‘लव.’ इसे लेकर एक लाइन अक्सर कही जाती है, “प्यार की ताकत ऐसी होती है, जो इंसान को बदल सकती है.” लेकिन इस लाइन को चरितार्थ कर दिखाया है दो नक्सली कमांडरों ने. अपने प्यार की ख़ातिर इन नक्सलियों ने आगे की ज़िंदगी एक-दूसरे का संग शांति से बिताने का फैसला किया. इसके लिए दोनों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. दोनों पति-पत्नी हैं और प्रतिबंधित संगठन CPI (Maoist) के एक्टिव सदस्य थे. इनमें से एक पर 100 से ज्यादा पुलिसवालों की हत्या का आरोप था. लेकिन सरेंडर के बाद उसने अपनी पत्नी के साथ आगे का जीवन शांति और प्यार से बिताने की इच्छा जताई है. पुलिस का कहना है कि दोनों को राज्य सरकार की पुनर्वास योजना के तहत जल्द ही मदद दी जाएगी.
100 से ज़्यादा हत्या का था आरोप, नक्सली कपल ने प्यार की ख़ातिर किया सरेंडर
दिनेश और कला की मुलाकात सुकमा के घने जंगलों में हुई थी. दोनों नक्सली संगठन के एक्टिव सदस्य के तौर पर काम कर रहे थे. कई बड़े नक्सली हमलों का हिस्सा रह चुके हैं. लेकिन समय के साथ, उनके दिलों में नफरत की जगह प्यार ने ले ली.

इंडिया टुडे के इनपुट के मुताबिक, इनका नाम दिनेश मोडियम और कला ताती है. दिनेश पश्चिम बस्तर डिविजन के गंगालूर एरिया कमिटी सचिव था. उसकी पत्नी गंगालूर एरिया कमिटी सदस्य है. दिनेश और कला की मुलाकात सुकमा के घने जंगलों में हुई थी. दोनों नक्सली संगठन के एक्टिव सदस्य के तौर पर काम कर रहे थे. दिनेश पर 100 से ज़्यादा हत्याओं का आरोप था.
दिनेश पिछले आठ बरसों से संगठन के लिए फंड जुटाने का काम कर रहा था. राज्य सरकार ने उस पर आठ लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया था. वह कई नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड भी था. लेकिन समय के साथ, उनके दिलों में नफरत की जगह प्यार ने ले ली. उन्हें संगठन की ओर से लगातार धमकियों का भी सामना करना पड़ा. लेकिन इसके बावजूद दोनों ने एक साथ रहने का फैसला किया और आखिर में बीजापुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.
बीजापुर पुलिस ने दिनेश और कला से पूछताछ शुरू कर दी है और उन्हें राज्य सरकार की पुनर्वास योजना के तहत जल्द ही मदद दी जाएगी, ताकि वे सोसाइटी में नॉर्मल ज़िंदगी जी सकें. बीजापुर के डीएसपी सुदीप सरकार ने कहा,
नक्सली संगठनों में शादी का नियमदिनेश और कला का सरेंडर ये साबित करता है कि प्यार न केवल इंसान को बदल सकता है, बल्कि उसके रास्ते को भी बदल सकता है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी नक्सली बंदूकें छोड़कर शांति और प्रेम की राह अपनाएंगे.
नक्सली संगठनों में सख्त नियम होते हैं, जिनके तहत किसी भी सदस्य को शादी की अनुमति नहीं होती और परिवार बनाने की अनुमति भी नहीं होती. संगठन का मानना है कि इससे लड़ाकों की निष्ठा कमजोर हो सकती है. हालांकि, अब दिनेश और कला जैसे लोग यह समझने लगे हैं कि ये नियम अमानवीय हैं और हर किसी को समाज में सामान्य जीवन जीने का हक़ है. इन नियमों के बावजूद, दिनेश और कला ने सामाजिक जीवन जीने का सपना देखा.
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