‘टोरेस निवेश घोटाले’ (Torres Investment Scam) को लेकर नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इस मामले में 3 लोगों को गिरफ़्तार किया है. वहीं, 2 यूक्रेनी नागरिकों की पहचान इस ‘स्कैम’ के मास्टरमाइंड के रूप में हुई है. इन्होंने कथित तौर पर निवेश पर बड़ा रिटर्न देने का वादा करके मुंबई में सैकड़ों लोगों को ठगा है. पुलिस ने कहा है कि कंपनी के मैनेजमेंट और कर्मचारियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
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Torres investment scam: पुलिस ने बताया कि उन्हें कंपनी के ख़िलाफ़ अब तक 1535 शिकायतें मिल चुकी हैं. कंपनी के मैनेजमेंट और कर्मचारियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. क्या है पूरा मामला?

इंडिया टुडे की ख़बर के मुताबिक़, मुंबई पुलिस ने ‘टोरेस निवेश घोटाले’ में दो यूक्रेनी नागरिकों को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया है. इनके नाम हैं, अर्टिम और ओलेना स्टोइन. आरोप है कि उन्होंने कंपनी के निदेशक सर्वेश सुर्वे और तौसीफ जैसे स्थानीय लोगों के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया. अर्टिम और ओलेना के ख़िलाफ़ जल्द ही एक लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, अर्टिम और ओलेना दिसंबर, 2024 में भारत छोड़कर भाग गए. उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों और एजेंटों को ये बताया था कि वो क्रिसमस की छुट्टी पर जा रहे हैं. पुलिस इस मामले की भी जांच कर रही है कि क्या कुछ साल पहले तुर्की में हुई इसी तरह की सामूहिक धोखाधड़ी में भी इन्हीं यूक्रेनी लोगों का नाम था?
न्यूज़ एजेंसी PTI की ख़बर के मुताबिक़, पुलिस ने बताया कि जिन 3 लोगों को गिरफ़्तार किया है, उनका टोरेस ब्रांड के स्वामित्व वाली जूलरी कंपनी के साथ संबंध है. प्लेटिनम हर्न प्राइवेट लिमिटेड, टोरेस जूलरी ब्रांड चलाने वाली कंपनी है. आरोप है कि कंपनी ने पोंजी स्कीम और मल्टी लेवल मार्केटिंग (MLM) स्कीम के ज़रिए निवेशकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की है.
मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि घोटाले में लगभग 18.5 करोड़ रुपये पकड़े गए हैं और इसके बढ़ने की संभावना है. पुलिस ने बताया कि उन्हें कंपनी के ख़िलाफ़ अब तक 1535 शिकायतें मिल चुकी हैं.
क्या है मामला?प्लैटिनम हरेन प्राइवेट लिमिटेड ने मुंबई में साल 2023 में टोरेस जूलर्स का रजिस्ट्रेशन कराया था. बाद में मुंबई में ही इसके लगभग 6 स्टोर खुल गए. आरोप है कि कंपनी लोगों से हाई-रिटर्न पर निवेश की बात कहती थी. उनका विश्वास जीतने के लिए, कंपनी ने नियमित रूप से निवेशकों को वादा किए गए रिटर्न दिए. नवंबर 2024 तक नियमित रूप से भुगतान देने के बाद, कंपनी ने दिसंबर के आख़िरी हफ़्ते में अचानक अपने दरवाजे बंद कर दिए.
इससे निवेशक असमंजस में पड़ गए. निवेशकों ने पूछताछ शुरू कर दी. कंपनी ने दावा किया कि कंपनी के सिस्टम में तकनीकी समस्याएं इसके लिए जिम्मेदार थीं. इसी दौरान कंपनी के निवेशक और सब्जी विक्रेता प्रदीप कुमार वैश्य दादर स्थित कंपनी के शोरूम पहुंचे. उन्होंने स्टोर बंद देखा. बाद में, 6 जनवरी की सुबह कुछ अन्य निवेशकों को कर्मचारियों से सूचना मिली कि कंपनी बंद हो गई है.
इसके बाद सैकड़ों निवेशक टोरेस कंपनी के स्टोर के बाहर जमा हो गए. मुंबई पुलिस ने कहा कि आरोपी कंपनी के पास निवेश स्कीम चलाने के लिए जमा स्वीकार करने का RBI या किसी अन्य सरकारी निकाय से कोई अनुमति नहीं थी. मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने कई जगहों पर छापे मारे हैं. इस दौरान कई महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स, निवेश के कागजात और नकदी ज़ब्त की है.
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