संसद के शीतकालीन सत्र में 9 दिसंबर को केंद्र सरकार की ओर से गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान विपक्ष पर 'तुष्टिकरण' का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 'तुष्टिकरण की राजनीति' उसी दिन शुरू हुई जिस दिन वंदे मातरम का विभाजन हुआ. उन्होंने यह तर्क दिया कि यदि तुष्टिकरण के नाम पर राष्ट्रीय गीत का विभाजन नहीं किया गया होता, तो देश का विभाजन भी नहीं होता. गृहमंत्री ने दावा किया कि वंदे मातरम के विभाजन ने अंततः भारत के विभाजन में योगदान दिया.
'वंदे मातरम का विभाजन, देश के विभाजन का कारण बना', राज्यसभा में बोले गृहमंत्री अमित शाह
Amit Shah ने इस बात को खारिज कर दिया कि ये बहस Bengal Elections से जुड़ी है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष Vande Mataram की महिमा को कम आंकने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि बंकिम बाबू बंगाल से थे, लेकिन वंदे मातरम कभी भी बंगाल या देश के किसी भी इलाके तक सीमित नहीं रहा.


गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कई कांग्रेस सदस्यों ने वंदे मातरम पर चर्चा करने की जरूरत पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा भारत की राष्ट्रीय पहचान के लिए अहम है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट्रीय प्रतीकों को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए. गृहमंत्री ने कहा,
जब बॉर्डर पर कोई सैनिक, या देश के अंदर से देश की रक्षा करने वाला कोई पुलिसवाला, देश के लिए अपनी जान कुर्बान करता है, तो वह सिर्फ वंदे मातरम का नारा लगाता है. वंदे मातरम पर चर्चा पुरानी बातों को याद करने के बारे में नहीं थी, बल्कि देश के गर्व को पक्का करने और उस राजनीति को खारिज करने के बारे में थी, जो उनके (विपक्ष) शब्दों में देश की एकता को तोड़ती है.
विपक्ष ने कई बार सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार जरूरी मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती. इसका जवाब देते हुए गृहमंत्री ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर बहस के लिए तैयार है. गृहमंत्री ने कहा,
बंगाल चुनाव से जोड़ने की बातों को नकाराहम संसद का बायकॉट करने वालों में से नहीं हैं. अगर सदन को चलने दिया जाए, तो हर मुद्दे पर चर्चा हो सकती है.
विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया था कि बंगाल के चुनाव नजदीक हैं, इसलिए सरकार वंदे मातरम का मुद्दा उछाल रही है. गृहमंत्री ने इस आलोचना को खारिज किया कि वंदे मातरम पर चर्चा राजनीति से प्रेरित है.उन्होंने कहा,
वंदे मातरम के लिए चर्चा और समर्पण की जरूरत उस समय भी जरूरी थी, इसकी जरूरत अब भी है, और यह 2047 के हमारे सुनहरे भविष्य के लिए हमेशा जरूरी रहेगी.
उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि ये बहस बंगाल में आगामी चुनावों से जुड़ी है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष राष्ट्रीय गीत की महिमा को कम आंकने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि बंकिम बाबू बंगाल से थे, लेकिन वंदे मातरम कभी भी बंगाल या देश के किसी भी इलाके तक सीमित नहीं रहा. इसलिए इस पर चर्चा होनी चाहिए.
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