माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. सुरक्षाबलों ने 50 लाख के ईनामी माओवादी नेता माडवी हिडमा (Madvi Hidma Encounter ) को मार गिराया है. ये एनकाउंटर आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीतारामराजू (Alluri Sitharamaraju District) जिले के मरेडुमिल्ली (Maredumilli Forest) जंगल में हुआ है. ये वही जगह है जहां आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमाएं मिलती हैं. इस एनकाउंटर में कुल 6 से अधिक नक्सली मारे गए हैं. इस एनकाउंटर में हिडमा की पत्नी राजे ऊर्फ राजक्का भी मारी गई है.
माओवादियों के टॉप कमांडर माडवी हिडमा को सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में मार गिराया
Madvi Hidima का एनकाउंटर आंध्र प्रदेश के Alluri Sitharamaraju District के Maredumilli Forest में हुआ है. इस एनकाउंटर में कुल 6 से अधिक विद्रोही मारे गए हैं. इस एनकाउंटर में हिडमा की पत्नी राजे ऊर्फ राजक्का भी मारी गई है.


इस मामले पर जानकारी देते हुए आंध्र प्रदेश के डीजीपी हरीश कुमार गुप्ता ने बताया,
गोलीबारी में 6 माओवादी मारे गए हैं. ये एनकाउंटर सुबह 6-7 बजे के बीच हुआ है. फिलहाल बड़े पैमाने पर सर्च एंड कॉम्बिंग ऑपरेशन चल रहा है.
हिडमा कई बड़े माओवादी हमलों में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है. इनमें 2010 में दंतेवाड़ा में हुआ हमला भी शामिल है, जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे. 2013 में झीरम घाटी में हुआ घात लगाकर किया गया हमला जिसमें शीर्ष कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोग मारे गए थे. इसके अलावा उसने 2021 में सुकमा-बीजापुर में हुए घात हमले में भी अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे. हिडमा इन सभी हमलों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल था. हिडमा कोई आम कमांडर नहीं था.
- हिडमा CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य था.
- वह बस्तर क्षेत्र से सेंट्रल कमेटी में शामिल होने वाला एकमात्र आदिवासी था.
- उसके सिर पर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था.
- हिडमा के साथ उसकी दूसरी पत्नी राजे (राजक्का) भी मारी गई.
- माडवी हिडमा का असली नाम संतोष है.

1981 में तत्कालीन मध्य प्रदेश के सुकमा में जन्मे हिडमा ने पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की एक बटालियन का नेतृत्व कर चुका है. वह सीपीआई माओवादी की शीर्ष संस्था, सेंट्रल कमेटी के सबसे कम उम्र का सदस्य रहा है. हिडमा सेंट्रल कमेटी में बस्तर क्षेत्र से एकमात्र आदिवासी सदस्य था. वो माओवादियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) का भी सदस्य भी रहा. पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन-1 की तीनों यूनिट उसी को रिपोर्ट किया करती थीं. उसने सुरक्षा एजेंसियों पर एक के बाद एक घातक हमले किए हैं. हिडमा को एक खतरनाक माओवादी लड़ाका और रणनीतिकार माना जाता रहा है.
मुठभेड़ में हिडमा का मारा जाना माओवादियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. ये कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब माओवादी सुरक्षाबलों की कार्रवाई और उनके कैडर्स के आत्मसमर्पण के कारण संघर्ष कर रहे हैं.
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