीने 85 हजार रुपये मिलते थे. यह ट्रैक्टर पिछले पांच सालों से सड़क पर दौड़ रही थी. जिसका वजन 12 चक्का ट्रक के बराबर बताया जा रहा है इस पूरे मामले पर RTO सुदेश तिवारी ने बताया कि पिछले हफ्ते वो किसी काम से NH-19 यानी बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से गुजर रहे थे. इसी दौरान उनको एक ट्रैक्टर-ट्रॉली दिखी. जिसका साइज काफी बड़ा था.
उन्होंने बताया,
ट्रॉली में दो बड़े साइज के टायर लगे थे. और उसके साथ-साथ ट्रेन के दो पहिए भी लगे थे. यह ट्रॉली रेल कि पटरियों पर गिट्टी बिछाने के लिए बनाई गई थी. आश्चर्य कि बात है कि यह ट्रैक्टर राजस्थान में रजिस्टर्ड है. एग्रीकल्चर पर्पज के लिए टैक्स फ्री है. और पिछले पांच साल से उत्तर प्रदेश में बिजनेस के काम में लगा है.
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सुदेश तिवारी ने आगे बताया कि इस तरह के ट्रैक्टर-ट्रॉली किसी गवर्नमेंट अप्रूव्ड एजेंसी या मैन्युफैक्चरर के द्वारा नहीं बनाए गए हैं. ऐसे वाहन रोड सेफ्टी के लिए बहुत ही खतरनाक हैं.
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