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IAS-IPS नहीं बन पाए तो भी मिलेगी नौकरी, UPSC लाया नया प्लान, जॉब लगनी भी शुरू

UPSC Public Disclosure Scheme: अब UPSC ही इन 26,000 कैंडिडेट्स के भविष्य के लिए काम कर रहा है. UPSC ने पब्लिक डिस्क्लोजर स्कीम (PDS) नाम की पहल शुरू की है. इसके जरिए UPSC परीक्षाओं के ‘नॉन-सेलेक्टेड इच्छुक कैंडिडेट्स’ के डिटेल्स को प्राइवेट सेक्टर के साथ शेयर किया जा रहा है. UPSC ने साल, 2025 की शुरुआत से ही इस प्रोसेस की शुरुआत कर दी है.

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UPSC के असफल उम्मीदवारों को अब प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां रिक्रूट करेंगी. (फ़ाइल फ़ोटो- इंडिया टुडे)

केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) हर साल में 10 नियमित परीक्षाएं आयोजित कराता है. और अलग-अलग सेवाओं के लिए लगभग 6,400 सफल कैंडिडेट्स को चुनता है. लेकिन लगभग 26,000 उम्मीदवार ऐसे होते हैं, जो प्रक्रिया के आखिर में ‘असफल’ घोषित कर दिए जाते हैं.

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लेकिन अब UPSC ही इन 26,000 कैंडिडेट्स के भविष्य के लिए काम कर रहा है. UPSC ने पब्लिक डिस्क्लोजर स्कीम (PDS) नाम की पहल शुरू की है. इसके जरिए UPSC परीक्षाओं के ‘नॉन-सेलेक्टेड इच्छुक कैंडिडेट्स’ के डिटेल्स को प्राइवेट सेक्टर के साथ शेयर किया जा रहा है. UPSC ने साल, 2025 की शुरुआत से ही इस प्रोसेस की शुरुआत कर दी है.

अरुण के. अब खुश हैं!

ऐसा ही एक उदाहरण 32 साल के अरुण के. का है. अरुण देश की सबसे मुश्किल मानी जाने वाली परीक्षा UPSC पास करने के बहुत करीब पहुंचे. लेकिन अंततः UPSC निकाल नहीं पाए. इसके बाद, उनके सामने भी वही दुविधा थी, जिसका सामना इस परीक्षा में बैठने वाले ज़्यादातर लोग करते हैं. अब क्या?

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जरूरत से ज्यादा योग्यता होने के बावजूद, अरुण वो एकमात्र नौकरी करने लगे, जो उन्हें काफी खोजबीन के बाद मिली. नौकरी थी- दिल्ली के बाहरी इलाके में मौजूद एक स्कूल में एंट्री-लेवल प्रशासनिक सहायक (Administrative Assistant) की.

लेकिन तभी उन्हें दिल्ली में ही मौजूद एक कॉर्पोरेट कंपनी से फ़ोन आया. जिसने पहले तो उन्हें संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में उनके प्रदर्शन के बारे में पूरी जानकारी दी. कंपनी ने UPSC परीक्षा में अरुण के बेहतरीन प्रदर्शन और मास्टर्स डिग्री को ध्यान रखते अरुण को मिड-सीनियॉरिटी ग्रेड पर नौकरी पर रख भी लिया. यहां उनकी सैलरी, स्थानीय स्कूल में मिलने वाली सैलरी से कई गुना ज्यादा थी.

पोर्टल से मिल रही जानकारी

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, अरुण उन 26,000 लोगों में से एक थे, जो इंटरव्यू के बाद सेलेक्ट नहीं हो सके. ऐसे में इस पब्लिक डिस्क्लोजर स्कीम (PDS) से काफी लोगों को मदद मिलने की उम्मीद है. PDS को ही प्रतिभा सेतु के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि, ये स्कीम 2018 में शुरू की गई थी. लेकिन तब सरकारी संगठनों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में ही इन कैंडिडेट्स को रोजगार का मौका दिया जाता था. जबकि अब ये प्राइवेट सेक्टर के लिए भी शुरू कर दिया गया है.

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पहले सरकार के विभागों ने इस पर काम किया था. लेकिन फिर भी इन जगहों पर काम करने वाले लोगों की संख्याएं बहुत कम थी. इसका विस्तार करने का एकमात्र तरीका था, इसका दायरा और बड़ा करना.

पब्लिक डिस्क्लोजर स्कीम (PDS) के दायरे को बड़ा बनाने के लिए UPSC ने एक पोर्टल शुरू किया है. यहां रजिस्टर्ड प्राइवेट कंपनियां एक आइडेंटिफिकेशन नंबर (कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा वेरिफाइड) का इस्तेमाल करके कैंडिडेट्स की जानकारी हासिल कर सकती हैं. इसके बाद, वो उन नॉन-सेलेक्टेड उम्मीदवारों की लिस्ट देख सकती हैं, जिन्होंने अपनी जानकारी शेयर करने की इच्छा जताई है.

इसके अलावा, उम्मीदवारों के शॉर्ट बायोडेटा, उनकी शैक्षिक योग्यता और कॉन्टैक्ट नंबर भी उपलब्ध कराए गए हैं. पोर्टल रजिस्टर्ड कंपनियों को उनकी ज़रूरतों के अनुरूप उपयुक्त उम्मीदवारों की पहचान करने के लिए अलग-अलग सुविधाएं भी देता है.

UPSC कर रहा निगरानी

दिलचस्प बात ये है कि कंपनियों के उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किए जाने के बाद अपॉइंटमेंट लेटर्स जारी होने तक, UPSC उनके सेलेक्शन प्रोसेस पर लगातार नज़र रख रहा है. रजिस्ट्रेशन कराने वाली कंपनियों को नियमित रूप से कॉल और लॉगिन जनरेट किया जा रहा है.

एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मास्टर लिस्ट से सेलेक्शन की स्थिति को रियल-टाइम के आधार पर बैकएंड पर अपडेट किया जा रहा है. पोर्टल पर अपॉइंटमेंट लेटर की एक प्रति अपलोड करने की सुविधा भी दी गई है. जिससे सक्सेस रेट को नोट किया जा सके. जानकारी के मुताबिक़, UPSC सचिव ने अलग-अलग सरकारी विभागों को पत्र लिखा है. पत्र में उनसे कहा है कि वो अपने साथ काम करने वाली निजी कंपनियों तक पोर्टल के बारे में जानकारी पहुंचाएं.

हालांकि, कितने कैंडिडेट्स सेलेक्ट किए गए, अभी तक इसकी को आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि इस स्कीम के लिए अभी शुरुआती दौर है. लेकिन अब जब प्राइवेट सेक्टर इस योजना में शामिल हो गया है, तो प्रतिक्रिया कहीं बेहतर रही है.

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